लखीसराय में डूबते सूर्य को अर्घ्य:छठ घाटों पर अव्यवस्था के बीच हुई पूजा
लखीसराय में लोक आस्था के महापर्व छठ का तीसरा दिन उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य समर्पित किया। नदी, तालाब और सरोवरों के घाटों पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई। वातावरण में छठ के लोकगीतों और दीपों की रोशनी से भक्तिमय माहौल बन गया था। हालांकि, ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छठ व्रतियों को किऊल और हरहर नदी स्थित घाटों पर अव्यवस्था का सामना करना पड़ा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा के कारण इन घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव रहा। इन कु-व्यवस्थाओं के बावजूद, व्रतियों ने पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ छठी मईया की पूजा-अर्चना की और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। यह पर्व सूर्योपासना के साथ-साथ शुद्धता, त्याग और लोक आस्था का प्रतीक है। चार दिवसीय इस महापर्व का विधिवत समापन कल सुबह उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ होगा।
Oct 27, 2025 - 18:59
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लखीसराय में लोक आस्था के महापर्व छठ का तीसरा दिन उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य समर्पित किया। नदी, तालाब और सरोवरों के घाटों पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई। वातावरण में छठ के लोकगीतों और दीपों की रोशनी से भक्तिमय माहौल बन गया था। हालांकि, ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छठ व्रतियों को किऊल और हरहर नदी स्थित घाटों पर अव्यवस्था का सामना करना पड़ा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा के कारण इन घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव रहा। इन कु-व्यवस्थाओं के बावजूद, व्रतियों ने पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ छठी मईया की पूजा-अर्चना की और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। यह पर्व सूर्योपासना के साथ-साथ शुद्धता, त्याग और लोक आस्था का प्रतीक है। चार दिवसीय इस महापर्व का विधिवत समापन कल सुबह उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ होगा।
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