अखाड़ा परिषद की नाराजगी पर मिलने पहुंचा प्रशासन:CM धामी से निमंत्रण न मिलने पर नाराज थे, कहा था- शाही स्नान की परम्परा टूट सकती
उत्तराखंड सरकार 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ मेले को पूर्ण कुंभ की तर्ज पर ‘दिव्य और भव्य’ बनाने की घोषणाएं कर रही है। नए घाटों का निर्माण शुरू हो चुका है, मेला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं, लेकिन इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले तो राज्य सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन अब बयान बदल दिए है। नाराजगी की खबर मेला प्रशासन को लगते ही उपमेला अधिकारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री से मुलाकात की, जिसके बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ओर महामंत्री के सुर अचानक से बदल गए ओर पहले जताई गई नाराजगी के बयान को बदलते हुए नए बयान जारी किए गए। पहले दिए बयान में जताई नाराजगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज और महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने पहले खुलकर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि नासिक कुंभ की भव्य तैयारियां चल रही हैं, वहां महाराष्ट्र सरकार लगातार संपर्क में है, लेकिन उत्तराखंड सरकार की ओर से न तो कोई प्रस्ताव आया और न ही निमंत्रण। परिणामस्वरूप, सभी तेरह अखाड़ों के साधु-संत का ध्यान नासिक की तरफ हैं। यदि जल्द ही देहरादून से औपचारिक बुलावा नहीं आया तो हरिद्वार अर्द्धकुंभ में शाही स्नान, पेशवाई और अखाड़ों के शिविरों की परम्परा टूट सकती है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- परम्परा का सवाल: पहले निमंत्रण, फिर बैठक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने पहले कहा था कि कुंभ और अर्द्धकुंभ की सदियों पुरानी परम्परा स्पष्ट है कि आयोजन की शुरुआत सरकार की ओर से होती है। सीएम खुद अखाड़ों के पास निमंत्रण लेकर आते हैं। उसके बाद पहली औपचारिक बैठक मुख्यमंत्री निवास या सचिवालय में होती है, जिसमें शाही स्नान की तिथियां, अखाड़ों के शिविरों की जगह, पेशवाई मार्ग और सुरक्षा व्यवस्था तय की जाती है। श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने जूना अखाड़े में कहा था कि हरिद्वार अर्द्धकुंभ में अखाड़ों को भाग लेने के लिए अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया। न शाही स्नान की तिथियां तय हुईं, न शिविरों की जगह। यदि सरकार कहेगी तो हम हरिद्वार आएंगे, शाही स्नान करेंगे, पेशवाई निकालेंगे। लेकिन अभी तक तो कुछ नहीं हुआ। उन्होंने बताया था कि नासिक में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार संपर्क में हैं। वहां की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी अखाड़ों के सचिवों को बुलाकर बैठकें हो रही हैं। उत्तराखंड सरकार भी यदि कुंभ करना चाहती है तो पहले साधु-संतों से बातचीत करनी होगी। सभी अखाड़ों के सचिवों को देहरादून बुलाकर बैठक करनी चाहिए। तभी हरिद्वार में भव्य कुंभ की तैयारी शुरू हो सकेगी। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- सीएम हमारा राजा, लेकिन परम्परा नहीं टूटनी चाहिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने भी परम्परा की दुहाई दी थी। उन्होंने कहा था कि कुंभ की परम्परा है कि अखाड़ों को निमंत्रण दिया जाए। उसके बाद पहली बैठक सीएम के यहां होती है। अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। कुछ दिन पहले कई साधु-संत सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिलने गए थे, लेकिन वहां कुंभ पर कोई चर्चा नहीं हुई। सीएम ने कहा था कि जब हरिगिरी महाराज हरिद्वार आएंगे तो बात होगी। अब हरिगिरी महाराज हरिद्वार आ गए हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जल्द ही सीएम उनसे बातचीत करें और कुंभ की तैयारी पर चर्चा शुरू हो। रविंद्रपुरी महाराज ने स्पष्ट किया कि सीएम हमारा राजा है, हम सब प्रजा हैं। लेकिन परम्परा का पालन होना चाहिए। यदि सरकार कुंभ करना चाहती है तो अखाड़ों को सम्मान देना होगा। नासिक में जो हो रहा है, वैसा ही हरिद्वार में भी होना चाहिए। नासिक कुंभ मेला 2027, 31 अक्टूबर 2026 से शुरू होने वाला है। इस बार नासिक कुंभ मेला 21 महीने तक चलेगा। नासिक कुंभ मेला जुलाई 2028 को समाप्त होगा। मेला प्रशासन से आश्वासन नाराजगी हुई दूर वही अखाड़ा परिषद की तरफ से जारी इस बयान के बाद आनन फानन में अपर मेलाधिकारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ओर महामंत्री से मुलाकात की। जिसके बाद एक बाद फिर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पूरी ओर महामंत्री हरिगिरि की तरफ से बयान जारी किए गए, जिसमें उन्होंने कहा कि संतों की उत्तराखंड सरकार या मेला प्रशासन से किसी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं है। रही बात मुख्यमंत्री के आवास बैठक की तो उनकी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात हुई है उन्होंने कहा है कि जल्द ही वे सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारियों को विधिवत कुंभ का निमंत्रण देंगे।
