रिजर्व बैंक ने बैंकों को अधिग्रहण के लिए फंड देने को मसौदा मानदंड जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैंकों को भारतीय कंपनियों द्वारा अधिग्रहण के लिए फंड देने और आईपीओ तथा एफपीओ के माध्यम से शेयर खरीदने के लिए व्यक्तियों को दिए जाने वाले ऋण की राशि बढ़ाने की अनुमति देने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए। रिजर्व बैंक ने एक अप्रैल, 2026 से तर्कसंगत मानदंडों को लागू करने का प्रस्ताव दिया है। यह एक ऐसा कदम है, जो कंपनियों के लिए अधिक वित्त पोषण के रास्ते खोलेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मसौदा भारतीय रिजर्व बैंक (वाणिज्यिक बैंक - पूंजी बाजार ऋण) दिशानिर्देश, 2025 ऐसे ऋण को नियंत्रित करने वाले नियमों को तर्कसंगत और एकीकृत करने का प्रयास करता है। केंद्रीय बैंक ने इस पर 21 नवंबर, 2025 तक अंशधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। यह भारतीय बैंकों की लंबे समय से लंबित मांग रही है। हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी एस सेट्टी ने भी वैश्विक ऋणदाताओं की तरह बैंकों को विलय और अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने की अनुमति देने के संबंध में मजबूती से अपना पक्ष रखा था। मसौदे के मुताबिक, ‘‘एक बैंक अधिग्रहण मूल्य का अधिकतम 70 प्रतिशत वित्त पोषण कर सकता है। अधिग्रहण मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत अधिग्रहण करने वाली कंपनी को अपने धन का उपयोग करके इक्विटी के रूप में वित्त पोषित करना होगा।’’ मसौदे में आगे कहा गया है कि बैंक कुछ शर्तों के अधीन आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ), अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ), या कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) के तहत शेयरों की खरीद के लिए व्यक्तियों को 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति तक ऋण दे सकते हैं। इसकी मौजूदा सीमा 10 लाख रुपये है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैंकों को भारतीय कंपनियों द्वारा अधिग्रहण के लिए फंड देने और आईपीओ तथा एफपीओ के माध्यम से शेयर खरीदने के लिए व्यक्तियों को दिए जाने वाले ऋण की राशि बढ़ाने की अनुमति देने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए।
रिजर्व बैंक ने एक अप्रैल, 2026 से तर्कसंगत मानदंडों को लागू करने का प्रस्ताव दिया है। यह एक ऐसा कदम है, जो कंपनियों के लिए अधिक वित्त पोषण के रास्ते खोलेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मसौदा भारतीय रिजर्व बैंक (वाणिज्यिक बैंक - पूंजी बाजार ऋण) दिशानिर्देश, 2025 ऐसे ऋण को नियंत्रित करने वाले नियमों को तर्कसंगत और एकीकृत करने का प्रयास करता है।
केंद्रीय बैंक ने इस पर 21 नवंबर, 2025 तक अंशधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। यह भारतीय बैंकों की लंबे समय से लंबित मांग रही है। हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी एस सेट्टी ने भी वैश्विक ऋणदाताओं की तरह बैंकों को विलय और अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने की अनुमति देने के संबंध में मजबूती से अपना पक्ष रखा था।
मसौदे के मुताबिक, ‘‘एक बैंक अधिग्रहण मूल्य का अधिकतम 70 प्रतिशत वित्त पोषण कर सकता है। अधिग्रहण मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत अधिग्रहण करने वाली कंपनी को अपने धन का उपयोग करके इक्विटी के रूप में वित्त पोषित करना होगा।’’
मसौदे में आगे कहा गया है कि बैंक कुछ शर्तों के अधीन आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ), अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ), या कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) के तहत शेयरों की खरीद के लिए व्यक्तियों को 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति तक ऋण दे सकते हैं। इसकी मौजूदा सीमा 10 लाख रुपये है।



