आग के बाद भी ड्राइवर बस दौड़ाता रहा,5 जिंदा जले:पति के सामने पत्नी-बेटी की तड़पकर मौत, सीट पर थी 2-3 साल के भाई-बहन की बॉडी
''जब बस में आग लगी, मैं सो रहा था। शोर सुनकर मेरी नींद खुली। तब तक बस में धुआं भर चुका था। बस में एक लोहे की रॉड रखी हुई थी। उससे मैंने शीशा तोड़ा और नाती आदित्य को लेकर बाहर कूद गया। पत्नी और बेटी बस के अंदर फंसी रह गईं। दोनों बाहर निकलने के लिए चीखती रहीं, लेकिन मैं उन्हें बचा नहीं पाया।'' ये कहना है कि समस्तीपुर के अशोक महतो का है, जिन्होंने गुरुवार को लखनऊ में स्लीपर AC बस में लगी आग में अपनी पत्नी और बेटी को खो दिया। दरअसल, बेगूसराय से दिल्ली जा रही स्लीपर AC बस गुरुवार तड़के लखनऊ में हादसे की शिकार हो गई। हादसे में बिहार के 5 लोगों की मौत हो गई। सभी मृतक बेगूसराय, समस्तीपुर और सीतामढ़ी के थे। मृतकों मां-बेटी और पिता-बेटी भी शामिल हैं। बस में करीब 80 यात्री सवार थे। वहीं, हादसे का शिकार मृतक मधुसूदन के साथ जा रहे बेगूसराय के रणधीर ने भास्कर को बताया- हम लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। बस में धुआं भर गया, जब तक नींद खुली तो देखे बस में धुआं भरा हुआ है। थोड़ी दूर जाने के बाद ड्राइवर बस छोड़कर भाग गया। इसके बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से हम लोग किसी तरह बाहर निकले और अस्पताल पहुंचकर इलाज करवा रहे हैं। काफी खोजा लेकिन मधुसूदन का कुछ पता नहीं चला। उसके बाद जानकारी मिली कि मधुसूदन की मौत हो गई है। इस हादसे के बाद भास्कर ने हादसे में मारे गए मृतकों के गांव पहुंचा और वहां उनके परिजनों से बात की। पूरी खबर पढ़ने से पहले हादसे की कुछ तस्वीरें देखिए... समस्तीपुर: हादसे में मारे गए लोगों की कहानी जानिए भास्कर ने हादसे के चश्मदीद अशोक महतो के बेटे दीपक कुमार महतो से बात की।दीपक ने बताया, 'बस में मम्मी, पापा, दीदी और भांजा सवार थे। चलती बस में अचानक आ लग गई। मम्मी और दीदी की जिंदा जलकर मौत हो गई। मेरे पिता और भांजा समय रहते बस से बाहर आ गए।' दीपक ने बताया, ' सुबह करीब 5 बजे पापा का फोन आया, उन्होंने सिसकते हुए कहा, तुम्हारी मम्मी और दीदी नहीं रही। जिस बस से हम लोग जा रहे थे, उसमें आग लग गई। मैं किसी तरह शीशा तोड़कर निकला और सिर्फ तुम्हारे भांजे को बचा पाया। उसने आगे बताया, 'दो महीने पहले मेरी मां लख्खी देवी (55) का ऑपरेशन हुआ था। मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी, तो वो पापा अशोक महतो (62) और दीदी सोनी(26) के साथ दवाई लेने बुधवार की शाम समस्तीपुर से मुगलसराय गई थी। दीदी अपने ढाई साल के बेटे आदित्य को भी अपने साथ लेकर गई थी।' 'पापा बोले- किसी तरह मैं निकला और नाती को बचाया' दीपक ने कहा, 'मेरी बहन स्वच्छता अभियान में काम करती थी और हमारे ही घर पर रहती थी। दीदी की दो बेटियां भी हैं। जीजा की तीन साल पहले मौत हो चुकी है।' 'हम चार भाई और दो बहन हैं। सबसे बड़ी वाली बहन अर्चना मुगलसराय में ही रहती है, जबकि मेरे दोनों बड़े भाई गुड्डू महतो और रामप्रकाश महतो प्रयागराज में मजदूरी करते हैं।' 