India और European Union 27 जनवरी को FTA, रणनीतिक एजेंडा को दे सकते हैं अंतिम रूप

24 नवंबर वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच यूरोपीय संघ की भारत के साथ मिलकर एक व्यापक वैश्विक एजेंडा बनाने पर नजर है। साथ ही दोनों पक्ष 27 जनवरी को अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन में मुक्त व्यापार समझौते, रक्षा रूपरेखा समझौते और एक रणनीतिक एजेंडा को अंतिम रूप दे सकते हैं। शीर्ष राजनयिक सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि नयी दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में मुक्त व्यापार समझौता एक ‘जीवंत दस्तावेज’ होगा जिस पर किसी भी अनसुलझे मुद्दे को सुलझाने के लिए काम जारी रखा जा सकता है। यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अमेरिका की अनुपस्थिति में, भारत और यूरोपीय संघ, फ्रांस के साथ मिलकर वैश्विक संचालन व्यवस्था को लेकर एजेंडा तय कर सकते हैं....। भारत उन बड़े देशों में से एक है जिनके साथ हम काम करते हैं और जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं।’’ ऐसे समय, जब दुनिया अमेरिका की शुल्क नीति के कारण व्यापार में बाधाओं का सामना कर रही है, प्रस्तावित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते से दोनों पक्षों के बीच संबंध और भी प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। इसका सकारात्मक प्रभाव कई अन्य क्षेत्रों में भी पड़ेगा। ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने कृषि बाजार पहुंच और शराब से संबंधित मुद्दों को पहले ही सुलझा लिया है। यहां तक कि उत्पत्ति के नियमों से संबंधित धाराओं के मामले में भी आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों को अभी तक स्टील, कार और यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली के साथ-साथ कुछ नियामकीय मुद्दों को सुलझाना बाकी है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘वैश्विक परिवेश अधिक अस्थिर और प्रतिकूल है और भारत तथा यूरोपीय संघ एक भरोसा पैदा करना और आपूर्ति शृंखलाओं को एकीकृत करना चाहते हैं।’’ दोनों पक्ष पहले ही मुक्त व्यापार समझौते के 12 अध्याय पूरे कर चुके हैं और अब शेष आठ बिंदुओं को पूरा करने के लिए नयी दिल्ली और ब्रसेल्स- दोनों लगभग दैनिक आधार पर वार्ता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सितंबर में प्रतिबद्धता जताई थी कि वे दिसंबर तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे देंगे। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों पक्षों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 135 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफ्कोविक के शेष बिंदुओं पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए दिसंबर की शुरुआत में नयी दिल्ली आने की उम्मीद है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी के डेढ़ महीने बाद होगा। ऐसा समझा जाता है कि यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और अगले दिन भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन होगा। शिखर सम्मेलन या गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संघ 2026 में भारत को प्रभावशाली ब्रिक्स समूह का नेतृत्व और फ्रांस को जी-7 का अध्यक्ष बनाकर वैश्विक एजेंडा तय करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत, यूरोपीय संघ और फ्रांस के बीच सहयोग दुनिया को 2027 के अधिक चुनौतीपूर्ण वर्ष से निपटने में मदद करेगा। उस समय चीन, ब्रिक्स का और ब्रिटेन जी-20 का नेतृत्व करेगा। मुक्त व्यापार समझौते, रक्षा रूपरेखा समझौते और रणनीतिक एजेंडा को मजबूत करने के अलावा, भारत और यूरोपीय संघ के नेतृत्व द्वारा शिखर सम्मेलन में अपने विचार-विमर्श को संयुक्त रूप से दबावपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने पर केंद्रित करने की उम्मीद है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने कहा, ‘‘एक बहुध्रुवीय विश्व मजबूत बहुपक्षीय सहयोग की मांग करता है और इस वैश्विक परिदृश्य में, भारत एक महत्वपूर्ण देश और यूरोपीय संघ के लिए एक स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस नए युग में आगे बढ़ते हुए, मैं हमारी साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों की प्रतीक्षा कर रहा हूं। इसमें पारस्परिक रूप से लाभकारी और आर्थिक रूप से सार्थक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना भी शामिल है।’’ कोस्टा ने कहा कि आगामी यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन हमारे संबंधों को मजबूत करने और एक नए संयुक्त व्यापक रणनीतिक एजेंडे के माध्यम से यूरोपीय संघ और भारत दोनों के लिए समृद्धि, निवेश, नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रणनीतिक एजेंडा एक दूरदर्शी, महत्वाकांक्षी, संतुलित और नियम-आधारित साझेदारी की नींव रखेगा। कोस्टा ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ और भारत भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं, जिसमें लचीली और विविध आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करना, डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देना, हरित परिवर्तन में तेजी लाना और आपसी विश्वास और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर शांति, सुरक्षा और रक्षा मामलों पर सहयोग को गहरा करना शामिल है।’’ नये रणनीतिक एजेंडे में साझा हित के पांच क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें सुरक्षा और रक्षा, संपर्क और वैश्विक मुद्दे, समृद्धि, स्थिरता, तथा प्रौद्योगिकी और नवाचार शामिल हैं। द्विपक्षीय आयाम से परे, नया रणनीतिक एजेंडा वैश्विक मुद्दों पर तथा तीसरे साझेदारों के साथ यूरोपीय संघ-भारत की संयुक्त भागीदारी को रेखांकित करता है, जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।रक्षा क्षेत्र के तहत दस्तावेज़ में समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद निरोध को सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया। नये रणनीतिक एजेंडे में क्षेत्रीय संपर्क पहलों को मजबूत करने प

