राहुल के मूवी इवेंट से महागठबंधन दूर, लालू-तेजस्वी को संदेश:7 घंटे में 19 फीसदी दलित वोटरों को साधा, कांग्रेस का बिहार प्लान जानिए

‘मैं यहां कमजोर, पिछड़े, दलित छात्रों से बात करने आया था, लेकिन उन्होंने मुझे रोकने की कोशिश की और अनुमति नहीं दी। लेकिन हमारा काम हो गया।’ बिहार में 7 घंटे वक्त बिताने के बाद लौटते वक्त राहुल गांधी ने यह बात पटना एयरपोर्ट पर कही। बीते 5 महीने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह चौथा दौरा। हर बार की तरह इस बार भी जातीय जनगणना, दलित और OBC उनके एजेंडे पर रहा। लेकिन इस बार कांग्रेस थोड़ी बदली तेवर में नजर आई। दरभंगा में प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद राहुल गांधी दलित-अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स से मिलने पैदल चल दिए। मुस्कुराते, हाथ हिलाते राहुल गांधी ने करीब 3 किमी तक मानों रोड शो ही कर दिया। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आक्रामक कर सत्ता पक्ष को तो निशाने पर लिया ही, अपने सहयोगी पार्टियों को भी संकेत दिया। दरभंगा में बिना परमिशन के दलित छात्रों से मिले तो पटना में सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी पर आधारित फिल्म 'फुले' देखी। राहुल गांधी के इस दौरे के राजनीतिक मायने क्या हैं?, कांग्रेस ने किसे साधने का प्रयास किया? पढ़िए इस स्पेशल रिपोर्ट में…। 19 फीसदी वोटों पर कांग्रेस की नजर राहुल गांधी का पूरा फोकस बिहार के 19 फीसदी दलित वोटरों पर है। एक समय में दलित कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक हुआ करते थे, लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद JDU की ओर शिफ्ट होते गए। राहुल गांधी की कोशिश दलितों को फिर अपने पक्ष में करने को लेकर देखी जा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और पार्टी तेजी से SC/ST समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। गुरुवार को राहुल गांधी बिना परमिशन दरभंगा के दलित छात्रावास पहुंचे। वे साफ मैसेज देना चाहते थे कि वो दलितों के लिए खड़े हैं। ग्राफिक के जरिए जानिए, कांग्रेस ने दलितों को अपनी तरफ करने के लिए क्या-क्या किया… तेलंगाना मॉडल की चर्चा कर तेजस्वी को दिया संदेश सिविल सोसाइटी के लोगों से बातचीत में राहुल गांधी ने बिहार में हुए जातीय सर्वे को सेल्फ रिपोर्टिंग कहा। इससे पहले वह मंच से बिहार के जातीय सर्वे को फेक बता चुके हैं। वह बार-बार तेलंगाना मॉडल की चर्चा कर रहे हैं और अपनी सरकार आने पर उसे लागू करने का वादा कर रहे। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बार बिहार में आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना चाहती है। अगर इसके लिए उसे कुछ जोखिम भी उठाना पड़े तो पार्टी उठाने को तैयार है। यही कारण है कि राहुल गांधी बिहार के जातीय सर्वे को फेक करार दे रहे हैं। और इसका क्रेडिट लेने वालों पर इशारों-इशारों में निशाना भी साध रहे हैं। दरअसल, बिहार की जातीय सर्वे का क्रेडिट कांग्रेस की सहयोगी पार्टी RJD लेती रही है। वह राहुल गांधी के बयान पर एकदम चुप है। राहुल के दौरे से महागठबंधन के नेता दूर रहे पटना में राहुल गांधी ने फुले फिल्म देखी। इसमें उनके साथ कांग्रेस नेता और सिविल सोसाइटी के लोग साथ थे। वहीं, महागठबंधन का कोई नेता उस कार्यक्रम में नहीं दिखा। चुनावी माहौल में ये दूरी कई संकेत कर रही है। कयास ये भी लगाया जा रहा है कि महागठबंधन के अंदर सीटों को लेकर खींचतान है। पढ़े-लिखे लोगों को जोड़ने की कोशिश कांग्रेस ने फिल्म देखने के लिए सिविल सोसाइटी के वैसे लोगों को बुलाया था, जो कांग्रेस या लेफ्ट माइंडेड रहे हैं। इसमें लेखक, प्रोफेसर, रंगकर्मी, सोशल एक्टिविस्ट काफी संख्या में थे। कांग्रेस यह मानती है कि हमारी नीतियों के बड़े प्रचारक यही हैं। इन्हें पार्टी के विचारों से और नजदीक लाना है। ये समाज में सामाजिक न्याय की धारा को तो मजबूत करेंगे ही विधानसभा चुनाव में भी काफी फायदा पहुंचा सकते हैं। सिविल सोसाइटी के लोगों ने राहुल से क्या-क्या कहा… किन्नर डिंपल ने कहा, ‘जब किसी किन्नर का जन्म होता है तो उसे घर से निकाल दिया जाता है। बहुत खराब स्थिति हो जाती है। इसलिए आप लोकसभा में सवाल उठाइए कि किन्नरों के लिए आवासीय व्यवस्था सरकार करे।’ वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज ने मुसहर समाज के लोगों को राहुल गांधी के सामने रखा। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. ए. हई ने कहा, ‘संविधान के अनुसार हम बराबर हैं। लेकिन कुछ सालों से मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है। आप सवाल उठा रहे हैं, अल्लाह आपको ताकत दें।’

May 16, 2025 - 07:39
