केंद्र सरकार में पिछले लगभग 12 वर्षों से सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की सुनियोजित आर्थिक रणनीति का सकारात्मक परिणाम जब जीडीपी के मौजूदा उछाल के रूप में सामने आया तो देश-दुनिया के आर्थिक पंडित भी चौंक गए, क्योंकि यह उनकी आकलित उम्मीदों से भी ज्यादा है। यह बात अलग है कि मोदी सरकार का लक्ष्य 4.0 सरकार बनने से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 ट्रिलियन प्रदान करना है, जिस दिशा में वह मजबूती से सधे पांव रखकर अग्रसर है।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि भारत की वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) में जीडीपी वृद्धि दर 8.2% रही, जो अर्थशास्त्रियों के 7.3-7.5% के अनुमान से कहीं अधिक अप्रत्याशित रूप से ऊंची साबित हुई। दरअसल, यह वृद्धि पिछले वर्ष की समान तिमाही के 5.6% से भी काफी बेहतर है, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:- विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और निर्माण क्षेत्र में 8.1% तथा सेवा क्षेत्र में 9.2% की मजबूत वृद्धि ने इस अप्रत्याशित तेजी को संभव बनाया। इसके अलावा, जीएसटी दरों में कटौती, त्योहारों से पहले स्टॉकिंग बढ़ना और ग्रामीण मांग में सुधार मुख्य प्रेरक बने। वहीं, अन्य सहायक कारक में निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) में 7.9% की वृद्धि से उपभोक्ता खर्च में उछाल आया, जो आय और रोजगार वृद्धि को दर्शाता है।
यही नहीं, महंगाई दर ऐतिहासिक निचले स्तर पर आने से क्रय शक्ति मजबूत हुई, जिसमें खाद्य मूल्यों में कमी और अनुकूल बेस इफेक्ट शामिल हैं। जबकि मौद्रिक ढील, नियामक सुधारों के विलंबित प्रभाव तथा निर्यात पर सीमित असर ने भी योगदान दिया। यह प्रदर्शन अमेरिकी टैरिफ जैसे वैश्विक दबावों के बावजूद घरेलू मांग की मजबूती दिखाता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत की जीडीपी वृद्धि के प्रमुख चालक मजबूत घरेलू मांग, सेवा क्षेत्र की तेजी, सरकारी बुनियादी ढांचा निवेश और कृषि सुधार हैं। हाल की तिमाही में सेवा क्षेत्र ने 9.3% की वृद्धि दर्ज कर कुल जीडीपी को 7.8-8.2% तक खींचा। वहीं, सेवा क्षेत्र जीडीपी का 55% से अधिक योगदान देता है, जिसमें वित्तीय सेवाएं, ई-कॉमर्स और आईटी प्रमुख हैं। इसकी मजबूत वृद्धि ने खपत और रोजगार को बढ़ावा दिया। वहीं, बुनियादी ढांचा निवेश में सरकार की गतिशक्ति, भारतमाला और राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसी योजनाओं ने पूंजीगत व्यय बढ़ाया। इनसे रोजगार सृजन और निजी निवेश को गति मिली।
वहीं, कृषि और ग्रामीण मांग बढ़ी है। कृषि क्षेत्र में 3.7% वृद्धि और सामान्य मानसून ने ग्रामीण खपत को समर्थन दिया। यह 15-18% जीडीपी योगदान के साथ 50% आबादी को रोजगार प्रदान करता है। अन्य सुधार जैसे- पीएलआई योजना ने विनिर्माण को बढ़ावा दिया, जबकि जीएसटी और कॉर्पोरेट कर सुधारों ने व्यापार वातावरण सुधारा। जबकि आत्मनिर्भर भारत ने नवाचार और निर्यात को प्रोत्साहित किया।
जानकार बताते हैं कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र में हालिया वृद्धि (जैसे जुलाई 2025 में 5.4% और Q2 FY26 में मजबूत उत्पादन) के प्रमुख कारण मजबूत घरेलू मांग, नए ऑर्डरों का उछाल तथा जीएसटी दर कटौती रहे। क्षमता उपयोग 75% तक पहुंचा, जिससे 87% इकाइयों ने उच्च उत्पादन दर्ज किया। वहीं घरेलू मांग में बढ़ोतरी हुई। घरेलू बाजारों से ऑर्डर बुक में वृद्धि हुई, विशेषकर ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीन टूल्स और धातु क्षेत्रों में। 83% निर्माताओं को आने वाले महीनों में अधिक ऑर्डर की उम्मीद है। नीतिगत समर्थन जैसे- पीएलआई योजना, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत ने निवेश आकर्षित किया, जबकि 50% से अधिक इकाइयां क्षमता विस्तार की योजना बना रही हैं। वहीं बुनियादी ढांचा सुधारों ने लागत कम की। उत्पादन विस्तार यानी नए ऑर्डरों से इनपुट खरीद और कार्यबल वृद्धि हुई, जो पांच वर्षों की सबसे तेज वृद्धि दर्शाती है। वहीं निर्यात स्थिरता ने वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाई।
