उत्तराखण्ड मॉडल: पारदर्शिता, प्रबंधन और संकल्प का प्रतीक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी*
उत्तराखण्ड मॉडल: पारदर्शिता, प्रबंधन और संकल्प का प्रतीक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी*

*उत्तराखण्ड मॉडल: पारदर्शिता, प्रबंधन और संकल्प का प्रतीक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी*
*उत्तराखण्ड की खनन नीति बनी अन्य प्रदेशों के लिये मॉडल*
*हिमाचल प्रदेश से उत्तराखण्ड के खनन मॉडल को समझने के लिए आया प्रतिनिधिमण्डल*
*सीएम धामी के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में आई पारदर्शिता और रिकॉर्ड तोड़ राजस्व संग्रह का देश ने माना लोहा*
*प्रदेश के विकास में खर्च हो रही खनन से हो रही राज्य की कमाई*
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते कुछ वर्षों में खनन क्षेत्र में ऐसे सुधार लागू किए जो आज देशभर में एक मिसाल बन गए हैं। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने जिस पारदर्शी और मजबूत खनन नीति को जमीन पर उतारा, आज उसी मॉडल को देखने और समझने के लिए हिमाचल जैसे राज्य (जहां कांग्रेस की सरकार है) वे अध्ययन करने आ रहे हैं। ये केवल तारीफ की बात नहीं बल्कि गुड गवर्नेंस, साफ नीयत और धामी के दमदार फैसलों का नतीजा है।
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में खनन से होने वाला राजस्व पिछले तीन सालों में चार गुना बढ़ा है। पिछली सरकारों में खनन राजस्व केवल ₹300 करोड़ से 335 करोड़ के लगभग रहता था और आए दिन अनिमितताएं भी सामने आती थी, जबकि 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अब तक ₹1025 करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया गया है और यह जल्द ही ₹1100 करोड़ के आंकड़े को पार करने के रास्ते पर है। यह वृद्धि मुख्यमंत्री धामी की पारदर्शी नीतियों, ई-निविदा, ई-नीलामी, और कड़े प्रबंधन का परिणाम है। खनन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करते हुए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में जुर्माने के तौर पर ₹74.22 करोड़ की वसूली की है, जो पहले केवल ₹18 करोड़ के लगभग थी।
सीएम धामी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि खनन के साथ ही सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान न पहुंचे। यही कारण है कि उत्तराखण्ड के खनन मॉडल को आज ‘धामी मॉडल’ के रूप में पहचाना जा रहा है और अन्य राज्यों की सरकारें भी इस मॉडल को अपनाना चाह रही हैं।