ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की बमबारी से तेल कीमतों में वृद्धि की आशंकाएं प्रबल हो गयी हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि तेल के दाम बढ़े तो दुनिया भर में महंगाई बढ़ेगी और आर्थिक गतिविधियों में अनिश्चितता आयेगी। ईरान के हालात से उपजी स्थितियों को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बातें चल रही हैं। कहा जा रहा है कि गाड़ी में तेल भरवा कर रख लो क्योंकि कीमतें बढ़ने जा रही हैं। इस रिपोर्ट के माध्यम से हम पड़ताल करेंगे कि क्या आपको वाकई अपनी गाड़ी का टैंक फुल करवा कर रख लेना चाहिए?
हम आपको बता दें कि ईरान ने अमेरिकी हमलों का जवाब देने की बात कही है ऐसे में यदि युद्ध व्यापक रूप लेता है तो इसके जो नकारात्मक प्रभाव होंगे उसमें ऊर्जा कीमतों में वृद्धि की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं। हालांकि इज़राइली शेयर बाजार संकेत दे रहा है कि अब जब ईरान के परमाणु शक्ति बनने की संभावना कम हो गयी है तो मध्य पूर्व की अर्थव्यवस्थाओं में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अगर ईरान हार्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करता है तो भी तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। हम आपको बता दें कि हार्मुज़ जलडमरूमध्य 33 किमी चौड़ा है और वहां से दुनिया का लगभग एक-चौथाई तेल व्यापार और 20% तरल प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होती है। वैसे विश्लेषकों का यह भी कहना है कि अगर ईरान हार्मुज़ को पूरी तरह बंद कर देता है तो उसकी खुद की तेल आपूर्ति भी बंद हो जाएगी। हम आपको बता दें कि तेल की कीमतें सोमवार (23 जून, 2025) को जनवरी के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं क्योंकि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया है जिससे आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ गई है। हम आपको यह भी बता दें कि ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है।
तेल बाजार को डर है कि ईरान की जवाबी कार्रवाई में अगर हार्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद किया गया तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ेगा। हम आपको यह भी बता दें कि ईरान की प्रेस टीवी ने बताया है कि ईरानी संसद ने इस जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। वैसे ईरान पहले भी ऐसा करने की धमकी दे चुका है लेकिन कभी इस पर अमल नहीं किया। हालांकि इस क्षेत्र से बाहर वैकल्पिक पाइपलाइन मार्ग मौजूद हैं, लेकिन जलडमरूमध्य बंद होने की स्थिति में तेल की पूरी मात्रा का निर्यात संभव नहीं हो पाएगा। माना जा रहा है कि डर के कारण शिपिंग कंपनियां इस क्षेत्र से बाहर ही रहना पसंद करेंगी।
जहां तक भारत का सवाल है तो इसके बारे में मोदी सरकार बेहद गंभीर है कि तेल की कमी नहीं होने पाये। वैसे भी भारत के पास रिकॉर्ड संख्या में तेल रिजर्व है इसलिए यहां कीमतें बढ़ने की गुंजाइश कम ही है। भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा भी है कि हमने इस स्थिति का पूर्वानुमान लगाया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार लगातार स्थिति की समीक्षा कर रही है, जिसमें होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की संभावना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हम आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाये हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से आता है। पेट्रोलिय मंत्री ने बताया कि हम अन्य मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल आयात करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है। उनमें से अधिकांश के पास तीन सप्ताह तक का स्टॉक है। उनमें से एक के पास 25 दिनों का स्टॉक है। उन्होंने कहा कि हम अन्य मार्गों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं... इस मामले में किसी भी चिंता का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सामने आने वाली स्थिति पर नज़र रखेंगे और प्रधानमंत्री पहले ही सभी प्रमुख नेताओं से बात कर चुके हैं। उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति से तनाव कम करने के लिए लंबी बातचीत की है। यह हमारी आशा है और हम सभी अपेक्षा करते हैं कि स्थिति और अधिक बिगड़ने के बजाय शांत हो जाएगी और तनाव कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम बदलती स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।