सुपरकंप्यूटर की जगह AI मॉडल से मानसून की डिटेल ली:30 दिन पहले ही सरकार ने किसानों को बारिश का अलर्ट भेजा, 38 लाख को फायदा

भारत सरकार ने इस साल पहली बार पारंपरिक सुपरकम्प्यूटर मॉडल की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित मौसम मॉडल का इस्तेमाल किया। इन मॉडल्स के जरिए 38 लाख किसानों को मानसून से जुड़ी जानकारी दी गई। AI मॉडल्स ने न सिर्फ 30 दिन पहले मानसूनी बारिश के आगमन का सही समय बताया, बल्कि बीच में 20 दिन बारिश रुकने की चेतावनी भी दी, जो पारंपरिक मॉडल नहीं पकड़ सके। किसानों ने बताया कि इन पूर्वानुमानों के आधार पर उन्होंने बुवाई और फसल चयन के फैसले लिए। देश में मानसून केरल के रास्ते 2 जून को आता है, लेकिन इस बार 8 दिन पहले 24 मई को ही आ गया था। 11 अक्टूबर को मानसून की वापसी हुई। इस मानसूनी सीजन (जून-सितंबर) 937.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य बारिश 870 मिमी से 8% ज्यादा रही। ECMWF, NeuralGCM इन दो मॉडल का यूज हुआ एआई मॉडल्स पुराने मौसम डेटा के पैटर्न पहचानकर अनुमान लगाते हैं। इससे वे कम संसाधनों और समय में सटीक भविष्यवाणी कर पाते हैं। इस बार भारत में दो प्रमुख मॉडल्स- ECMWF और गूगल का NeuralGCM- का संयुक्त रूप से उपयोग हुआ। पारंपरिक नेचुरल वेदर प्रोसेसिंग और एआई का संतुलन बनाकर बेहतर परिणाम मिले। इस परियोजना का संचालन ह्यूमन-सेंटर्ड वेदर फोरकास्ट्स इनिशिएटिव (HCIF) ने किया। इसे गेट्स फाउंडेशन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से फंडिंग मिली। HCIF इसे अफ्रीका, बांग्लादेश, चिली, इथियोपिया और केन्या जैसे देशों में भी लागू कर रहा है। इसकी खूबी ये है कि इन्हें सुपरकम्प्यूटर की जरूरत नहीं होती। ये साधारण लैपटॉप पर भी चल सकते हैं। इससे गरीब देशों को भी सटीक और समय पर मौसम जानकारी मिल सकती है। महज दो सेकेंड में तूफान व बारिश का हफ्तेभर का सटीक डेटा देता है ............................ यह खबर भी पढ़ें... PM मोदी ने 3 परम रुद्र सुपरकम्प्यूटर लॉन्च किए: बोले- हमारी सरकार साइंस-टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही, 2035 तक हमारा स्पेस स्टेशन होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटर और मौसम व जलवायु रिसर्च के लिए एक हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम लॉन्च किया था। पीएम ने कहा कि कोई देश तभी बड़ी उपलब्धियों पर निशाना लगा सकता है, जब उसका विजन बड़ा हो। तकनीक को अपग्रेड करने का काम गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...

Oct 25, 2025 - 08:02
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सुपरकंप्यूटर की जगह AI मॉडल से मानसून की डिटेल ली:30 दिन पहले ही सरकार ने किसानों को बारिश का अलर्ट भेजा, 38 लाख को फायदा
भारत सरकार ने इस साल पहली बार पारंपरिक सुपरकम्प्यूटर मॉडल की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित मौसम मॉडल का इस्तेमाल किया। इन मॉडल्स के जरिए 38 लाख किसानों को मानसून से जुड़ी जानकारी दी गई। AI मॉडल्स ने न सिर्फ 30 दिन पहले मानसूनी बारिश के आगमन का सही समय बताया, बल्कि बीच में 20 दिन बारिश रुकने की चेतावनी भी दी, जो पारंपरिक मॉडल नहीं पकड़ सके। किसानों ने बताया कि इन पूर्वानुमानों के आधार पर उन्होंने बुवाई और फसल चयन के फैसले लिए। देश में मानसून केरल के रास्ते 2 जून को आता है, लेकिन इस बार 8 दिन पहले 24 मई को ही आ गया था। 11 अक्टूबर को मानसून की वापसी हुई। इस मानसूनी सीजन (जून-सितंबर) 937.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य बारिश 870 मिमी से 8% ज्यादा रही। ECMWF, NeuralGCM इन दो मॉडल का यूज हुआ एआई मॉडल्स पुराने मौसम डेटा के पैटर्न पहचानकर अनुमान लगाते हैं। इससे वे कम संसाधनों और समय में सटीक भविष्यवाणी कर पाते हैं। इस बार भारत में दो प्रमुख मॉडल्स- ECMWF और गूगल का NeuralGCM- का संयुक्त रूप से उपयोग हुआ। पारंपरिक नेचुरल वेदर प्रोसेसिंग और एआई का संतुलन बनाकर बेहतर परिणाम मिले। इस परियोजना का संचालन ह्यूमन-सेंटर्ड वेदर फोरकास्ट्स इनिशिएटिव (HCIF) ने किया। इसे गेट्स फाउंडेशन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से फंडिंग मिली। HCIF इसे अफ्रीका, बांग्लादेश, चिली, इथियोपिया और केन्या जैसे देशों में भी लागू कर रहा है। इसकी खूबी ये है कि इन्हें सुपरकम्प्यूटर की जरूरत नहीं होती। ये साधारण लैपटॉप पर भी चल सकते हैं। इससे गरीब देशों को भी सटीक और समय पर मौसम जानकारी मिल सकती है। महज दो सेकेंड में तूफान व बारिश का हफ्तेभर का सटीक डेटा देता है ............................ यह खबर भी पढ़ें... PM मोदी ने 3 परम रुद्र सुपरकम्प्यूटर लॉन्च किए: बोले- हमारी सरकार साइंस-टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही, 2035 तक हमारा स्पेस स्टेशन होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटर और मौसम व जलवायु रिसर्च के लिए एक हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम लॉन्च किया था। पीएम ने कहा कि कोई देश तभी बड़ी उपलब्धियों पर निशाना लगा सकता है, जब उसका विजन बड़ा हो। तकनीक को अपग्रेड करने का काम गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...