Nov 26, 2025 - 11:37
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India और European Union 27 जनवरी को FTA, रणनीतिक एजेंडा को दे सकते हैं अंतिम रूप

24 नवंबर वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच यूरोपीय संघ की भारत के साथ मिलकर एक व्यापक वैश्विक एजेंडा बनाने पर नजर है। साथ ही दोनों पक्ष 27 जनवरी को अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन में मुक्त व्यापार समझौते, रक्षा रूपरेखा समझौते और एक रणनीतिक एजेंडा को अंतिम रूप दे सकते हैं। शीर्ष राजनयिक सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि नयी दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में मुक्त व्यापार समझौता एक ‘जीवंत दस्तावेज’ होगा जिस पर किसी भी अनसुलझे मुद्दे को सुलझाने के लिए काम जारी रखा जा सकता है।

यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अमेरिका की अनुपस्थिति में, भारत और यूरोपीय संघ, फ्रांस के साथ मिलकर वैश्विक संचालन व्यवस्था को लेकर एजेंडा तय कर सकते हैं....। भारत उन बड़े देशों में से एक है जिनके साथ हम काम करते हैं और जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं।’’ ऐसे समय, जब दुनिया अमेरिका की शुल्क नीति के कारण व्यापार में बाधाओं का सामना कर रही है, प्रस्तावित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते से दोनों पक्षों के बीच संबंध और भी प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। इसका सकारात्मक प्रभाव कई अन्य क्षेत्रों में भी पड़ेगा। ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने कृषि बाजार पहुंच और शराब से संबंधित मुद्दों को पहले ही सुलझा लिया है।

