समस्तीपुर जिला जल जांच प्रयोगशाला को मिली NABL की मान्यता:24 घंटे में मिलेगी पानी की गुणवत्ता की रिपोर्ट, 13 पैरामीटर पर होगी जांच
पीएचईडी विभाग के अधीन संचालित समस्तीपुर की जिला जल जांच प्रयोगशाला को एनएबीएल (राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड) की मान्यता मिल गई है। इसका मतलब यह है कि अब यहां की जांच रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होगी। इस लैब में जिले के किसी भी हिस्से से कोई भी व्यक्ति ताजा पानी का नमूना लाकर उसकी जांच करवा सकता है। चाहे पानी चापाकल का हो, नलजल का या घर के आरओ का, लोग अब यह जान सकेंगे कि वे कितना शुद्ध पानी पी रहे हैं। जांच के बाद 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्रदान कर दी जाएगी। इस रिपोर्ट में पानी में मौजूद विभिन्न मिनरल्स और हानिकारक तत्वों की जानकारी होगी। 13 पैरामीटर पर होगी जांच
पीएचईडी विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कुमार अभिषेक ने बताया कि इस प्रयोगशाला में अब 13 विभिन्न पैरामीटर पर पानी की जांच की जा सकती है। इनमें आयरन, पीएच लेवल, टर्बिडिटी, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिले के सभी नलजल योजनाओं के अंतर्गत आने वाले जल स्रोतों की नियमित जांच की जाती है। गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में महीने में एक बार और अन्य क्षेत्रों में चार महीने में एक बार जांच कराई जाती है। शुद्ध पानी का सेवन न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है बल्कि पेट संबंधी कई बीमारियों से भी बचाता है। विशेष रूप से आयरन युक्त पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर पेयजल में आयरन की मात्रा 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होती है, तो यह न केवल कपड़े और बर्तनों में दाग छोड़ता है बल्कि पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। लोगों को मिलेगा लाभ इससे पहले समस्तीपुर जिले में उच्च गुणवत्ता वाली जांच सुविधा नहीं थी। लोगों को पानी की जांच के लिए पटना भेजना पड़ता था, जो समय और पैसे की बर्बादी थी। अधिकतर लोग इस झंझट से बचने के लिए बिना जांच के ही पानी का इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब स्थानीय स्तर पर जांच सुविधा उपलब्ध होने से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और शुद्ध पानी की ओर झुकाव बढ़ेगा। इस सुविधा से जिले के ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के लोग लाभान्वित होंगे। अब जल की शुद्धता को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और बीमारियों से बचाव भी संभव हो सकेगा। समस्तीपुर की यह पहल अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।
पीएचईडी विभाग के अधीन संचालित समस्तीपुर की जिला जल जांच प्रयोगशाला को एनएबीएल (राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड) की मान्यता मिल गई है। इसका मतलब यह है कि अब यहां की जांच रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होगी। इस लैब में जिले के किसी भी हिस्से से कोई भी व्यक्ति ताजा पानी का नमूना लाकर उसकी जांच करवा सकता है। चाहे पानी चापाकल का हो, नलजल का या घर के आरओ का, लोग अब यह जान सकेंगे कि वे कितना शुद्ध पानी पी रहे हैं। जांच के बाद 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्रदान कर दी जाएगी। इस रिपोर्ट में पानी में मौजूद विभिन्न मिनरल्स और हानिकारक तत्वों की जानकारी होगी। 13 पैरामीटर पर होगी जांच
पीएचईडी विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कुमार अभिषेक ने बताया कि इस प्रयोगशाला में अब 13 विभिन्न पैरामीटर पर पानी की जांच की जा सकती है। इनमें आयरन, पीएच लेवल, टर्बिडिटी, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिले के सभी नलजल योजनाओं के अंतर्गत आने वाले जल स्रोतों की नियमित जांच की जाती है। गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में महीने में एक बार और अन्य क्षेत्रों में चार महीने में एक बार जांच कराई जाती है। शुद्ध पानी का सेवन न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है बल्कि पेट संबंधी कई बीमारियों से भी बचाता है। विशेष रूप से आयरन युक्त पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर पेयजल में आयरन की मात्रा 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होती है, तो यह न केवल कपड़े और बर्तनों में दाग छोड़ता है बल्कि पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। लोगों को मिलेगा लाभ इससे पहले समस्तीपुर जिले में उच्च गुणवत्ता वाली जांच सुविधा नहीं थी। लोगों को पानी की जांच के लिए पटना भेजना पड़ता था, जो समय और पैसे की बर्बादी थी। अधिकतर लोग इस झंझट से बचने के लिए बिना जांच के ही पानी का इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब स्थानीय स्तर पर जांच सुविधा उपलब्ध होने से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और शुद्ध पानी की ओर झुकाव बढ़ेगा। इस सुविधा से जिले के ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के लोग लाभान्वित होंगे। अब जल की शुद्धता को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और बीमारियों से बचाव भी संभव हो सकेगा। समस्तीपुर की यह पहल अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।