'मम्मी, पापा और दीदी लखनऊ के रास्ते प्रयागराज जाकर रुकने वाले थे। इससे पहली ही हादसा हो गया। हादसे की सूचना के बाद दोनों भाई मौके पर पहुंचे और पिता को संभाला।' अशोक महतो बोले- धुएं से खुली नींद वहीं, हादसे के चश्मदीद अशोक महतो ने बताया- जब बस में आग लगी, मैं सो रहा था। शोर सुनकर मेरी नींद खुली। तब तक बस में धुआं भर चुका था। बस में एक लोहे की रॉड रखी हुई थी। उससे मैंने शीशा तोड़ा और नाती आदित्य के साथ को लेकर बाहर कूद गया। पत्नी और बेटी बस के अंदर फंसी रही। दोनों बाहर निकलने के लिए चीखती रहीं, लेकिन मैं उन्हें बचा नहीं पाया। अब कहानी बेगूसराय के रहने वाले मधुसूदन की, जो हादसे का शिकार हुआ लखनऊ बस हादसे में बेगूसराय के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बड़ी सांख गांव के 20 साल के मधुसूदन साह की भी मौत हुई है। मधुसूदन अपने भाई रोशन के पास आगरा जा रहा था। दोनों भाई आगरा के आटा मील में काम करते हैं। काम के सिलसिले में ही मधुसूदन आगरा जा रहा था। आगरा पहुंचने से पहले वो हादसे का शिकार हो गया। 18 मई को उसके फुफेरी बहन की शादी होनी थी, जिसमें रोशन और मधुसूदन को आना था। मधुसूदन अपने दो दोस्त डीहा के रहने वाले रणधीर कुमार और रवि किशन के साथ काम करने बस से जा रहा था। मधुसूदन के चाचा संजय कुमार ने बताया, 'मधुसूदन के पिता की करीब 18 साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद मां लीला देवी ने दोनों बच्चों की परवरिश की।' संजय ने बताया, 'सांख गांव में लगने वाले सरस्वती मेला के अवसर पर मधुसूदन गांव आया था। उसके बाद आगरा जाने के लिए उसने ट्रैवल प्वाइंट कंपनी की बस से 1200 रुपए में दिल्ली के लिए टिकट खरीदा था।' चाचा बोले- बस के ड्राइवर की लापरवाही से हुई 5 मौत चाचा संजय कुमार ने बताया, बस के ड्राइवर की लापरवाही से ये घटना हुई है। आग लगने के बावजूद भी ड्राइवर बस को रोकने के बजाय करीब 500 मीटर तक दौड़ाता रहा। बस में फंसे यात्रियों को निकालने के बदले खुद कूद कर भाग गया। ड्राइवर पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही मधुसूदन समेत अन्य मृतक के आश्रितों को उचित मुआवजा मिलनी चाहिए। सीट पर पड़ी थी 2 और 3 साल के भाई बहन की बॉडी हादसे में सीतामढ़ी के गंगवारा गांव के 2 भाई-बहन की भी मौत हुई है। पिता रामबालक महतो ने बताया, 'मैं सात माह की गर्भवती पत्नी और दो बच्चों के साथ बस में सवार था। आग लगने पर पहले पत्नी को नीचे उतारा। बच्चे सीट पर सो रहे थे।' 'उन्हें नीचे नहीं उतार पाया। मेरे सामने बेटा (3) और बेटी (2) जल गई। मैं बाहर चीखता और छटपटाता रहा, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कुछ नहीं कर पाया। दोनों के शव सीट पर ही पढ़े थे।' बस में करीब 80 यात्री सवार थे हादसा सुबह 5 बजे लखनऊ के आउटर रिंग रोड (किसान पथ) पर मोहनलालगंज के पास हुआ। उस वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे। यात्रियों ने बताया कि बस में अचानक धुआं भरने लगा। लोगों को कुछ समझ नहीं आया। कुछ ही मिनटों में आग की तेज लपटें उठने लगीं। बस के अंदर भगदड़ मच गई। बस ड्राइवर और कंडक्टर आग लगी बस को छोड़कर भाग गए। ड्राइवर की सीट के पास एक एक्स्ट्रा सीट लगी थी। ऐसे में यात्
