भविष्य में भी त्रि-भाषा नीति स्वीकार नहीं करेंगे : संजय राउत

महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रि-नीति लागू करने का आदेश वापस लेने के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि वे भविष्य में भी ऐसी नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य सरकार ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को वापस ले लिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके बाद नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की। राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘फडणवीस को समितियां और विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का शौक है लेकिन वह करते कुछ नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जाधव सम्मानित अर्थशास्त्री हैं, लेकिन इस समिति की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है। हम भविष्य में भी त्रि-नीति को स्वीकार नहीं करेंगे।’’ आदेश वापस लिए जाने के बाद शिवसेना (उबाठा) और राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा पांच जुलाई को मुंबई में संयुक्त रूप से ‘मराठी विजय दिवस’ आयोजित करने की योजना पर राज्यसभा सदस्य ने कहा कि दोनों पार्टियों के नेता चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रमुख नेताओं और जनता को आमंत्रित किया है। सरकारी आदेश रद्द होने की सफलता मराठी लोगों की है। हम केवल आयोजक हैं। यहां तक ​​कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे और हमारे नेता उद्धव ठाकरे से भी सलाह ली गई है।’’ राउत ने कहा, ‘‘बहुत कम वक्त बचा है। हम व्यक्तिगत रूप से सभी को आमंत्रित नहीं कर सकते हैं।’’ उन्होंने फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसने पैसे, धमकियों, ईडी, सीबीआई और निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल करके शिवसेना और राकांपा को विभाजित कर दिया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और उस पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान का हाथ होने की बात साबित करने में ‘‘विफल’’ रहने का आरोप लगाया। दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आगामी बैठक और इससे भारतीय जनता पार्टी को क्या लाभ होगा, इस बारे में पूछे जाने पर राउत ने दावा किया, ‘‘आरएसएस और भाजपा भाई की तरह हैं। अगर आरएसएस चाहे तो वह भाजपा को सबक सिखा सकती है। आज भाजपा की ताकत आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रयासों के कारण है।

Jul 2, 2025 - 14:02
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भविष्य में भी त्रि-भाषा नीति स्वीकार नहीं करेंगे : संजय राउत

महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रि-नीति लागू करने का आदेश वापस लेने के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि वे भविष्य में भी ऐसी नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य सरकार ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को वापस ले लिया।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके बाद नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की। राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘‘फडणवीस को समितियां और विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का शौक है लेकिन वह करते कुछ नहीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जाधव सम्मानित अर्थशास्त्री हैं, लेकिन इस समिति की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है। हम भविष्य में भी त्रि-नीति को स्वीकार नहीं करेंगे।’’ आदेश वापस लिए जाने के बाद शिवसेना (उबाठा) और राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा पांच जुलाई को मुंबई में संयुक्त रूप से ‘मराठी विजय दिवस’ आयोजित करने की योजना पर राज्यसभा सदस्य ने कहा कि दोनों पार्टियों के नेता चर्चा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रमुख नेताओं और जनता को आमंत्रित किया है। सरकारी आदेश रद्द होने की सफलता मराठी लोगों की है। हम केवल आयोजक हैं। यहां तक ​​कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे और हमारे नेता उद्धव ठाकरे से भी सलाह ली गई है।’’

राउत ने कहा, ‘‘बहुत कम वक्त बचा है। हम व्यक्तिगत रूप से सभी को आमंत्रित नहीं कर सकते हैं।’’ उन्होंने फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसने पैसे, धमकियों, ईडी, सीबीआई और निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल करके शिवसेना और राकांपा को विभाजित कर दिया।

उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और उस पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान का हाथ होने की बात साबित करने में ‘‘विफल’’ रहने का आरोप लगाया।

दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आगामी बैठक और इससे भारतीय जनता पार्टी को क्या लाभ होगा, इस बारे में पूछे जाने पर राउत ने दावा किया, ‘‘आरएसएस और भाजपा भाई की तरह हैं। अगर आरएसएस चाहे तो वह भाजपा को सबक सिखा सकती है। आज भाजपा की ताकत आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रयासों के कारण है।