भारत में निर्मित वंदे भारत ट्रेनें पैराग्वे को काफी अधिक पसंद आ रही है। पैराग्वे के राष्ट्रपति ने भारत की वंदे भारत ट्रेनों के आयात में रुचि दिखाई है। ये जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। हाल ही में अश्विनी वैष्णव ने पैराग्वे के राष्ट्रपति सैंटियागो पेना से मुलाकात की थी।
इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारतीय रेलवे के विकास से संबंधित अवसरों पर चर्चा हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने भारत को सेंट्रल बाई ओशनिक रेलवे कॉरिडोर परियोजना (अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली) का हिस्सा बनने के लिए भी आमंत्रित किया है।
अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर बताया कि पराग्वे के राष्ट्रपति महामहिम श्री @SantiPenap से मुलाकात की। पैराग्वे ने भारत की वंदे भारत ट्रेनों के आयात में गहरी रुचि व्यक्त की है और भारत को सेंट्रल बाई-ओशनिक रेलवे कॉरिडोर परियोजना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। ये वंदे भारत मेक इन इंडिया अभियान को मजबूती देने की दिशा में भारत सरकार के प्रयास का अहम कदम है।
बता दें कि वर्ष 2019 में सबसे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर शुरू हुई थी। वंदे भारत ट्रेन अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की गति तक चल सकती है। इस ट्रेन में शताब्दी ट्रेन जैसी यात्रा श्रेणियां हैं, लेकिन सुविधाएं बेहतर हैं।
रेलवे की प्रोडक्शन यूनिट, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री जो चेन्नई में स्थित है वहां सिर्फ 18 महीनों में ही आंतरिक डिजायन और निर्माण कम्प्यूटर मॉडलिंग तथा सिस्टम एकीकरण के लिए बड़ी संख्या में आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम किया है। इस ट्रेन का उद्देश्य रखरखाव प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणालियों को उन्नत करना तथा सभी रेलवे परिसंपत्तियों और जनशक्ति की उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार लाना है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ विश्वसनीयता, उपलब्धता, उपयोग और दक्षता शामिल होगी।
वंदे भारत में कई अलग-अलग खूबियाँ हैं जैसे कि इंटेलिजेंट ब्रेकिंग सिस्टम जो बेहतर त्वरण और मंदी को सक्षम बनाता है। ट्रेन के सभी कोच स्वचालित दरवाज़ों से सुसज्जित हैं; एक जीपीएस-आधारित ऑडियो-विजुअल यात्री सूचना प्रणाली, मनोरंजन के उद्देश्य से ऑन-बोर्ड हॉटस्पॉट वाई-फाई और बहुत आरामदायक सीटें हैं। एग्जीक्यूटिव क्लास में घूमने वाली कुर्सियाँ भी हैं।