उत्तर प्रदेश के संभल में पुलिस द्वारा फ्लैग मार्च निकाला गया। आज मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को बरकरार रखा। संभल के एसपी कृष्ण बिश्नोई ने कहा कि कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए संभल पुलिस द्वारा पैदल गश्त की जा रही है। साइबर स्पेस पर भी नजर रखी जा रही है। मेरी सभी से अपील है कि ऐसी कोई टिप्पणी न करें जिससे कोर्ट की गरिमा पर सवाल उठे और साथ ही किसी दूसरे समुदाय पर कोई टिप्पणी न करें। कोई अभद्र टिप्पणी न की जाए।
इससे पहले हाई कोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है और उन सभी लोगों के लिए यह गलत धारणा है जिन्होंने देश में यह भ्रम फैलाया था कि 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी द्वारा नियुक्त सर्वेक्षण आयुक्त एक गलत नियुक्ति थी और उन्हें नियुक्ति करने से पहले मस्जिद समिति को सुनना चाहिए था। आज कानून की उस प्रस्तावना को अदालत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। कानून की सरल प्रस्तावना यह है कि अदालत आदेश 26, नियम 9 और 10 की शक्ति का प्रयोग करते हुए सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति कर सकती है।
उन्होंने कहा कि कानून का आदेश सिर्फ इतना है कि जब सर्वे कमिश्नर मौके पर सर्वे के लिए जाए तो दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे करे। जिसका पालन यहां दोनों दिन यानी 19 और 24 नवंबर को हुआ। तो बड़े-बड़े बैरिस्टरों और सांसदों ने जो इस पूरी प्रक्रिया की गरिमा पर कोर्ट की गरिमा और पक्षों की गरिमा पर टिप्पणियां की थीं, आज एक तर्कपूर्ण फैसले ने उस पर पूर्ण विराम लगा दिया है। हम सर्वे रिपोर्ट पर स्टे वेकेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट आएंगे, जो सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गई है। वहीं, हाईकोर्ट ने मुकदमे पर लगी रोक हटा दी है। इसका मतलब है कि मुकदमा आगे बढ़ेगा।