अर्थशास्त्री बताते हैं कि भारत के सेवा क्षेत्र में हालिया वृद्धि (जैसे जून 2025 में PMI 60.4 तक पहुंचना) के प्रमुख कारण घरेलू एवं निर्यात मांग में तेजी, नए ऑर्डरों का उछाल तथा डिजिटल सेवाओं का विस्तार रहे। कोविड के बाद वित्तीय, आईटी और प्रोफेशनल सेवाओं ने समग्र जीवीए वृद्धि को पीछे छोड़ा। मांग वृद्धि हुई। घरेलू बाजारों के साथ एशिया, मध्य पूर्व एवं अमेरिका से निर्यात मांग में उल्लेखनीय तेजी आई, जो नए कारोबार को बढ़ावा दे रही।वहीं, आय स्तर बढ़ने से पर्यटन, ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन सेवाओं की मांग बढ़ी। डिजिटल परिवर्तन यथा-ऑनलाइन भुगतान, ई-कॉमर्स एवं उच्च तकनीक सेवाओं की ओर तेज संक्रमण ने उत्पादकता बढ़ाई। वहीं, नीतिगत सुधारों एवं बेहतर आधारभूत संरचना ने 55% जीडीपी योगदान को मजबूत किया। रोजगार एवं लागत लाभ बढ़े।लगातार 37 महीनों से रोजगार सृजन जारी रहा, जबकि इनपुट लागत 10 महीनों के निचले स्तर पर पहुंची। इससे कंपोजिट PMI 61.0 तक मजबूत हुआ।
जानकारों का यह भी कहना है कि आधारभूत संरचनाओं के क्षेत्र में वृद्धि के प्रमुख कारण भारत में बड़े पैमाने पर सरकारी निवेश, विशेष रूप से राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (NIP) कार्यक्रम द्वारा, हैं जो ऊर्जा, सड़क, रेलवे, शहरी विकास और अन्य क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देता है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में पूंजीगत व्यय के रूप में रिकॉर्ड 2.65 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए, जिससे सड़क निर्माण की गति 2.8 गुना बढ़ गई और रेलवे नेटवर्क का विस्तार हुआ। इसके अलावा, निजी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना और अवसंरचना परियोजना विकास निधि जैसी पहलें लागू की गई हैं। आवासीय परियोजनाओं के लिए भी वित्तीय सहायता और सुविधा योजनाएं चलाई गई हैं, जिससे आवासीय निर्माण में तेजी आई है। डिजिटल कनेक्टिविटी, ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स में सुधार भी आधारभूत ढांचे के विकास में सहायक रहे हैं।
जहां तक भारत की वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (GVA) 3.5% की दर से बढ़ा, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 4.1% से कम है। यह वृद्धि खरीफ फसल के बेहतर उत्पादन और खाद्य मुद्रास्फीति के स्थिर रहने से समर्थित रही, हालांकि यह अन्य क्षेत्रों (जैसे विनिर्माण 9.1% और सेवा 9.2%) की तुलना में सीमित रही। इसका जीडीपी में योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल GVA में हिस्सा लगभग 15-18% रहता है, लेकिन Q2 FY26 में इसकी मंद वृद्धि ने समग्र 8.2% जीडीपी वृद्धि पर न्यूनतम प्रभाव डाला। प्राइमरी सेक्टर (कृषि सहित) का रियल GVA विकास 3.1% रहा, जो द्वितीयक (8.1%) और तृतीयक (9.2%) क्षेत्रों से पीछे रहा। इसका किसानों की आय पर प्रभाव पड़ेगा। किसानों की आय पर सीधे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन नॉमिनल GVA में महज 1.8% की वृद्धि (पिछले वर्ष 7.6% से कम) से वास्तविक आय में कमी का संकेत मिलता है, क्योंकि मुद्रास्फीति नकारात्मक रही। ग्रामीण मांग में सुधार (PFCE में 7.9% वृद्धि) से अप्रत्यक्ष लाभ हुआ, लेकिन खरीफ का पूर्ण प्रभाव Q3 में दिखेगा।
इस प्रकार भारत की जीडीपी वृद्धि 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8.2% रही, जो अपेक्षाओं से अधिक है और पिछले तिमाही के 7.8% से बेहतर प्रदर्शन दर्शाती है। पूरे वित्तीय वर्ष 2025 के लिए अनुमान 6.5% का है, हालांकि IMF ने FY26 के लिए इसे 6.4% पर स्थिर रखा है। प्रमुख चालक में मजबूत घरेलू मांग, सरकारी खर्च में वृद्धि, GST कर कटौती और निर्माण क्षेत्र की तेजी मुख्य कारण रहे। वहीं कृषि क्षेत्र में सामान्य मानसून और ग्रामीण खपत ने भी योगदान दिया, जबकि विनिर्माण और सेवाएं प्रमुख ड्राइवर बनीं। यूँ तो कुछ चुनौतियां भी रहीं। जैसे अमेरिकी 50% टैरिफ, वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएं, खाद्य मुद्रास्फीति, निजी निवेश में देरी और शहरी खपत की कमजोरी बाधाएं हैं। जबकि संरचनात्मक मुद्दे जैसे रोजगार सृजन की कमी और व्यापार घाटा लंबी अवधि की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। क्षेत्रीय योगदान के तौर पर निर्माण क्षेत्र में 10.8% वृद्धि, सार्वजनिक प्रशासन में 8.9%, वित्तीय सेवाओं में 7.2% की तेजी दर्ज हुई। प्राथमिक क्षेत्र में 4.4% की सुधार देखा गया। पूर्वानुमान2026 में 6.5-6.7% और 2027 में 6.5% वृद्धि का अनुमान है, जो भारत को प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज बनाए रखेगा।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार