अमेरिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया इन दिनों बेहद आक्रामक हो चुकी है, जहाँ शीर्ष इंजीनियरों को करोड़ों डॉलर के पैकेज और भारी-भरकम साइनिंग बोनस मिल रहे हैं। इसी प्रतिस्पर्धी माहौल में एप्पल ने माइक्रोसॉफ्ट और गूगल दोनों को एक बड़ा झटका देते हुए भारतीय मूल के एआई विशेषज्ञ अमर सुब्रमण्य को अपने नए वाइस प्रेसिडेंट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रूप में नियुक्त किया है। मौजूद जानकारी के अनुसार, वह जॉन जियाननद्रिया की जगह ले रहे हैं, जो सेवानिवृत्त हो रहे हैं और अब सलाहकार की भूमिका में रहेंगे। सुब्रमण्य को एप्पल के फाउंडेशन मॉडल्स, मशीन लर्निंग शोध और एआई सेफ्टी से जुड़े अहम विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बता दें कि अमर सुब्रमण्य का तकनीकी सफर सिलिकॉन वैली की मौजूदा ‘टैलेंट वॉर’ को बखूबी दर्शाता है। बेंगलुरु विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 2009 में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। उनका शोध सीमित लेबल वाले डेटा पर सिस्टम को प्रशिक्षित करने की उन्नत तकनीकों पर आधारित था, जो आज गोपनीयता केंद्रित एप्पल के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। गौरतलब है कि एप्पल अपने एआई मॉडल्स के लिए यूज़र डेटा पर निर्भरता कम रखते हुए सिंथेटिक और लाइसेंस्ड डाटा का इस्तेमाल कर रहा है।
उनके रिसर्च करियर में स्पीच रिकग्निशन, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और सेंसरी फ्यूजन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान शामिल रहा है। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में उनके शुरुआती कार्यों पर उन्हें प्रतिष्ठित माइक्रोस्कोप रिसर्च ग्रेजुएट फ़ेलोशिप भी मिला था। इसके बाद गूगल में 16 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान वे शोध से इंजीनियरिंग नेतृत्व तक पहुँचे और जेमिनी जैसे विशाल मल्टीमॉडल एआई मॉडल की इंजीनियरिंग टीम का नेतृत्व किया। जेमिनी को गूगल के सबसे उन्नत एआई प्रोजेक्ट्स में से एक माना जाता है, जिसे सर्च, यूट्यूब और एंड्रॉयड में व्यापक तौर पर एकीकृत किया गया है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, 2025 में वे गूगल से माइक्रोसॉफ्ट चले गए थे, जहाँ उन्होंने कॉर्पोरेट वाइस प्रेसिडेंट ऑफ एआई के रूप में Copilot मॉडल्स के विकास में भूमिका निभाई। उन्होंने LinkedIn पर माइक्रोसॉफ्ट की “लो-ईगो और महत्वाकांक्षी” संस्कृति की सार्वजनिक रूप से सराहना कर गूगल पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी भी की थी। इसके बावजूद उनका माइक्रोसॉफ्ट में सफर छह महीने से कम चला और एप्पल के सीईओ टिम कुक ने उन्हें वापस सिलिकॉन वैली की ओर खींच लिया।
एप्पल के लिए यह नियुक्ति बेहद रणनीतिक मानी जा रही है क्योंकि कंपनी हाल के वर्षों में एआई क्षेत्र में पिछड़ती नज़र आ रही है। एप्पल इंटेलिजेंस के तहत जारी नोटिफिकेशन समरीज़ में कई गलत और भ्रामक सूचनाएँ आने के बाद कंपनी कानूनी कार्रवाइयों और आलोचनाओं का सामना कर रही है। सिरी का नया अपडेट भी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा और आंतरिक परीक्षणों में विफल रहने के बाद इसे 2026 तक टाल दिया गया। ऐसे में सुब्रमण्य को एप्पल की धीमी हो चुकी एआई रणनीति में नई गति लाने की चुनौती मिलेगी।
गौरतलब है कि एप्पल एक ट्रिलियन-पैरामीटर इन-हाउस मॉडल विकसित कर रहा है और साथ ही गूगल के साथ लगभग 1 बिलियन डॉलर के एआई लाइसेंसिंग समझौते की तैयारी में है, जिससे सिरी को जेमिनी की मदद से उन्नत बनाया जा सकेगा। यह विडंबना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि एप्पल और गूगल वर्षों से कई तकनीकी क्षेत्रों में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और अब एआई में सहयोग की दिशा उभरती दिख रही है। सुब्रमण्य इन जटिल रणनीतिक बदलावों के केंद्र में रहेंगे और एप्पल को प्रतिस्पर्धी दौड़ में वापस लाने का प्रयास करेंगे हैं।