Omnicom Group द्वारा इंटरपब्लिक ग्रुप (IPG) के अधिग्रहण के बाद बड़े पैमाने पर संरचनात्मक फेरबदल किए जा रहे हैं। मौजूद जानकारी के अनुसार, कंपनी अगले कुछ महीनों में 4,000 से अधिक नौकरियाँ समाप्त करने और कई एजेंसी ब्रांड्स को बंद करने जा रही है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विज्ञापन उद्योग को तेजी से बदल रहा है और Meta जैसे टेक दिग्गज व्यवसायों को भारी मात्रा में विज्ञापन तैयार करने में सक्षम बना रहे हैं।
बता दें कि ओमनिकॉम ग्रुप के सीईओ जॉन व्रेन ने स्पष्ट किया कि ये छंटनी IPG के इंटीग्रेशन का हिस्सा हैं और मुख्य रूप से प्रशासनिक तथा कुछ नेतृत्वकारी पदों पर असर डालेंगी। व्रेन का अनुमान है कि इस लागत कटौती से कंपनी को हर साल लगभग 750 मिलियन डॉलर का लाभ होगा। गौरतलब है कि उद्योग में प्रतिस्पर्धी कंपनियों, जैसे डब्ल्यूपीपी मीडिया, भी नए नेतृत्व के तहत बड़े पैमाने पर पुनर्गठन और संभावित नौकरी कटौती की प्रक्रिया में हैं।
इंटरपब्लिक ग्रुप, जिसे ओमनिकॉम ने हाल ही में 13.5 बिलियन डॉलर में खरीदा है, पहले ही 2025 के शुरुआती नौ महीनों में 3,200 कर्मचारियों को निकाल चुका है और पिछले साल अपने स्टाफ को 3,000 तक घटाया था। इस अधिग्रहण के बाद दोनों कंपनियाँ मिलकर 25 बिलियन डॉलर से अधिक वार्षिक वैश्विक राजस्व के साथ दुनिया का सबसे बड़ा विज्ञापन नेटवर्क बन गई हैं। भारत में यह संयुक्त इकाई अब दूसरा सबसे बड़ा मीडिया और एड एजेंसी नेटवर्क बन गया है, जिससे देश के विज्ञापन उद्योग में शक्ति संतुलन बदलने की चर्चा तेज हो गई है।
IPG की प्रमुख एजेंसियों मेंमैककैन, एफसीबी, मुलेनलोवे और मीडियाब्रांड्स शामिल हैं, जबकि ओम्नीकॉम मीडिया ग्रुप मीडिया प्लानिंग और बाइंग का बड़ा नेटवर्क संभालता है। 2024 वित्त वर्ष में ओम्नीकॉम मीडिया ग्रुप ने 800 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया था।
इसी बीच, ई-कॉमर्स कंपनी मीशो को अपने आने वाले आईपीओ से पहले एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है। मौजूद जानकारी के अनुसार, कंपनी के एंकर बुक में तब बदलाव आया जब मीशो ने एसबीआई फंड प्रबंधन को इस हिस्से का लगभग 25% आवंटित किया, जिसके बाद कई बड़े वैश्विक निवेशकों ने विरोध में अपनी रुचि वापस ले ली। इनमें कैपिटल ग्रुप, एबरडीन, नॉर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, निप्पॉन इंडिया और नोमुरा एसेट मैनेजमेंट जैसे नाम शामिल हैं।
फिर भी, यह भी महत्वपूर्ण है कि मीशो की एंकर बुक में GIC, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, फिडेलिटी, ब्लैकरॉक, बैली गिफोर्ड और ड्रैगनियर जैसी बड़ी वैश्विक संस्थाएँ अभी भी मौजूद हैं। बता दें कि मीशो छोटे शहरों में छोटे निर्माताओं और उपभोक्ताओं को जोड़ने वाला बड़ा ऑनलाइन मार्केटप्लेस है और कंपनी अपने आईपीओ के माध्यम से 54.2 बिलियन रुपये तक जुटाने की योजना बना रही है। शेयरों की कीमत 105 से 111 रुपये प्रति शेयर तय की गई है।
कुल मिलाकर, विज्ञापन उद्योग का पुनर्गठन और भारतीय टेक स्टार्टअप्स का तेजी से सार्वजनिक बाजार की ओर बढ़ना, दोनों ही वर्तमान वैश्विक-स्थानीय आर्थिक परिस्थितियों को परिभाषित करने वाले महत्वपूर्ण संकेतक बन गए हैं।