1 अगस्त से बदलेंगे UPI के नियम, जानिए क्या पड़ेगा आप पर असर

भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे लोकप्रिय माध्यम बन चुका है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)। बढ़ते उपयोग और सर्वर पर बढ़ते लोड को देखते हुए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अब कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है। इन नए नियमों का असर हर उस व्यक्ति पर पड़ेगा जो यूपीआई से पेमेंट करता है, चाहे वो PhonePe, Google Pay या Paytm इस्तेमाल करता हो। आइए जानते हैं क्या हैं ये बदलाव और कैसे ये आपके दैनिक लेनदेन को प्रभावित करेंगे।अब दिन में सिर्फ 50 बार ही कर सकेंगे बैलेंस चेकNPCI द्वारा 21 मई, 2025 को जारी किए गए नए सर्कुलर के अनुसार, अब यूपीआई यूजर्स एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे। मान लीजिए कि आप एक से अधिक यूपीआई ऐप जैसे PhonePe और Paytm का उपयोग करते हैं, तो हर ऐप पर अलग-अलग 50 बार ही बैलेंस देखने की अनुमति होगी।इसे भी पढ़ें: Gaming App: Apple ला रहा है गेमिंग में क्रांति, नए एप से बदल जाएगा अनुभवक्यों जरूरी है ये बदलाव?बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर पर अत्यधिक लोड पड़ता है जिससे यूपीआई नेटवर्क धीमा हो जाता है और अन्य ट्रांजेक्शन भी प्रभावित होते हैं। यह लिमिट इसलिए तय की गई है ताकि सर्वर स्थिर बना रहे और सेवाएं बाधित न हों।ऑटोपे मेंडेट अब सिर्फ नॉन-पीक टाइम में होंगे प्रोसेसनेटफ्लिक्स, म्यूचुअल फंड SIP, और अन्य सब्सक्रिप्शन के लिए यूपीआई ऑटोपे सेट किया गया होता है। नए नियमों के तहत अब ये ऑटोपे ट्रांजेक्शन सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में ही प्रोसेस होंगे।पीक आवर्स कौन से हैं?- सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक- शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तकइन समयों में ऑटोपे जैसी सिस्टम-जनरेटेड API को या तो सीमित किया जाएगा या पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इससे मैन्युअल ट्रांजेक्शन्स को प्राथमिकता दी जा सकेगी।हर ट्रांजेक्शन के बाद मिलेगा बैलेंस अलर्टNPCI ने सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि हर यूपीआई ट्रांजेक्शन के बाद यूजर को उनका बैलेंस स्टेटस भी भेजा जाए। इससे यूजर्स को बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और नेटवर्क पर भी लोड नहीं बढ़ेगा।इसके साथ ही पीक टाइम में बार-बार बैलेंस चेक करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए UPI ऐप्स को तकनीकी रूप से मजबूत किया जाएगा। इन तकनीकी सुधारों से यूपीआई की गति और भरोसेमंदी बनी रहेगी।नियमों का उल्लंघन करने पर होगी सख्त कार्रवाईNPCI ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि यदि कोई बैंक या पीएसपी (Payment Service Provider) इन नए नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ API ब्लॉकिंग, जुर्माना, और नए ग्राहकों का ऑनबोर्डिंग रोकना जैसे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।सभी पीएसपी को 31 अगस्त 2025 तक एक अंडरटेकिंग NPCI को जमा करनी होगी जिसमें वे यह आश्वासन देंगे कि उनके सिस्टम जनरेटेड API “क्यू” किए जाएंगे और उनकी गति सीमित की जाएगी।रियल टाइम बैलेंस अपडेट मिलेगा, नहीं करनी पड़ेगी बार-बार जांचNPCI ने यह भी सुनिश्चित किया है कि नए नियमों के लागू होने के बाद भी ग्राहकों को रियल टाइम में उनका बैंक बैलेंस अपडेटेड रूप में मिलता रहेगा। इससे यूजर को ट्रांजेक्शन के बाद तुरंत जानकारी मिल जाएगी और उसे बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं होगी।क्या इन बदलावों से हमें परेशानी होगी?शुरुआती तौर पर यह बदलाव थोड़े जटिल लग सकते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य है यूपीआई नेटवर्क को और अधिक तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना। एक दिन में 50 बार बैलेंस चेक करना आमतौर पर किसी यूजर की जरूरत से कहीं अधिक होता है। वहीं, रियल टाइम अपडेट और नॉन-पीक टाइम में ऑटोपे ट्रांजेक्शन से सर्वर पर लोड कम होगा और सभी के लिए सेवाएं बेहतर बनी रहेंगी।- डॉ. अनिमेष शर्मा

