पहले UAE और अब कुवैत, क्या किया ऐसा? भारतीयों पर होगा सीधा असर

संयुक्त अरब अमीरात की तर्ज पर मीडिल ईस्ट के एक और बड़े देश ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। आपको बता दें कि यूएई हर क्षेत्र में अमीरातीकरण (नौकरियों में अपने नागरिकों की संख्या बढ़ाना) को बढ़ावा दे रहा है। अब यूएई के बाद कुवैत ने भी एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। कुवैत के न्याय मंत्री, काउंसलर नासिर अल-सुमैत ने पुष्टि की है कि देश की न्यायपालिका 2030 तक पूरी तरह से कुवैतीकृत हो जाएगी, जिसका अर्थ है कि सभी न्यायिक पद, जो वर्तमान में कभी-कभी विदेशी कर्मचारियों के पास होते हैं, योग्य कुवैती नागरिकों द्वारा ग्रहण किए जाएँगे। यह पहल स्थानीय प्रतिभाओं को मज़बूत करने, राष्ट्रीय पेशेवरों को सशक्त बनाने और विधि क्षेत्र के आधुनिकीकरण हेतु व्यापक सुधारों का एक प्रमुख स्तंभ है। मध्य-पूर्वी देश के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर, विशेष रूप से तेल और तकनीकी क्षेत्र से कहा जा रहा है कि वो देश के नागरिकों को अधिक से अधिक संख्या में नौकरी दें।इसे भी पढ़ें: CBI का एक्शन, बैंक धोखाधड़ी के आरोपी को UAE से लाया गया भारतमंत्री अल-सुमैत ने कहा कि पीपल मैटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासी न्यायाधीशों और कर्मचारियों की जगह कुशल कुवैती पेशेवरों को नियुक्त करने की प्रक्रिया सभी न्यायिक विभागों में पहले से ही आगे बढ़ रही है। उन्होंने योजना के पीछे के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हुए कहा कि इस मामले पर निर्णय हो चुका है और हम 2030 तक 100% कुवैतीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। न्याय मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए गहन समन्वय कर रहा है कि सभी नियुक्तियाँ और पदोन्नतियाँ कुवैती उम्मीदवारों की गुणवत्ता, प्रशिक्षण और तत्परता को प्राथमिकता दें। महत्वाकांक्षी स्टाफिंग लक्ष्य के साथ, न्यायिक स्वतंत्रता कानून विधायी समीक्षा के अधीन है जिसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वायत्तता को सुरक्षित करना, प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना और राष्ट्रीय संरचनाओं को समकालीन कानूनी सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करना है।भारतीयों पर होगा असरगल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2024 तक कुवैत में लगभग 10 लाख 7 हजार भारतीय नागरिक रह रहे थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 20% है। 2025 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि कुवैत की 5,098,000 की आबादी में 70% लोग प्रवासी हैं, जिनमें से लगभग 29% प्रवासी भारतीय हैं। कुवैत में इतनी बड़ी भारतीय आबादी को देखते हुए कुवैतीकरण का सबसे बड़ा असर भारत पर ही होने वाला है। इससे कुवैत में कुशल और गैर-कुशल भारतीयों को नौकनी मिलने में कठिनाई बढ़ेगी।विदेशी लोग कुवैत की नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकते हैं?मध्य पूर्व के अधिकांश अन्य देशों की तरह, कुवैत में भी नागरिकता के लिए, विशेष रूप से गैर-अरब और गैर-मुस्लिमों के लिए, अत्यधिक प्रतिबंधात्मक मानदंड हैं। कुवैत, आंतरिक मंत्री द्वारा नामित कुवैती नागरिकों की एक उच्च समिति द्वारा व्यापक समीक्षा के बाद, कुवैती पुरुषों से विवाह के मामले सहित सीमित प्राकृतिककरण की अनुमति देता है। कुवैत की आबादी 50 लाख है, जिसमें से केवल 15 लाख कुवैती नागरिक हैं, जबकि शेष 32.9 लाख विदेशी नागरिक हैं। 10 लाख की संख्या वाले प्रवासी समुदाय के साथ, भारतीय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं और देश की कुल आबादी का 21 प्रतिशत हिस्सा हैं। 