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राहुल के मूवी इवेंट से महागठबंधन दूर, लालू-तेजस्वी को संदेश:7 घंटे में 19 फीसदी दलित वोटरों को साधा, कांग्रेस का बिहार प्लान जानिए
‘मैं यहां कमजोर, पिछड़े, दलित छात्रों से बात करने आया था, लेकिन उन्होंने मुझे रोकने की कोशिश की और अनुमति नहीं दी। लेकिन हमारा काम हो गया।’ बिहार में 7 घंटे वक्त बिताने के बाद लौटते वक्त राहुल गांधी ने यह बात पटना एयरपोर्ट पर कही। बीते 5 महीने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह चौथा दौरा। हर बार की तरह इस बार भी जातीय जनगणना, दलित और OBC उनके एजेंडे पर रहा। लेकिन इस बार कांग्रेस थोड़ी बदली तेवर में नजर आई। दरभंगा में प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद राहुल गांधी दलित-अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स से मिलने पैदल चल दिए। मुस्कुराते, हाथ हिलाते राहुल गांधी ने करीब 3 किमी तक मानों रोड शो ही कर दिया। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आक्रामक कर सत्ता पक्ष को तो निशाने पर लिया ही, अपने सहयोगी पार्टियों को भी संकेत दिया। दरभंगा में बिना परमिशन के दलित छात्रों से मिले तो पटना में सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी पर आधारित फिल्म 'फुले' देखी। राहुल गांधी के इस दौरे के राजनीतिक मायने क्या हैं?, कांग्रेस ने किसे साधने का प्रयास किया? पढ़िए इस स्पेशल रिपोर्ट में…। 19 फीसदी वोटों पर कांग्रेस की नजर राहुल गांधी का पूरा फोकस बिहार के 19 फीसदी दलित वोटरों पर है। एक समय में दलित कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक हुआ करते थे, लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद JDU की ओर शिफ्ट होते गए। राहुल गांधी की कोशिश दलितों को फिर अपने पक्ष में करने को लेकर देखी जा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और पार्टी तेजी से SC/ST समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। गुरुवार को राहुल गांधी बिना परमिशन दरभंगा के दलित छात्रावास पहुंचे। वे साफ मैसेज देना चाहते थे कि वो दलितों के लिए खड़े हैं। ग्राफिक के जरिए जानिए, कांग्रेस ने दलितों को अपनी तरफ करने के लिए क्या-क्या किया… तेलंगाना मॉडल की चर्चा कर तेजस्वी को दिया संदेश सिविल सोसाइटी के लोगों से बातचीत में राहुल गांधी ने बिहार में हुए जातीय सर्वे को सेल्फ रिपोर्टिंग कहा। इससे पहले वह मंच से बिहार के जातीय सर्वे को फेक बता चुके हैं। वह बार-बार तेलंगाना मॉडल की चर्चा कर रहे हैं और अपनी सरकार आने पर उसे लागू करने का वादा कर रहे। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बार बिहार में आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना चाहती है। अगर इसके लिए उसे कुछ जोखिम भी उठाना पड़े तो पार्टी उठाने को तैयार है। यही कारण है कि राहुल गांधी बिहार के जातीय सर्वे को फेक करार दे रहे हैं। और इसका क्रेडिट लेने वालों पर इशारों-इशारों में निशाना भी साध रहे हैं। दरअसल, बिहार की जातीय सर्वे का क्रेडिट कांग्रेस की सहयोगी पार्टी RJD लेती रही है। वह राहुल गांधी के बयान पर एकदम चुप है। राहुल के दौरे से महागठबंधन के नेता दूर रहे पटना में राहुल गांधी ने फुले फिल्म देखी। इसमें उनके साथ कांग्रेस नेता और सिविल सोसाइटी के लोग साथ थे। वहीं, महागठबंधन का कोई नेता उस कार्यक्रम में नहीं दिखा। चुनावी माहौल में ये दूरी कई संकेत कर रही है। कयास ये भी लगाया जा रहा है कि महागठबंधन के अंदर सीटों को लेकर खींचतान है। पढ़े-लिखे लोगों को जोड़ने की कोशिश कांग्रेस ने फिल्म देखने के लिए सिविल सोसाइटी के वैसे लोगों को बुलाया था, जो कांग्रेस या लेफ्ट माइंडेड रहे हैं। इसमें लेखक, प्रोफेसर, रंगकर्मी, सोशल एक्टिविस्ट काफी संख्या में थे। कांग्रेस यह मानती है कि हमारी नीतियों के बड़े प्रचारक यही हैं। इन्हें पार्टी के विचारों से और नजदीक लाना है। ये समाज में सामाजिक न्याय की धारा को तो मजबूत करेंगे ही विधानसभा चुनाव में भी काफी फायदा पहुंचा सकते हैं। सिविल सोसाइटी के लोगों ने राहुल से क्या-क्या कहा… किन्नर डिंपल ने कहा, ‘जब किसी किन्नर का जन्म होता है तो उसे घर से निकाल दिया जाता है। बहुत खराब स्थिति हो जाती है। इसलिए आप लोकसभा में सवाल उठाइए कि किन्नरों के लिए आवासीय व्यवस्था सरकार करे।’ वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज ने मुसहर समाज के लोगों को राहुल गांधी के सामने रखा। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. ए. हई ने कहा, ‘संविधान के अनुसार हम बराबर हैं। लेकिन कुछ सालों से मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है। आप सवाल उठा रहे हैं, अल्लाह आपको ताकत दें।’