Pahalgam terror attack : सैनिक वर्दी में आए थे आतंकी, नाम और धर्म पूछकर पर्यटकों को मौत के घाट उतारा, पढ़िए कैसे रची थी पूरी साजिश
कुछ दिन पहले जम्मू के बॉर्डर से इस ओर घुस कर वाया किश्तवाड़ होते हुए कश्मीर में पहुंचे आतंकियों के एक दल ने आज जो कहर बरपाया नतीजतन 28 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 2 विदेशी नागरिक थे तो बाकी देश के विभिन्न कोनों से बाने वाले पयर्टक। ...

Pahalgam terror attack news update : कुछ दिन पहले जम्मू के बॉर्डर से इस ओर घुस कर वाया किश्तवाड़ होते हुए कश्मीर में पहुंचे आतंकियों के एक दल ने आज जो कहर बरपाया नतीजतन 28 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 2 विदेशी नागरिक थे तो बाकी देश के विभिन्न कोनों से बाने वाले पयर्टक। आतंकियों ने इन लोगों के नाम पूछकर और धर्म की पहचान कर उन्हें मौत के घाट उतारा है।
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अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार दोपहर बाद को पहलगाम के बैसरन मैदान में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने पर्यटकों के एक समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें दो विदेशी नागरिक - एक इटली का और दूसरा इजरायल या नेपाल का - सहित कम से कम 28 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।
दोपहर के इस हमले में घुड़सवारी और वसंत के नज़ारों का आनंद ले रहे परिवारों, महिलाओं और बुज़ुर्गों सहित पर्यटकों के एक मिश्रित समूह को निशाना बनाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने अधिकारियों को बताया कि सैन्य वर्दी पहने हुए लोग इलाके में घुसे और बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी शुरू कर दी।
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मृतकों के नाम आए सामने
मृतकों में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी, गुजरात के शालिंदर कल्पिया और कर्नाटक के शिवमोगा जिले के व्यवसायी मंजूनाथ राव शामिल हैं। पर्यटक महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक सहित विभिन्न भारतीय राज्यों से आए थे। मृतकों में दो स्थानीय नागरिक भी शामिल हैं। मृतकों में एक महिला और 27 पुरुष हैं। सूत्रों ने बताया कि इस हमले में एक उच्च पदस्थ अधिकारी के भी मारे जाने की आशंका है।
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चश्मदीद महिला ने क्या बताया
एक महिला ने सुरक्षाकर्मियों को बताया कि हमलावरों ने गोली चलाने से पहले नाम पूछे, जिससे पता चलता है कि उन्हें निशाना बनाया गया था। घटनास्थल से मिले वीडियो में अराजकता की स्थिति को कैद किया गया है, जिसमें शव बेसुध पड़े हैं और हताश परिवार के सदस्य चीख-पुकार और गोलियों के बीच प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं।
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द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली जिम्मेदारी
हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है। अगस्त 2019 के बाद बनाया गया द रेजिस्टेंस फ्रंट को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा व्यापक रूप से लश्कर-ए-तैयबा का एक नया रूप माना जाता है, जिसे कश्मीर आतंकवाद को एक स्वदेशी प्रतिरोध आंदोलन के रूप में चित्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
टीआरएफ के संदेश अक्सर एन्क्रिप्टेड प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं और इसका उद्देश्य पाकिस्तान समर्थित आतंकी अभियानों के खिलाफ वैश्विक जांच और एफएटीएफ प्रतिबंधों से बचना है। Edited by: Sudhir Sharmaजम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों ने पहलगाम में आतंकवादी हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया#PahalgamTerroristAttack #DodaProtest #Kashmir #StandForPeace #JusticeForKashmir #StopTargetKillings pic.twitter.com/9oqyJxjLi7 — Webdunia Hindi (@WebduniaHindi) April 22, 2025