यहां तक कि उत्पत्ति के नियमों से संबंधित धाराओं के मामले में भी आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों को अभी तक स्टील, कार और यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली के साथ-साथ कुछ नियामकीय मुद्दों को सुलझाना बाकी है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘वैश्विक परिवेश अधिक अस्थिर और प्रतिकूल है और भारत तथा यूरोपीय संघ एक भरोसा पैदा करना और आपूर्ति शृंखलाओं को एकीकृत करना चाहते हैं।’’ दोनों पक्ष पहले ही मुक्त व्यापार समझौते के 12 अध्याय पूरे कर चुके हैं और अब शेष आठ बिंदुओं को पूरा करने के लिए नयी दिल्ली और ब्रसेल्स- दोनों लगभग दैनिक आधार पर वार्ता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सितंबर में प्रतिबद्धता जताई थी कि वे दिसंबर तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे देंगे। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों पक्षों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 135 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफ्कोविक के शेष बिंदुओं पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए दिसंबर की शुरुआत में नयी दिल्ली आने की उम्मीद है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी के डेढ़ महीने बाद होगा। ऐसा समझा जाता है कि यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और अगले दिन भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन होगा। शिखर सम्मेलन या गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संघ 2026 में भारत को प्रभावशाली ब्रिक्स समूह का नेतृत्व और फ्रांस को जी-7 का अध्यक्ष बनाकर वैश्विक एजेंडा तय करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत, यूरोपीय संघ और फ्रांस के बीच सहयोग दुनिया को 2027 के अधिक चुनौतीपूर्ण वर्ष से निपटने में मदद करेगा। उस समय चीन, ब्रिक्स का और ब्रिटेन जी-20 का नेतृत्व करेगा।

मुक्त व्यापार समझौते, रक्षा रूपरेखा समझौते और रणनीतिक एजेंडा को मजबूत करने के अलावा, भारत और यूरोपीय संघ के नेतृत्व द्वारा शिखर सम्मेलन में अपने विचार-विमर्श को संयुक्त रूप से दबावपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने पर केंद्रित करने की उम्मीद है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने कहा, ‘‘एक बहुध्रुवीय विश्व मजबूत बहुपक्षीय सहयोग की मांग करता है और इस वैश्विक परिदृश्य में, भारत एक महत्वपूर्ण देश और यूरोपीय संघ के लिए एक स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस नए युग में आगे बढ़ते हुए, मैं हमारी साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों की प्रतीक्षा कर रहा हूं। इसमें पारस्परिक रूप से लाभकारी और आर्थिक रूप से सार्थक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना भी शामिल है।’’ कोस्टा ने कहा कि आगामी यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन हमारे संबंधों को मजबूत करने और एक नए संयुक्त व्यापक रणनीतिक एजेंडे के माध्यम से यूरोपीय संघ और भारत दोनों के लिए समृद्धि, निवेश, नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रणनीतिक एजेंडा एक दूरदर्शी, महत्वाकांक्षी, संतुलित और नियम-आधारित साझेदारी की नींव रखेगा। कोस्टा ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ और भारत भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं, जिसमें लचीली और विविध आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करना, डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देना, हरित परिवर्तन में तेजी लाना और आपसी विश्वास और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर शांति, सुरक्षा और रक्षा मामलों पर सहयोग को गहरा करना शामिल है।’’ नये रणनीतिक एजेंडे में साझा हित के पांच क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें सुरक्षा और रक्षा, संपर्क और वैश्विक मुद्दे, समृद्धि, स्थिरता, तथा प्रौद्योगिकी और नवाचार शामिल हैं। द्विपक्षीय आयाम से परे, नया रणनीतिक एजेंडा वैश्विक मुद्दों पर तथा तीसरे साझेदारों के साथ यूरोपीय संघ-भारत की संयुक्त भागीदारी को रेखांकित करता है, जो भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।

रक्षा क्षेत्र के तहत दस्तावेज़ में समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद निरोध को सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया। नये रणनीतिक एजेंडे में क्षेत्रीय संपर्क पहलों को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया, जैसे कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), तथा तीसरे देशों के साथ तथा उनमें ‘ग्लोबल गेटवे’ और यूरोपीय संघ-भारत त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाना। नया रणनीतिक एजेंडा 17 सितंबर को यूरोपीय संघ द्वारा जारी किया गया था। इसे यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। अनुमोदन प्रक्रिया के बाद, इसे भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में अंगीकार किया जाएगा।