दरभंगा में डूबते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य:छठ घाटों पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़, मंगलवार सुबह उगते सूर्य की पूजा के बाद खत्म होगा सूर्योपासना का पर्व

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा दरभंगा मे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार की शाम छठ व्रतियों ने दरभंगा में नदियों के किनारे शाम को डूबते सूर्य की उपासना की। इस दौरान सूर्य भगवान को दूध और गंगाजल से अर्घ्य भी दिया। पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर हुआ। शाम को छठ घाटों पर छठ गीतों की गूंज सुनाई देती रही। चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ हुई थी। दूसरे दिन यानी 26 अक्टूबर को खरना था, जबकि तीसरे दिन यानी सोमवार की शाम को संध्या अर्घ्य दिया गया। अब मंगलवार सुबह छठ व्रती सूरज के निकलने से पहले छठ घाट पहुंचेगी और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर आकर पारन करेंगी। इसी के साथ 36 घंटे का सूर्योपासना का पर्व छठ समाप्त हो जाएगा। छठ पूजा के लिए पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है। इसमें बांस की पथिया, कोनिया और सूप, गंगाजल, दूध, चावल, गेहूं, गुड़, सुपारी, हल्दी की गांठें, फलों में केला, सेब, अनानास,ओल, सिंघाड़ा, नींबू, अदरक का पौधा, गन्ने के पांच तने, नारियल, दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, सिंदूर शामिल होता है। इसके अलावा, प्रसाद के रूप में ठेकूआ, खजूर, खाजा और गुड़ के पकवान शामिल होते हैं। वहीं, सूर्यदेव के अर्घ्य के लिए बांस या पीतल का बर्तन, गिलास और लोटा की जरूरत होती है। छठ व्रत को हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना गया है। व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव और छठी मईया की आराधना करते हैं। इस व्रत में पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती को प्याज, लहसुन और मांसाहार से दूर रहना चाहिए। प्रसाद मिट्टी या कांसे के बर्तनों में ही बनाना चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव को संसार का प्रत्यक्ष देवता बताया है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि सूर्य को जल अर्घ्य दिए बिना भोजन करना पाप के समान है। सूर्योपनिषद में वर्णित है कि सूर्य की किरणों में समस्त देवता और ऋषि-गण निवास करते हैं। धार्मिक मान्यताओं में छठी माता के रूप को जानिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन माना गया है। उन्हें मां कात्यायनी का रूप भी कहा जाता है। छठी माता संतान की रक्षा और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं।कहा जाता है कि सबसे पहले मां सीता, कुंती और द्रौपदी ने छठ व्रत किया था, जिससे उनके जीवन के संकट दूर हो गए थे। आज दरभंगा के सभी इलाकों में घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही हैं ।“केलवा के पात पर, उगले सुरजदेव...”“छठी मईया तोहार बड़ा उपकार...” हर ओर आस्था, भक्ति और पवित्रता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। लोक आस्था का यह महापर्व न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता और स्वच्छता का भी प्रतीक बन गया है। लोक आस्था का पर्व छठ पूजा को शांतिपूर्ण और भव्य रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से सोमवार को जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने शहर के प्रमुख हराही पोखर छठ घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान दोनों अधिकारियों ने घाट की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग, सुरक्षा, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं का बारीकी से जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सभी छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया कि “श्रद्धालुओं की हर सुविधा और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।” डीएम कौशल कुमार ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि घाटों पर बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा, “बच्चों की जेब में अभिभावकों का मोबाइल नंबर जरूर लिखकर डाल दें ताकि किसी भी स्थिति में संपर्क किया जा सके। गहरे पानी में न उतरें और एक-दूसरे का सहयोग करें।” वहीं, वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने सभी पुलिस पदाधिकारियों को घाटों पर पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती करने का निर्देश दिया। उन्होंने भीड़ नियंत्रण, यातायात व्यवस्था और निगरानी पर विशेष ध्यान देने को कहा। एसएसपी ने बताया कि सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल, होमगार्ड, महिला पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सादे वेश में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके। ​​​​​​​

Oct 27, 2025 - 18:59
