मद्रास हाईकोर्ट के जज स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्ष ने क्यों खोला मोर्चा, क्या है मामला?
Madaras highcourt Swamynathan : मद्रास हाईकोर्ट के जज स्वामीनाथन के हिंदुओं के पक्ष में दिए एक फैसले पर बवाल मचा हुआ है। उन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। जज के खिलाफ डीएमके के महाभियोग नोटिस पर 100 से ज्यादा सांसदों ने हस्ताक्षर ...
Madaras highcourt Swamynathan : मद्रास हाईकोर्ट के जज स्वामीनाथन के हिंदुओं के पक्ष में दिए एक फैसले पर बवाल मचा हुआ है। उन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। जज के खिलाफ डीएमके के महाभियोग नोटिस पर 100 से ज्यादा सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि जस्टिस स्वामीनाथन का आचरण निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्यायपालिका के धर्मनिरपेक्ष कामकाज के बारे में गंभीर सवाल उठाता है। वहीं भाजपा का कहना है कि उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने कुछ ऐसे फैसले दिए हैं जो हिन्दुओं के हक में हैं।
तमिलनाडु के थिरुवरूर के रहने वाले जस्टिस जीआर स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच में जज हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर डीएमके के नेतृत्व में कई विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नोटिस सौंपा। नोटिस में जज को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की अनुमति मांगी गई है।
इससे पहले डीएमके सांसद टीआर बालू ने लोकसभा में आरोप लगाया था कि भाजपा तमिलनाडु में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है, जबकि केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने राज्य सरकार पर पूजा के अधिकार से इनकार का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई पर विचार करने की सहमति जताई है।
क्यों मचा बवाल : मदुरै के पास थिरुपरंकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित अरुलमिघु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर में दीपथून (स्तंभ) पर पारंपरिक दीप जलाने के आदेश पर बवाल मचा हुआ हुआ है। जस्टिस स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह दीप जलाए। यह दीपस्तंभ दरगाह के नजदीक स्थित है, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया था कि इससे दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा।
आदेश लागू न होने पर जज ने 3 दिसंबर को एक और आदेश जारी कर भक्तों को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी और सीआईएसएफ को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इसके बाद तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
edited by : Nrapendra Gupta