Jun 24, 2025 - 17:11
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1 अगस्त से बदलेंगे UPI के नियम, जानिए क्या पड़ेगा आप पर असर
भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे लोकप्रिय माध्यम बन चुका है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)। बढ़ते उपयोग और सर्वर पर बढ़ते लोड को देखते हुए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अब कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है। इन नए नियमों का असर हर उस व्यक्ति पर पड़ेगा जो यूपीआई से पेमेंट करता है, चाहे वो PhonePe, Google Pay या Paytm इस्तेमाल करता हो। आइए जानते हैं क्या हैं ये बदलाव और कैसे ये आपके दैनिक लेनदेन को प्रभावित करेंगे।

अब दिन में सिर्फ 50 बार ही कर सकेंगे बैलेंस चेक
NPCI द्वारा 21 मई, 2025 को जारी किए गए नए सर्कुलर के अनुसार, अब यूपीआई यूजर्स एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे। मान लीजिए कि आप एक से अधिक यूपीआई ऐप जैसे PhonePe और Paytm का उपयोग करते हैं, तो हर ऐप पर अलग-अलग 50 बार ही बैलेंस देखने की अनुमति होगी।

इसे भी पढ़ें: Gaming App: Apple ला रहा है गेमिंग में क्रांति, नए एप से बदल जाएगा अनुभव

क्यों जरूरी है ये बदलाव?
बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर पर अत्यधिक लोड पड़ता है जिससे यूपीआई नेटवर्क धीमा हो जाता है और अन्य ट्रांजेक्शन भी प्रभावित होते हैं। यह लिमिट इसलिए तय की गई है ताकि सर्वर स्थिर बना रहे और सेवाएं बाधित न हों।

ऑटोपे मेंडेट अब सिर्फ नॉन-पीक टाइम में होंगे प्रोसेस
नेटफ्लिक्स, म्यूचुअल फंड SIP, और अन्य सब्सक्रिप्शन के लिए यूपीआई ऑटोपे सेट किया गया होता है। नए नियमों के तहत अब ये ऑटोपे ट्रांजेक्शन सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में ही प्रोसेस होंगे।

पीक आवर्स कौन से हैं?
- सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक
- शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक
इन समयों में ऑटोपे जैसी सिस्टम-जनरेटेड API को या तो सीमित किया जाएगा या पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इससे मैन्युअल ट्रांजेक्शन्स को प्राथमिकता दी जा सकेगी।

हर ट्रांजेक्शन के बाद मिलेगा बैलेंस अलर्ट
NPCI ने सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि हर यूपीआई ट्रांजेक्शन के बाद यूजर को उनका बैलेंस स्टेटस भी भेजा जाए। इससे यूजर्स को बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और नेटवर्क पर भी लोड नहीं बढ़ेगा।

इसके साथ ही पीक टाइम में बार-बार बैलेंस चेक करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए UPI ऐप्स को तकनीकी रूप से मजबूत किया जाएगा। इन तकनीकी सुधारों से यूपीआई की गति और भरोसेमंदी बनी रहेगी।

नियमों का उल्लंघन करने पर होगी सख्त कार्रवाई
NPCI ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि यदि कोई बैंक या पीएसपी (Payment Service Provider) इन नए नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ API ब्लॉकिंग, जुर्माना, और नए ग्राहकों का ऑनबोर्डिंग रोकना जैसे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

सभी पीएसपी को 31 अगस्त 2025 तक एक अंडरटेकिंग NPCI को जमा करनी होगी जिसमें वे यह आश्वासन देंगे कि उनके सिस्टम जनरेटेड API “क्यू” किए जाएंगे और उनकी गति सीमित की जाएगी।

रियल टाइम बैलेंस अपडेट मिलेगा, नहीं करनी पड़ेगी बार-बार जांच
NPCI ने यह भी सुनिश्चित किया है कि नए नियमों के लागू होने के बाद भी ग्राहकों को रियल टाइम में उनका बैंक बैलेंस अपडेटेड रूप में मिलता रहेगा। इससे यूजर को ट्रांजेक्शन के बाद तुरंत जानकारी मिल जाएगी और उसे बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं होगी।

क्या इन बदलावों से हमें परेशानी होगी?
शुरुआती तौर पर यह बदलाव थोड़े जटिल लग सकते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य है यूपीआई नेटवर्क को और अधिक तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना। एक दिन में 50 बार बैलेंस चेक करना आमतौर पर किसी यूजर की जरूरत से कहीं अधिक होता है। वहीं, रियल टाइम अपडेट और नॉन-पीक टाइम में ऑटोपे ट्रांजेक्शन से सर्वर पर लोड कम होगा और सभी के लिए सेवाएं बेहतर बनी रहेंगी।

- डॉ. अनिमेष शर्मा