ट्रंप टैरिफ का संकट, निर्यातकों को कैसे राहत देगी मोदी सरकार
Trump tariff crisis: अमेरिका में भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाए जाने से परेशान निर्यातकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार कई उपायों पर काम कर रही है। इनमें निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत, ऋण लौटाने को लेकर मोहलत और नकदी से ...

Trump tariff crisis: अमेरिका में भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाए जाने से परेशान निर्यातकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार कई उपायों पर काम कर रही है। इनमें निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत, ऋण लौटाने को लेकर मोहलत और नकदी से जुड़ी मदद शामिल हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि अमेरिका का भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया ऊंचा शुल्क देश के लिए एक चेतावनी होने के साथ निर्यात में विविधता लाने का एक अवसर भी है। इस संदर्भ में निर्यातकों की तरफ से की गई अपीलों पर उन्होंने कहा कि सरकार निर्यातकों की समस्याओं से पूरी तरह अवगत है और उन्हें राहत देने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
इन क्षेत्रों पर असर की आशंका : अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लगाना शुरू कर दिया है। इसमें रूस से तेल खरीद जारी रखने के जुर्माने के तौर पर लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। यह फैसला भारत पर दबाव बनाने की अमेरिकी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इससे मशीनरी, झींगा, वस्त्र, चमड़ा-फुटवियर और रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के निर्यात पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।
सरकार अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) से जुड़े निर्यातकों के लिए आपातकालीन ऋण गारंटी योजना, ऋण पर एक साल तक की मोहलत और निर्यात भुगतान की समय-सीमा बढ़ाने जैसे कदम उठाने पर विचार कर रही है, ताकि नकदी प्रवाह की समस्या को हल किया जा सके। इसके साथ ही सरकार ई-कॉमर्स निर्यात हब योजना को भी तेजी से लागू करने की दिशा में प्रयास कर रही है।
अमेरिका को निर्यात अब मुश्किल : बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन को 2025 से 2031 तक छह वर्षों के लिए लागू करने की योजना है, जिसके तहत करीब 25,000 करोड़ रुपए के समर्थन उपाय प्रस्तावित हैं। यह दो उप-योजनाओं निर्यात प्रोत्साहन (10,000 करोड़ रुपए से अधिक) और 'निर्यात दिशा' (14,500 करोड़ रुपए से अधिक) के तहत लागू की जाएगी। निर्यातकों का कहना है कि इतने ऊंचे शुल्क पर अमेरिका को निर्यात कर पाना बहुत मुश्किल हो गया है। इसके अलावा पूरी तरह अमेरिकी बाजार पर ही निर्भर निर्यातकों के समक्ष गंभीर स्थिति पैदा हो गई है।
इन समस्याओं को लेकर निर्यातकों के निकाय फियो के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और अमेरिकी शुल्क वृद्धि से पैदा हुई चुनौतियों से उन्हें अवगत कराया। फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल को वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार इस मुश्किल समय में निर्यातकों के साथ खड़ी है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए हरसंभव रास्ता तलाशेगी।
वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर का था। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64 प्रतिशत बढ़कर 33.53 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। हालांकि इनमें से करीब आधा हिस्सा ही 50 प्रतिशत शुल्क के दायरे में आता है।
स्थिति अस्थायी : सरकार का मानना है कि यह स्थिति अस्थायी है और दीर्घकालिक रणनीतियों के माध्यम से भारतीय उद्योग को आत्मनिर्भर एवं प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है। वाणिज्य मंत्रालय अब निर्यात में विविधता लाने और नए बाजारों की तलाश पर भी निर्यातकों के साथ व्यापक चर्चा कर रहा है।
हीरा पॉलिश उद्योग पर संकट : अमेरिका के भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाए जाने के कारण देश के प्राकृतिक हीरा पॉलिश उद्योग का चालू वित्त वर्ष में राजस्व 28 से 30 प्रतिशत कम होकर 12.50 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क बुधवार से प्रभावी हो गया। भारत पर अमेरिका द्वारा लगाया गया कुल शुल्क अब 50 प्रतिशत हो गया है। क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत में प्राकृतिक हीरा पॉलिश उद्योग का राजस्व लगभग 16 अरब डॉलर था।
हीरा उद्योग का मुनाफा घटा : पिछले तीन वित्त वर्षों में प्राकृतिक हीरों की कीमतों और बिक्री की मात्रा में 40 प्रतिशत की गिरावट के बाद यह झटका आया है, क्योंकि अमेरिका और चीन में मांग कम हो गई है और प्रयोगशाला में विकसित हीरों से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया कि इस हफ्ते से लागू हुए 50 प्रतिशत शुल्क की वजह से अमेरिका को निर्यात करना मुश्किल हो गया है।
इसके दो कारण हैं- पहला, हीरा उद्योग का मुनाफा कम होने की वजह से ये अतिरिक्त शुल्क देना बहुत कठिन है और दूसरा, मांग कम होने की वजह से ये शुल्क सीधे ग्राहक पर डालना भी आसान नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके परिणामस्वरूप परिचालन क्षमता कम हो सकती है, जिससे हीरा पॉलिश से जुड़ी इकाइयों के लाभ में 0.5 से एक प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और क्रेडिट प्रोफाइल पर दबाव पड़ेगा। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala