नए एकेडमिक सेशन 2025-26 से दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बीएससी-न्यूक्लियर मेडिसिन कोर्स की शुरूआत करने का फैसला लिया है। इस कोर्स में इंडियन आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विस के उम्मीदवार एडमिशन ले सकेंगे। वहीं डीयू में मेडिकल साइंस फैकल्टी के तहत आने वाले दिल्ली कैंट के आर्मी हॉस्पिटल में यह नया कोर्स शुरू किया जाएगा। डीयू एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में सिफारिशों पर विचार करने के बाद डीयू की ईसी ने विभिन्न विभागों/प्रोग्रामों के कोर्स को मंजूरी दी है।
बता दें कि दिल्ली कैंट के आर्मी हॉस्पिटल में डीयू के मेडिकल साइंस फैकल्टी के तहत रेडियोलॉजी विभाग 3 साल का कोर्स चलाएगा। जिसमें एक साल की इंटर्नशिप होगी, जोकि ऑप्शनल है। इस कोर्स को शुरू करने का मुख्य मकसद न्यूक्लियर मेडिसिन के डॉक्टर्स के साथ मिलकर काम करना है। वहीं अब स्टूडेंट्स यहां से जर्नलिज्म में पीजी भी कर सकेंगे।
इस कोर्स में एडमिशन के लिए शर्त
बीएससी-न्यूक्लियर मेडिसिन कोर्स में दाखिला लेने की जो सबसे पहली शर्त है, वह यह है कि उम्मीदवारों को AFMS में कार्यरत होना चाहिए।
साथ ही उम्मीदवार ने 6 साल की सेवा पूरी कर ली हो।
उम्मीदवार का सर्विस रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए।
उम्मीदवार को 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, लाइफ साइंस/बॉटनी/जूलॉजी में 50 फीसदी अंकों के साथ पास होना चाहिए।
कैंडिडेट द्वारा इंग्लिश सब्जेक्ट पढ़ा होना जरूरी है। वहीं सेना के कैंडिडेट्स से यदि यह सीटें नहीं भर पाती हैं, तो खाली सीटों पर भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के मेडिकल असिस्टेंट्स की नियुक्ति पेश की जाएगी।
जर्नलिज्म में पीजी
डीयू के हिंदी और अंग्रेजी विभागों में भी अब जर्नलिज्म में एमए की पढ़ाई होगी। पिछले दिनों वीसी ने डीयू के साउथ कैंपस के पत्रकारिता विभाग में स्टूडियो का उद्घाटन करते हुए कहा था कि पीजी डिप्लोमा के साथ अब पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन भी शुरू होगा।
DoPT प्रस्ताव पर कमिटी
बता दें कि डीयू के कॉलेजों और संबंधित कॉलेजो/संस्थानों के विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर/लेक्चरर की वरिष्ठता के लिए डीयू ईसी ने नियमों को पारित कर दिया है। इन नियमों के तहत अगर सभी टीचर्स की योग्यताएं समान हैं, तो आयु के आधार पर वरिष्ठता निर्धारित की जा सकती है। ईसी मीटिंग में ईसी मेंबर्स ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग के हिसाब से असिस्टेंट प्रोफेसर/लेक्चरर के अप्रेजल के प्रस्ताव का विरोध किया है। बताया जा रहा है कि डीयू ऑटोनोमस बॉडी होने के साथ उसका अपना सालाना अप्रेजल सिस्टम है। ऐसे में डीओपीटी नियमों का लागू करना जरूरी नहीं है। वहीं सदस्यों के ऐतराज जताने पर वीसी ने एक कमेटी बनाई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
HEFA लोन
हालांकि जीरो आवर के दौरान कुछ लोगों ने हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन पर ऐतराज जताया था। ऐसे में डीयू ने HEFA से 933 करोड़ रुपये लोन लिया है। बता दें कि 10 सालों में डीयू में HEFA लोन का केवल 10% ही वापस लौटना है, जोकि एक अच्छी योजना है। इससे जो राशि मिली है, उससे यूनिवर्सिटी में इंफ्रास्ट्रक्चर और नए भवनों का निर्माण हो रहा है। NEP 2020 के तहत चौथे साल को लेकर बताया गया है कि पहले कि एजुकेशन पॉलिसी में स्टूडेंट्स को 3 साल का कोर्स बीच में छोड़ने पर कुछ नहीं मिलता है। लेकिन अब नई शिक्षा नीति के तहत सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री तक मिलने का प्रावधान है।