''जब बस में आग लगी, मैं सो रहा था। शोर सुनकर मेरी नींद खुली। तब तक बस में धुआं भर चुका था। बस में एक लोहे की रॉड रखी हुई थी। उससे मैंने शीशा तोड़ा और नाती आदित्य को लेकर बाहर कूद गया। पत्नी और बेटी बस के अंदर फंसी रह गईं। दोनों बाहर निकलने के लिए चीखती रहीं, लेकिन मैं उन्हें बचा नहीं पाया।'' ये कहना है कि समस्तीपुर के अशोक महतो का है, जिन्होंने गुरुवार को लखनऊ में स्लीपर AC बस में लगी आग में अपनी पत्नी और बेटी को खो दिया। दरअसल, बेगूसराय से दिल्ली जा रही स्लीपर AC बस गुरुवार तड़के लखनऊ में हादसे की शिकार हो गई। हादसे में बिहार के 5 लोगों की मौत हो गई। सभी मृतक बेगूसराय, समस्तीपुर और सीतामढ़ी के थे। मृतकों मां-बेटी और पिता-बेटी भी शामिल हैं। बस में करीब 80 यात्री सवार थे। वहीं, हादसे का शिकार मृतक मधुसूदन के साथ जा रहे बेगूसराय के रणधीर ने भास्कर को बताया- हम लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। बस में धुआं भर गया, जब तक नींद खुली तो देखे बस में धुआं भरा हुआ है। थोड़ी दूर जाने के बाद ड्राइवर बस छोड़कर भाग गया। इसके बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से हम लोग किसी तरह बाहर निकले और अस्पताल पहुंचकर इलाज करवा रहे हैं। काफी खोजा लेकिन मधुसूदन का कुछ पता नहीं चला। उसके बाद जानकारी मिली कि मधुसूदन की मौत हो गई है। इस हादसे के बाद भास्कर ने हादसे में मारे गए मृतकों के गांव पहुंचा और वहां उनके परिजनों से बात की। पूरी खबर पढ़ने से पहले हादसे की कुछ तस्वीरें देखिए... समस्तीपुर: हादसे में मारे गए लोगों की कहानी जानिए भास्कर ने हादसे के चश्मदीद अशोक महतो के बेटे दीपक कुमार महतो से बात की।दीपक ने बताया, 'बस में मम्मी, पापा, दीदी और भांजा सवार थे। चलती बस में अचानक आ लग गई। मम्मी और दीदी की जिंदा जलकर मौत हो गई। मेरे पिता और भांजा समय रहते बस से बाहर आ गए।' दीपक ने बताया, ' सुबह करीब 5 बजे पापा का फोन आया, उन्होंने सिसकते हुए कहा, तुम्हारी मम्मी और दीदी नहीं रही। जिस बस से हम लोग जा रहे थे, उसमें आग लग गई। मैं किसी तरह शीशा तोड़कर निकला और सिर्फ तुम्हारे भांजे को बचा पाया। उसने आगे बताया, 'दो महीने पहले मेरी मां लख्खी देवी (55) का ऑपरेशन हुआ था। मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी, तो वो पापा अशोक महतो (62) और दीदी सोनी(26) के साथ दवाई लेने बुधवार की शाम समस्तीपुर से मुगलसराय गई थी। दीदी अपने ढाई साल के बेटे आदित्य को भी अपने साथ लेकर गई थी।' 'पापा बोले- किसी तरह मैं निकला और नाती को बचाया' दीपक ने कहा, 'मेरी बहन स्वच्छता अभियान में काम करती थी और हमारे ही घर पर रहती थी। दीदी की दो बेटियां भी हैं। जीजा की तीन साल पहले मौत हो चुकी है।' 'हम चार भाई और दो बहन हैं। सबसे बड़ी वाली बहन अर्चना मुगलसराय में ही रहती है, जबकि मेरे दोनों बड़े भाई गुड्डू महतो और रामप्रकाश महतो प्रयागराज में मजदूरी करते हैं।' 'मम्मी, पापा और दीदी लखनऊ के रास्ते प्रयागराज जाकर रुकने वाले थे। इससे पहली ही हादसा हो गया। हादसे की सूचना के बाद दोनों भाई मौके पर पहुंचे और पिता को संभाला।' अशोक महतो बोले- धुएं से खुली नींद वहीं, हादसे के चश्मदीद अशोक महतो ने बताया- जब बस में आग लगी, मैं सो रहा था। शोर सुनकर मेरी नींद खुली। तब तक बस में धुआं भर चुका था। बस में एक लोहे की रॉड रखी हुई थी। उससे मैंने शीशा तोड़ा और नाती आदित्य के साथ को लेकर बाहर कूद गया। पत्नी और बेटी बस के