Aug 18, 2025 - 22:56
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पहले UAE और अब कुवैत, क्या किया ऐसा? भारतीयों पर होगा सीधा असर

संयुक्त अरब अमीरात की तर्ज पर मीडिल ईस्ट के एक और बड़े देश ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। आपको बता दें कि यूएई हर क्षेत्र में अमीरातीकरण (नौकरियों में अपने नागरिकों की संख्या बढ़ाना) को बढ़ावा दे रहा है। अब यूएई के बाद कुवैत ने भी एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। कुवैत के न्याय मंत्री, काउंसलर नासिर अल-सुमैत ने पुष्टि की है कि देश की न्यायपालिका 2030 तक पूरी तरह से कुवैतीकृत हो जाएगी, जिसका अर्थ है कि सभी न्यायिक पद, जो वर्तमान में कभी-कभी विदेशी कर्मचारियों के पास होते हैं, योग्य कुवैती नागरिकों द्वारा ग्रहण किए जाएँगे। यह पहल स्थानीय प्रतिभाओं को मज़बूत करने, राष्ट्रीय पेशेवरों को सशक्त बनाने और विधि क्षेत्र के आधुनिकीकरण हेतु व्यापक सुधारों का एक प्रमुख स्तंभ है। मध्य-पूर्वी देश के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर, विशेष रूप से तेल और तकनीकी क्षेत्र से कहा जा रहा है कि वो देश के नागरिकों को अधिक से अधिक संख्या में नौकरी दें।

इसे भी पढ़ें: CBI का एक्शन, बैंक धोखाधड़ी के आरोपी को UAE से लाया गया भारत

मंत्री अल-सुमैत ने कहा कि पीपल मैटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासी न्यायाधीशों और कर्मचारियों की जगह कुशल कुवैती पेशेवरों को नियुक्त करने की प्रक्रिया सभी न्यायिक विभागों में पहले से ही आगे बढ़ रही है। उन्होंने योजना के पीछे के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हुए कहा कि इस मामले पर निर्णय हो चुका है और हम 2030 तक 100% कुवैतीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। न्याय मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए गहन समन्वय कर रहा है कि सभी नियुक्तियाँ और पदोन्नतियाँ कुवैती उम्मीदवारों की गुणवत्ता, प्रशिक्षण और तत्परता को प्राथमिकता दें। महत्वाकांक्षी स्टाफिंग लक्ष्य के साथ, न्यायिक स्वतंत्रता कानून विधायी समीक्षा के अधीन है जिसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वायत्तता को सुरक्षित करना, प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना और राष्ट्रीय संरचनाओं को समकालीन कानूनी सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करना है।

भारतीयों पर होगा असर

गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2024 तक कुवैत में लगभग 10 लाख 7 हजार भारतीय नागरिक रह रहे थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 20% है। 2025 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि कुवैत की 5,098,000 की आबादी में 70% लोग प्रवासी हैं, जिनमें से लगभग 29% प्रवासी भारतीय हैं। कुवैत में इतनी बड़ी भारतीय आबादी को देखते हुए कुवैतीकरण का सबसे बड़ा असर भारत पर ही होने वाला है। इससे कुवैत में कुशल और गैर-कुशल भारतीयों को नौकनी मिलने में कठिनाई बढ़ेगी।

विदेशी लोग कुवैत की नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

मध्य पूर्व के अधिकांश अन्य देशों की तरह, कुवैत में भी नागरिकता के लिए, विशेष रूप से गैर-अरब और गैर-मुस्लिमों के लिए, अत्यधिक प्रतिबंधात्मक मानदंड हैं। कुवैत, आंतरिक मंत्री द्वारा नामित कुवैती नागरिकों की एक उच्च समिति द्वारा व्यापक समीक्षा के बाद, कुवैती पुरुषों से विवाह के मामले सहित सीमित प्राकृतिककरण की अनुमति देता है। कुवैत की आबादी 50 लाख है, जिसमें से केवल 15 लाख कुवैती नागरिक हैं, जबकि शेष 32.9 लाख विदेशी नागरिक हैं। 10 लाख की संख्या वाले प्रवासी समुदाय के साथ, भारतीय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं और देश की कुल आबादी का 21 प्रतिशत हिस्सा हैं।