जयराम रमेश का बड़ा बयान, जनता कर्ज में डूबी, मुनाफा कमा रहे हैं मोदी के मित्र
congress on indian economy : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से संबंधित खबरों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पिछले 2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90 ...

Congress on Indian Economy : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से संबंधित खबरों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पिछले 2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90 हजार रुपए से बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है। जनता कर्ज में डूब रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं तथा उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है।
रमेश ने सोशल मीडिटा साइट एक्स पर पोस्ट कर कहा, अच्छे दिन का कर्ज़! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसका अंजाम आज देश की जनता भुगत रही है। यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है।
रमेश ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और विषेशज्ञों का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नही कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है। उन्होंने कहा कि 2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90,000 रुपए बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है यानी लोगों की आमदनी का 25.7 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है।"अच्छे दिन" का कर्ज़ा!
मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसके नुकसान आज देश की जनता भुगत रही है। यह सच्चाई किसी न किसी… pic.twitter.com/Liyllm9jbY — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 2, 2025
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत कर्ज तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल ईएमआई आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं। असुरक्षित कर्ज 25 प्रतिशत पार हो चुका है।
रमेश के अनुसार, सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों का/बाहरी कर्ज 736.3 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है। युवाओं के पास नौकरी नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महंगाई से जनता त्रस्त है और संवैधानिक संस्थाओं को कुचला जा रहा है।
रमेश ने कहा कि सीधा सवाल यह है कि जब सारी सरकारी परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी या निजी भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है तथा हर देशवासी पर 4,80,000 रुपए का कर्ज क्यों हो गया है?
edited by : Nrapendra Gupta