अंदर फंसी रही। दोनों बाहर निकलने के लिए चीखती रहीं, लेकिन मैं उन्हें बचा नहीं पाया। अब कहानी बेगूसराय के रहने वाले मधुसूदन की, जो हादसे का शिकार हुआ लखनऊ बस हादसे में बेगूसराय के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बड़ी सांख गांव के 20 साल के मधुसूदन साह की भी मौत हुई है। मधुसूदन अपने भाई रोशन के पास आगरा जा रहा था। दोनों भाई आगरा के आटा मील में काम करते हैं। काम के सिलसिले में ही मधुसूदन आगरा जा रहा था। आगरा पहुंचने से पहले वो हादसे का शिकार हो गया। 18 मई को उसके फुफेरी बहन की शादी होनी थी, जिसमें रोशन और मधुसूदन को आना था। मधुसूदन अपने दो दोस्त डीहा के रहने वाले रणधीर कुमार और रवि किशन के साथ काम करने बस से जा रहा था। मधुसूदन के चाचा संजय कुमार ने बताया, 'मधुसूदन के पिता की करीब 18 साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद मां लीला देवी ने दोनों बच्चों की परवरिश की।' संजय ने बताया, 'सांख गांव में लगने वाले सरस्वती मेला के अवसर पर मधुसूदन गांव आया था। उसके बाद आगरा जाने के लिए उसने ट्रैवल प्वाइंट कंपनी की बस से 1200 रुपए में दिल्ली के लिए टिकट खरीदा था।' चाचा बोले- बस के ड्राइवर की लापरवाही से हुई 5 मौत चाचा संजय कुमार ने बताया, बस के ड्राइवर की लापरवाही से ये घटना हुई है। आग लगने के बावजूद भी ड्राइवर बस को रोकने के बजाय करीब 500 मीटर तक दौड़ाता रहा। बस में फंसे यात्रियों को निकालने के बदले खुद कूद कर भाग गया। ड्राइवर पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही मधुसूदन समेत अन्य मृतक के आश्रितों को उचित मुआवजा मिलनी चाहिए। सीट पर पड़ी थी 2 और 3 साल के भाई बहन की बॉडी हादसे में सीतामढ़ी के गंगवारा गांव के 2 भाई-बहन की भी मौत हुई है। पिता रामबालक महतो ने बताया, 'मैं सात माह की गर्भवती पत्नी और दो बच्चों के साथ बस में सवार था। आग लगने पर पहले पत्नी को नीचे उतारा। बच्चे सीट पर सो रहे थे।' 'उन्हें नीचे नहीं उतार पाया। मेरे सामने बेटा (3) और बेटी (2) जल गई। मैं बाहर चीखता और छटपटाता रहा, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कुछ नहीं कर पाया। दोनों के शव सीट पर ही पढ़े थे।' बस में करीब 80 यात्री सवार थे हादसा सुबह 5 बजे लखनऊ के आउटर रिंग रोड (किसान पथ) पर मोहनलालगंज के पास हुआ। उस वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे। यात्रियों ने बताया कि बस में अचानक धुआं भरने लगा। लोगों को कुछ समझ नहीं आया। कुछ ही मिनटों में आग की तेज लपटें उठने लगीं। बस के अंदर भगदड़ मच गई। बस ड्राइवर और कंडक्टर आग लगी बस को छोड़कर भाग गए। ड्राइवर की सीट के पास एक एक्स्ट्रा सीट लगी थी। ऐसे में यात्रियों को नीचे उतरने में दिक्कत हुई। कई यात्री फंसकर गिर गए। बस का इमरजेंसी गेट नहीं खुला आसपास के लोगों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। जब तक दमकल की गाड़ियां पहुंचीं, तब तक पूरी बस जल चुकी थी। दमकल ने करीब 30 मिनट में आग बुझाई। अंदर पहुंची तो जले हुए 5 शव मिले। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि बस का इमरजेंसी गेट नहीं खुला। इस वजह से पीछे बैठे लोग फंस गए। बस में पांच-पांच किलो के सात गैस सिलेंडर थे। हालांकि, कोई भी सिलेंडर फटा नहीं।