Putin-Trump मुलाकात के बाद खुद को बचाने में लग गया चीन, विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के क्या हैं मायने?
जियोपॉलिटिक्स के चेसबोर्ड में फिर से हलचल होने लगी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी कुछ ही देर में भारत पहुंचने वाले हैं। आज शाम 6 बजे के करीब वो अपने समकक्ष डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। ये मीटिंग इसलिए भी बहुत अहम हो जाती है क्योंकि गलवान के बाद भारत और चीन के बीच में रिश्तों को लेकर टेंशन आ गई थी। चीन की तरफ से ही इस टेंशन को जन्म दिया गया था। लेकिन अब चीन को भी इस बात का अहसास होने लगा है कि इतने बड़े पड़ोसी देश के साथ आप कब तक मतभेद के साथ रह सकते हैं। वो भी ऐसे वक्त में जब उसके सामने ट्रंप जैसी बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है और वो चीन पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।इसे भी पढ़ें: दुस्साहस किया तो...पाकिस्तान की गीदड़भभकी पर भारत का मुंहतोड़ जवाब पीएम मोदी के साथ बैठकचीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उनके कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक भी शामिल है। गौरतलब है कि वरिष्ठ चीनी राजनयिक की नई दिल्ली यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब प्रधानमंत्री मोदी सात वर्षों में पहली बार चीन की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन की यात्रा पर रहेंगे, जहाँ उनके चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की। इस बीच, वांग यी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचेंगे, जिसमें वह अपने भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी बातचीत करेंगे। इसे भी पढ़ें: पहले NSA डोभाल और अब विदेश मंत्री जयशंकर, 20-21 अगस्त को करेंगे रूस की यात्रामोदी-शी द्विपक्षीय बैठक के एजेंडे को दिया जाएगा आकार विदेश मंत्रियों की वार्ता सोमवार शाम को निर्धारित है। इस बीच, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वांग यी और डोभाल मंगलवार सुबह सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता के लिए मिलेंगे। चीनी विदेश मंत्री की प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक मंगलवार शाम 5:30 बजे होगी। इस बातचीत के दौरान, वांग यी प्रधानमंत्री मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चीन-भारत संबंधों में हालिया प्रगति के बारे में जानकारी देंगे। जयशंकर और वांग यी आगामी मोदी-शी द्विपक्षीय बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप देने पर भी विचार करेंगे। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने की घोषणा भी जल्द ही होने की उम्मीद है। खुद को बचाने में लगा चीन चीन का भारत के साथ नई नई मोहब्बत का सिलसिला का एक कारण तो ट्रंप है ही। लेकिन इससे इतर चीन को लग रहा है कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई सचमुच खत्म हो सकती है। रूस और यूक्रेन की लड़ाई खत्म होने पर रूस के साथ साथ भारत का भी फायदा ही है। लेकिन अगर इस जंग के खत्म होने पर सबसे ज्यादा नुकसान जेलेंस्की के बाद किसी का होगा तो वो चीन ही है। जेलेंस्की को तो इस समझौते से नुकसान उठाना पड़ेगा। अभी तक दुनिया की नजरे गाजा में बमबारी, यूक्रेन में जंग पर टिकी है। लेकिन दुनिया की नजरों से बचते छुपते चीन अपनी इकोनॉमी को मजबूत कर रहा, नए नए वेपन ला रहा, फौज को मार्डनाइज कर रहा है। चीन को कोविड के बाद बहुत बड़ा झटका लगा। लेकिन फिर उसके लिए रूस और यूक्रेन की जंग एक वरदान जैसी साबित हुई। सब कोविड के जिम्मेदार मानने वाले चीन को भुला रूस पर इस जंग के बाद टूट पड़े। लेकिन अब चीन को लगता है कि इस जंग के खत्म होने के बाद चीन निशाने पर आ सकता है।
जियोपॉलिटिक्स के चेसबोर्ड में फिर से हलचल होने लगी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी कुछ ही देर में भारत पहुंचने वाले हैं। आज शाम 6 बजे के करीब वो अपने समकक्ष डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। ये मीटिंग इसलिए भी बहुत अहम हो जाती है क्योंकि गलवान के बाद भारत और चीन के बीच में रिश्तों को लेकर टेंशन आ गई थी। चीन की तरफ से ही इस टेंशन को जन्म दिया गया था। लेकिन अब चीन को भी इस बात का अहसास होने लगा है कि इतने बड़े पड़ोसी देश के साथ आप कब तक मतभेद के साथ रह सकते हैं। वो भी ऐसे वक्त में जब उसके सामने ट्रंप जैसी बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है और वो चीन पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: दुस्साहस किया तो...पाकिस्तान की गीदड़भभकी पर भारत का मुंहतोड़ जवाब
पीएम मोदी के साथ बैठक
चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उनके कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक भी शामिल है। गौरतलब है कि वरिष्ठ चीनी राजनयिक की नई दिल्ली यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब प्रधानमंत्री मोदी सात वर्षों में पहली बार चीन की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन की यात्रा पर रहेंगे, जहाँ उनके चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की। इस बीच, वांग यी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचेंगे, जिसमें वह अपने भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी बातचीत करेंगे।
इसे भी पढ़ें: पहले NSA डोभाल और अब विदेश मंत्री जयशंकर, 20-21 अगस्त को करेंगे रूस की यात्रा
मोदी-शी द्विपक्षीय बैठक के एजेंडे को दिया जाएगा आकार
विदेश मंत्रियों की वार्ता सोमवार शाम को निर्धारित है। इस बीच, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वांग यी और डोभाल मंगलवार सुबह सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता के लिए मिलेंगे। चीनी विदेश मंत्री की प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक मंगलवार शाम 5:30 बजे होगी। इस बातचीत के दौरान, वांग यी प्रधानमंत्री मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चीन-भारत संबंधों में हालिया प्रगति के बारे में जानकारी देंगे। जयशंकर और वांग यी आगामी मोदी-शी द्विपक्षीय बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप देने पर भी विचार करेंगे। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने की घोषणा भी जल्द ही होने की उम्मीद है।
खुद को बचाने में लगा चीन
चीन का भारत के साथ नई नई मोहब्बत का सिलसिला का एक कारण तो ट्रंप है ही। लेकिन इससे इतर चीन को लग रहा है कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई सचमुच खत्म हो सकती है। रूस और यूक्रेन की लड़ाई खत्म होने पर रूस के साथ साथ भारत का भी फायदा ही है। लेकिन अगर इस जंग के खत्म होने पर सबसे ज्यादा नुकसान जेलेंस्की के बाद किसी का होगा तो वो चीन ही है। जेलेंस्की को तो इस समझौते से नुकसान उठाना पड़ेगा। अभी तक दुनिया की नजरे गाजा में बमबारी, यूक्रेन में जंग पर टिकी है। लेकिन दुनिया की नजरों से बचते छुपते चीन अपनी इकोनॉमी को मजबूत कर रहा, नए नए वेपन ला रहा, फौज को मार्डनाइज कर रहा है। चीन को कोविड के बाद बहुत बड़ा झटका लगा। लेकिन फिर उसके लिए रूस और यूक्रेन की जंग एक वरदान जैसी साबित हुई। सब कोविड के जिम्मेदार मानने वाले चीन को भुला रूस पर इस जंग के बाद टूट पड़े। लेकिन अब चीन को लगता है कि इस जंग के खत्म होने के बाद चीन निशाने पर आ सकता है।