उत्तराखंड सरकार 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ मेले को पूर्ण कुंभ की तर्ज पर ‘दिव्य और भव्य’ बनाने की घोषणाएं कर रही है। नए घाटों का निर्माण शुरू हो चुका है, मेला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं, लेकिन इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले तो राज्य सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन अब बयान बदल दिए है। नाराजगी की खबर मेला प्रशासन को लगते ही उपमेला अधिकारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री से मुलाकात की, जिसके बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ओर महामंत्री के सुर अचानक से बदल गए ओर पहले जताई गई नाराजगी के बयान को बदलते हुए नए बयान जारी किए गए। पहले दिए बयान में जताई नाराजगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज और महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने पहले खुलकर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि नासिक कुंभ की भव्य तैयारियां चल रही हैं, वहां महाराष्ट्र सरकार लगातार संपर्क में है, लेकिन उत्तराखंड सरकार की ओर से न तो कोई प्रस्ताव आया और न ही निमंत्रण। परिणामस्वरूप, सभी तेरह अखाड़ों के साधु-संत का ध्यान नासिक की तरफ हैं। यदि जल्द ही देहरादून से औपचारिक बुलावा नहीं आया तो हरिद्वार अर्द्धकुंभ में शाही स्नान, पेशवाई और अखाड़ों के शिविरों की परम्परा टूट सकती है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- परम्परा का सवाल: पहले निमंत्रण, फिर बैठक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने पहले कहा था कि कुंभ और अर्द्धकुंभ की सदियों पुरानी परम्परा स्पष्ट है कि आयोजन की शुरुआत सरकार की ओर से होती है। सीएम खुद अखाड़ों के पास निमंत्रण लेकर आते हैं। उसके बाद पहली औपचारिक बैठक मुख्यमंत्री निवास या सचिवालय में होती है, जिसमें शाही स्नान की तिथियां, अखाड़ों के शिविरों की जगह, पेशवाई मार्ग और सुरक्षा व्यवस्था तय की जाती है। श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने जूना अखाड़े में कहा था कि हरिद्वार अर्द्धकुंभ में अखाड़ों को भाग लेने के लिए अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया। न शाही स्नान की तिथियां तय हुईं, न शिविरों की जगह। यदि सरकार कहेगी तो हम हरिद्वार आएंगे, शाही स्नान करेंगे, पेशवाई निकालेंगे। लेकिन अभी तक तो कुछ नहीं हुआ। उन्होंने बताया था कि नासिक में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार संपर्क में हैं। वहां की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी अखाड़ों के सचिवों को बुलाकर बैठकें हो रही हैं। उत्तराखंड सरकार भी यदि कुंभ करना चाहती है तो पहले साधु-संतों से बातचीत करनी होगी। सभी अखाड़ों के सचिवों को देहरादून बुलाकर बैठक करनी चाहिए। तभी हरिद्वार में भव्य कुंभ की तैयारी शुरू हो सकेगी। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- सीएम हमारा राजा, लेकिन परम्परा नहीं टूटनी चाहिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने भी परम्परा की दुहाई दी थी। उन्होंने कहा था कि कुंभ की परम्परा है कि अखाड़ों को निमंत्रण दिया जाए। उसके बाद पहली बैठक सीएम के यहां होती है। अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। कुछ दिन पहले कई साधु-संत सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिलने गए थे, लेकिन वहां कुंभ पर कोई चर्चा नहीं हुई। सीएम ने कहा था कि जब हरिगिरी महाराज हरिद्वार आएंगे तो बात होगी। अब हरिगिरी महाराज हरिद्वार आ गए हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जल्द ही सीएम उनसे बातचीत करें और कुंभ की तैयारी पर चर्चा शुरू हो। रविंद्रपुरी महाराज ने स्पष्ट किया कि सीएम हमारा राजा है, हम सब प्रजा हैं। लेकिन परम्परा का पालन होना चाहिए। यदि सरकार कुंभ करना चाहती है तो अखाड़ों को सम्मान देना होगा। नासिक में जो हो रहा है, वैसा ही हरिद्वार में भी होना चाहिए। नासिक कुंभ मेला 2027, 31 अक्टूबर 2026 से शुरू होने वाला है। इस बार नासिक कुंभ मेला 21 महीने तक चलेगा। नासिक कुंभ मेला जुलाई 2028 को समाप्त होगा। मेला प्रशासन से आश्वासन नाराजगी हुई दूर वही अखाड़ा परिषद की तरफ से जारी इस बयान के बाद आनन फानन में अपर मेलाधिकारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ओर महामंत्री से मुलाकात की। जिसके बाद एक बाद फिर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पूरी ओर महामंत्री हरिगिरि की तरफ से बयान जारी किए गए, जिसमें उन्होंने कहा कि संतों की उत्तराखंड सरकार या मेला प्रशासन से किसी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं है। रही बात मुख्यमंत्री के आवास बैठक की तो उनकी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात हुई है उन्होंने कहा है कि जल्द ही वे सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारियों को विधिवत कुंभ का निमंत्रण देंगे।