जिस बच्ची को मां ने लावारिस छोड़ा, उसे कुत्तों ने बचाया, बच्ची को घेरकर रातभर करते रहे रखवाली
कहते हैं इंसान संवेदनशील होते हैं और जानवरों से बेहतर होते हैं, लेकिन हाल ही में बेजुबान जानवर कुत्तों ने जो मिसाल पेश की है, जो संवेदनशीलता दिखाई है, उससे साफ जाहिर है कि कुत्तों को जिस तरह से देशभर में हिंसक बताया जा रहा है, ऐसा नहीं है। हाल ही ...
कहते हैं इंसान संवेदनशील होते हैं और जानवरों से बेहतर होते हैं, लेकिन हाल ही में बेजुबान जानवर कुत्तों ने जो मिसाल पेश की है, जो संवेदनशीलता दिखाई है, उससे साफ जाहिर है कि कुत्तों को जिस तरह से देशभर में हिंसक बताया जा रहा है, ऐसा नहीं है। हाल ही में कुत्तों ने संवेदनशीलता का बेहतरीन नमूना पेश किया है।
बच्ची को उठाया तो उनका दिल कांप उठा : दरअसल, पश्चिम बंगाल के नवद्वीप शहर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां आवारा कुत्तों ने एक नवजात बच्ची की जान बचाई। दरअसल देर रात, जब एक बच्ची शौचालय के पास सड़क पर लावारिस पड़ी थी, तो कुत्तों के एक झुंड ने उसे घेर लिया। वे बच्ची के आसपास रातभर खड़े रहे, जैसे उसकी रखवाली कर रहे हों। सुबह जब एक महिला वहां पहुंची, तो कुत्तों ने उसे रास्ता दिया और महिला ने बच्ची को उठाया। महिला ने बच्ची को उठाया तो उनका दिल कांप उठा। उसने कहा कि जिन कुत्तों को हम अक्सर पत्थर मारकर भगाते हैं, उन्होंने वो किया जो शायद कई इंसान भी नहीं करते। उन्होंने इस बच्चे को जीवित रखा। यह घटना नवद्वीप के स्वराजपुर रेल कॉलोनी में हुई। और सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है। बता दें कि देशभर में सड़क के कुत्तों को लेकर बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों को सड़क से हटाकर शेल्टर होम में भेजने के लिए निर्देश दिए हैं।
क्या बताया राधा भौमिक ने : राधा भौमिक ने बताया कि रात के अंधेरे में कोई नवजात बच्ची को शौचालय के पास छोड़ गया था। कुछ ही घंटों की यह बच्ची अकेली था, लेकिन आवारा कुत्तों के एक झुंड ने उसे अकेला नहीं छोड़ा। कुत्तों ने बच्ची को चारों ओर से घेर लिया और उसकी रखवाली करने लगे। वे न तो भौंक रहे थे और न ही हिल रहे थे, जैसे उन्हें पता था कि बच्ची को उनकी जरूरत है। सुबह जब मैं शौचालय की ओर गईं, तो मैंने कुत्तों को देखा। कुत्ते थोड़ा हट गए, जिससे मुझे बच्ची दिखाई दी। राधा ने कहा कि ये कुत्ते, जिन्हें हम अक्सर भगाते हैं, उन्होंने वो किया जो कई इंसान नहीं करते। उन्होंने बच्चे को जिंदा रखा। मैंने तुरंत बच्चे को गोद में उठाया और मदद के लिए चिल्लाईं।
जन्म देते ही छोड़ दिया बच्ची को : राधा की आवाज सुनकर उनकी भतीजी-बहू प्रीति भौमिक दौड़कर आईं और बच्ची को महेशगंज अस्पताल ले गईं। वहां से डॉक्टरों ने बच्ची को कृष्णानगर सदर अस्पताल भेज दिया। डॉक्टरों ने बच्ची के शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं पाई। सिर पर जो खून था, वह जन्म के समय का लग रहा था। पुलिस का कहना है कि बच्ची को जन्म के तुरंत बाद छोड़ दिया गया था। पुलिस और चाइल्डलाइन के कर्मचारियों ने जांच शुरू कर दी है और बच्चे की सुरक्षा और देखभाल के लिए बाल कल्याण समिति से संपर्क किया है।
Edited By: Navin Rangiyal