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दरभंगा में डूबते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य:छठ घाटों पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़, मंगलवार सुबह उगते सूर्य की पूजा के बाद खत्म होगा सूर्योपासना का पर्व
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा दरभंगा मे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार की शाम छठ व्रतियों ने दरभंगा में नदियों के किनारे शाम को डूबते सूर्य की उपासना की। इस दौरान सूर्य भगवान को दूध और गंगाजल से अर्घ्य भी दिया। पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर हुआ। शाम को छठ घाटों पर छठ गीतों की गूंज सुनाई देती रही। चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ हुई थी। दूसरे दिन यानी 26 अक्टूबर को खरना था, जबकि तीसरे दिन यानी सोमवार की शाम को संध्या अर्घ्य दिया गया। अब मंगलवार सुबह छठ व्रती सूरज के निकलने से पहले छठ घाट पहुंचेगी और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर आकर पारन करेंगी। इसी के साथ 36 घंटे का सूर्योपासना का पर्व छठ समाप्त हो जाएगा। छठ पूजा के लिए पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है। इसमें बांस की पथिया, कोनिया और सूप, गंगाजल, दूध, चावल, गेहूं, गुड़, सुपारी, हल्दी की गांठें, फलों में केला, सेब, अनानास,ओल, सिंघाड़ा, नींबू, अदरक का पौधा, गन्ने के पांच तने, नारियल, दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, सिंदूर शामिल होता है। इसके अलावा, प्रसाद के रूप में ठेकूआ, खजूर, खाजा और गुड़ के पकवान शामिल होते हैं। वहीं, सूर्यदेव के अर्घ्य के लिए बांस या पीतल का बर्तन, गिलास और लोटा की जरूरत होती है। छठ व्रत को हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना गया है। व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव और छठी मईया की आराधना करते हैं। इस व्रत में पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती को प्याज, लहसुन और मांसाहार से दूर रहना चाहिए। प्रसाद मिट्टी या कांसे के बर्तनों में ही बनाना चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव को संसार का प्रत्यक्ष देवता बताया है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि सूर्य को जल अर्घ्य दिए बिना भोजन करना पाप के समान है। सूर्योपनिषद में वर्णित है कि सूर्य की किरणों में समस्त देवता और ऋषि-गण निवास करते हैं। धार्मिक मान्यताओं में छठी माता के रूप को जानिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन माना गया है। उन्हें मां कात्यायनी का रूप भी कहा जाता है। छठी माता संतान की रक्षा और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं।कहा जाता है कि सबसे पहले मां सीता, कुंती और द्रौपदी ने छठ व्रत किया था, जिससे उनके जीवन के संकट दूर हो गए थे। आज दरभंगा के सभी इलाकों में घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही हैं ।“केलवा के पात पर, उगले सुरजदेव...”“छठी मईया तोहार बड़ा उपकार...” हर ओर आस्था, भक्ति और पवित्रता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। लोक आस्था का यह महापर्व न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता और स्वच्छता का भी प्रतीक बन गया है। लोक आस्था का पर्व छठ पूजा को शांतिपूर्ण और भव्य रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से सोमवार को जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने शहर के प्रमुख हराही पोखर छठ घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान दोनों अधिकारियों ने घाट की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग, सुरक्षा, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं का बारीकी से जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सभी छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया कि “श्रद्धालुओं की हर सुविधा और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।” डीएम कौशल कुमार ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि घाटों पर बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा, “बच्चों की जेब में अभिभावकों का मोबाइल नंबर जरूर लिखकर डाल दें ताकि किसी भी स्थिति में संपर्क किया जा सके। गहरे पानी में न उतरें और एक-दूसरे का सहयोग करें।” वहीं, वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने सभी पुलिस पदाधिकारियों को घाटों पर पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती करने का निर्देश दिया। उन्होंने भीड़ नियंत्रण, यातायात व्यवस्था और निगरानी पर विशेष ध्यान देने को कहा। एसएसपी ने बताया कि सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल, होमगार्ड, महिला पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सादे वेश में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके। ​​​​​​​