'जिसकी गवाही पर महेश जोशी गिरफ्तार, उसकी वीडियोग्राफी नहीं करवाई':पूर्व-मंत्री के वकील बोले-रिश्वत लेने वाले इंजीनियर को आरोपी नहीं बनाया; कोर्ट ने ईडी से मांगा जवाब
महेश जोशी की जमानत याचिका पर आज ईडी मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट विवेक राज बाजवा ने ईडी द्वारा गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने और अन्य कमियों को लेकर सवाल खड़े किए। बाजवा ने कहा कि ईडी ने जिस गवाह की गवाही के आधार पर महेश जोशी को गिरफ्तार किया है। उस गवाह की वीडियोग्राफी भी नहीं करवाई। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गवाहों की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए। इस पर अदालत ने ईडी से अगली सुनवाई तक गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने, अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या सहित अन्य मामलों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा-35 कमरे, एक भी खाली नहीं
आईओ ने अदालत में कहा कि ईडी दफ्तर के अधिकतर कमरे भरे हुए हैं, इसलिए वीडियोग्राफी नहीं कराई जा सकती है। इस पर अदालत ने आश्चर्य जताते हुए आईओ से पूछा कि ईडी दफ्तर में कितने कमरे हैं। आईओ ने जवाब में कहा कि दफ्तर में 35 कमरे हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पिछले दो साल में क्या एक भी कमरा खाली नहीं मिला। जबकि मुख्य गवाह की गवाही ईडी ने 2 सितम्बर 2023 को दर्ज की थी। गवाह कह रहा है-रिश्वत ली, लेकिन आरोपी नहीं बनाया
अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने पीएचईडी इंजीनियर के बयान की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अगर इंजीनियर यह कह रहा है कि उसने रिश्वत ली और दूसरों को दी, तो इंजीनियर को मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। ईडी अपनी मर्जी से मामले में लोगों को फंसाने का प्रयास नहीं कर सकती है। उन्होंने ईडी की देरी से की गई कार्रवाई पर भी सवाल उठाया। कहा कि ईडी ने जोशी को मार्च-2024 में नोटिस जारी करने के करीब एक साल बाद अप्रैल 2025 में गिरफ्तार किया। ईडी एक साल तक चुप क्यों रही और अचानक सक्रिय कैसे हो गई। ये तमाम चीजें संकेत देती हैं कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके साथ ही ईडी के अनुसार कुछ पीएचईडी इंजीनियरों ने अपने बयानों में कहा है कि वे निजी ठेकेदारों से रिश्वत ले रहे थे। लेकिन उन्हें भी मामले में आरोपी नहीं बनाया गया। ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए थे टैंडर
जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन योजना' से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टैंडर हासिल किए थे। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टैंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टैंडर हासिल किए थे। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल-1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टैंडर हासिल किए थे। घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया।
महेश जोशी की जमानत याचिका पर आज ईडी मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट विवेक राज बाजवा ने ईडी द्वारा गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने और अन्य कमियों को लेकर सवाल खड़े किए। बाजवा ने कहा कि ईडी ने जिस गवाह की गवाही के आधार पर महेश जोशी को गिरफ्तार किया है। उस गवाह की वीडियोग्राफी भी नहीं करवाई। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गवाहों की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए। इस पर अदालत ने ईडी से अगली सुनवाई तक गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने, अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या सहित अन्य मामलों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा-35 कमरे, एक भी खाली नहीं
आईओ ने अदालत में कहा कि ईडी दफ्तर के अधिकतर कमरे भरे हुए हैं, इसलिए वीडियोग्राफी नहीं कराई जा सकती है। इस पर अदालत ने आश्चर्य जताते हुए आईओ से पूछा कि ईडी दफ्तर में कितने कमरे हैं। आईओ ने जवाब में कहा कि दफ्तर में 35 कमरे हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पिछले दो साल में क्या एक भी कमरा खाली नहीं मिला। जबकि मुख्य गवाह की गवाही ईडी ने 2 सितम्बर 2023 को दर्ज की थी। गवाह कह रहा है-रिश्वत ली, लेकिन आरोपी नहीं बनाया
अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने पीएचईडी इंजीनियर के बयान की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अगर इंजीनियर यह कह रहा है कि उसने रिश्वत ली और दूसरों को दी, तो इंजीनियर को मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। ईडी अपनी मर्जी से मामले में लोगों को फंसाने का प्रयास नहीं कर सकती है। उन्होंने ईडी की देरी से की गई कार्रवाई पर भी सवाल उठाया। कहा कि ईडी ने जोशी को मार्च-2024 में नोटिस जारी करने के करीब एक साल बाद अप्रैल 2025 में गिरफ्तार किया। ईडी एक साल तक चुप क्यों रही और अचानक सक्रिय कैसे हो गई। ये तमाम चीजें संकेत देती हैं कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके साथ ही ईडी के अनुसार कुछ पीएचईडी इंजीनियरों ने अपने बयानों में कहा है कि वे निजी ठेकेदारों से रिश्वत ले रहे थे। लेकिन उन्हें भी मामले में आरोपी नहीं बनाया गया। ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए थे टैंडर
जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन योजना' से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टैंडर हासिल किए थे। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टैंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टैंडर हासिल किए थे। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल-1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टैंडर हासिल किए थे। घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया।