6 साल की उम्र में मां चल बसी:12 साल तक लवारिश रही, पिता ढूंढ़ते हुए पागल हो चुके, अब डॉक्टर बनने की राह पर
पश्चिमी बंगाल के मुर्शीदाबाद से 1500 KM दूर मजदूरी करने वाली मां की अचानक भिवाड़ी में मौत के बाद कोई परिजन नहीं आया तो मां भिवाड़ी में अंतिम संस्कार करा दिया और 6 साल की बेटी मुस्कान को अलवर चाइल्ड लाइन के जरिए आरती बालिका गृह में भिजवा दिया। यहां 12 साल तक मुस्कान लावारिश बन रही। लेकिन गृह ेक संचालक ने बालिका को अच्छे से पढ़ाने पर ध्यान दिया। कुछ साल बाद पता चला कि बालिका पढ़ने में बेहद होशियार है। 10वीं बोर्ड का रिजल्ट आया तो सब चौक गए। बालका ने 92 प्रर्सेंट अंक लिए। इस बार 12वीं का एग्जाम दिया। अब भी 98 पर्सेंट अंक आने की उम्मीद है। यही नहीं बीच-बीच में विधिक सेवा प्राधिकरकण की ओर से आयोजित कई तरह की प्रतियोगिताओं में अवार्ड जीते। हाईकोर्ट जयपुर की ओर से संविधान पर प्रकाशित किताब में मुस्कान के आर्टिकल तक छपे हैं। अब 18 साल की उम्र में बालिका के परिजनों से संपर्क हो गया। शुक्रवार को बालिका की नानी उसे लेने आ गई। तब पता चला कि मुस्कान के पिता ने उसे 8 साल तक ढूंढ़ा। वे भी पागल हो गए। लेकिन 6 साल की मुस्कान नानी से 12 साल बाद मिली तो उसे पहचान गई। केवल नानी के अलावा किसी को नहीं पहचान पाई। जब नानी व मौसा अलवर लेने आए तो मुस्कान उनके गले लग गई। उसने नानी को पहचान भी लिया। बाकी मुस्कान ने कहा कि वह नहीं जानती कि 12 साल पहले कब क्या हुआ था। लेकिन अब उसने तय कर रखा है कि डॉक्टर बनना है। मुस्कान के परिवार को ढूंढ़ने प्रयास बालिका गृह द्वारा लगातार किया गया। हाल ही में जब वीडियो कॉल के माध्यम से मुस्कान की बात करवाई गई, तो उसने अपनी नानी को पहचान लिया। मुस्कान मूल रूप से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की निवासी है। इसके बाद उसकी नानी हसीना और मौसा हारून शेख उसे लेने के लिए अलवर पहुंचे। आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने बताया कि मुस्कान शुरू से ही पढ़ाई में होनहार रही है। बालिका गृह में रहते हुए उसने कक्षा 10वीं में 91.33 प्रतिशत अंक हासिल किए और अब 12वीं की परीक्षा बायोलॉजी विषय से दी है। मुस्कान डॉक्टर बनना चाहती है और नीट की तैयारी भी कर रही थी। इसके साथ ही उसने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय जयपुर द्वारा आयोजित स्टेट लेवल प्रतियोगिता परीक्षा में चार बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उसकी उपलब्धियों को हाईकोर्ट की एक पुस्तक में भी स्थान मिला है। मौसा हारून शेख ने आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी और उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हम शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमारी बच्ची को इतने अच्छे से संभाला, उसकी पढ़ाई करवाई और उसके सपनों को उड़ान दी। अब हम उसकी आगे की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेंगे और उसे डॉक्टर जरूर बनाएंगे।" मुस्कान के पिता हबीब उर रहमान, जो अपनी बेटी की तलाश करते हुए मानसिक संतुलन खो बैठे है18 वर्षीय मुस्कान का कहना है कि उसे बचपन की बातें ज्यादा याद नहीं हैं, लेकिन अपनी नानी को पहचानना उसके लिए एक भावुक क्षण था। बेटी के मौसा ने कहा कि हमारा बच्चा खो गया था। मां की मौत हो गई थी। पिता दिमागी रूप से बीमार हो गए थे। बेटी खो गई थी। भिवाड़ी से चाइल्ड लाइन में बालिका आ गई होगी। सीडब्ल्यूसी को सब दस्तावेज दिए हैं। उसके बाद बेटी को घर ले जाने आए हैं। इनके पिता ने खूब ढूंढ़ा। लेकिन नहीं मिली। आरती बालिका गृह के संचालक बोले - 12 साल 1 महीन 21 दिन रही बालिका आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने बताया कि बालिका 2013 में मिली थी। तब इसकी उम्र केवल 6 साल थी। अब यह बालिका 18 सल की हो चुकी है। बालिका बहुत होशियार है। जिसने 10वीं में 92 पर्सेंट अंक लिए। अब 12वीं में बायो के एग्जाम दिए हैं। 12वीं में भी 98 पर्सेंट अंक आने की संभावना है। यह संभावना है कि इसी साल NEET भी क्लियर कर लेगी। ये बालिका पश्चिम बंगाल की रहने वाली है। अब इनके परिजन आए हैं। दिल्ली से अलवर आए हैं। दिल्ली तक बाइ एयर आए हैं। बालिका ने सबसे पहले नानी को पहचाना। उसके आधार पर पहचान हो सकी। 12 साल 1 महीने व 21 दिन अलवर में रही है। उसका भाई 15 दिन पहले भाई को लेकर गए थे। तोसिफ था। वो इससे छोटा था। भाई नवीं में पढ़ रहा था। उसको पुलिस के जरिए भिजवाया था। अब बालिका नानी के घर रहेगी। नानी का बीड़ी के पत्ते सप्लाई करने का काम है। हाईकोर्ट जयपुर की ओर से कॉम्पीटिशन कराया। उसमें प्रथम आई थी। हाईकोर्ट की किताब में बालिका के संविधान पर लिखे आर्टिकल भी प्रकाशित हुए हैं।
पश्चिमी बंगाल के मुर्शीदाबाद से 1500 KM दूर मजदूरी करने वाली मां की अचानक भिवाड़ी में मौत के बाद कोई परिजन नहीं आया तो मां भिवाड़ी में अंतिम संस्कार करा दिया और 6 साल की बेटी मुस्कान को अलवर चाइल्ड लाइन के जरिए आरती बालिका गृह में भिजवा दिया। यहां 12 साल तक मुस्कान लावारिश बन रही। लेकिन गृह ेक संचालक ने बालिका को अच्छे से पढ़ाने पर ध्यान दिया। कुछ साल बाद पता चला कि बालिका पढ़ने में बेहद होशियार है। 10वीं बोर्ड का रिजल्ट आया तो सब चौक गए। बालका ने 92 प्रर्सेंट अंक लिए। इस बार 12वीं का एग्जाम दिया। अब भी 98 पर्सेंट अंक आने की उम्मीद है। यही नहीं बीच-बीच में विधिक सेवा प्राधिकरकण की ओर से आयोजित कई तरह की प्रतियोगिताओं में अवार्ड जीते। हाईकोर्ट जयपुर की ओर से संविधान पर प्रकाशित किताब में मुस्कान के आर्टिकल तक छपे हैं। अब 18 साल की उम्र में बालिका के परिजनों से संपर्क हो गया। शुक्रवार को बालिका की नानी उसे लेने आ गई। तब पता चला कि मुस्कान के पिता ने उसे 8 साल तक ढूंढ़ा। वे भी पागल हो गए। लेकिन 6 साल की मुस्कान नानी से 12 साल बाद मिली तो उसे पहचान गई। केवल नानी के अलावा किसी को नहीं पहचान पाई। जब नानी व मौसा अलवर लेने आए तो मुस्कान उनके गले लग गई। उसने नानी को पहचान भी लिया। बाकी मुस्कान ने कहा कि वह नहीं जानती कि 12 साल पहले कब क्या हुआ था। लेकिन अब उसने तय कर रखा है कि डॉक्टर बनना है। मुस्कान के परिवार को ढूंढ़ने प्रयास बालिका गृह द्वारा लगातार किया गया। हाल ही में जब वीडियो कॉल के माध्यम से मुस्कान की बात करवाई गई, तो उसने अपनी नानी को पहचान लिया। मुस्कान मूल रूप से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की निवासी है। इसके बाद उसकी नानी हसीना और मौसा हारून शेख उसे लेने के लिए अलवर पहुंचे। आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने बताया कि मुस्कान शुरू से ही पढ़ाई में होनहार रही है। बालिका गृह में रहते हुए उसने कक्षा 10वीं में 91.33 प्रतिशत अंक हासिल किए और अब 12वीं की परीक्षा बायोलॉजी विषय से दी है। मुस्कान डॉक्टर बनना चाहती है और नीट की तैयारी भी कर रही थी। इसके साथ ही उसने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय जयपुर द्वारा आयोजित स्टेट लेवल प्रतियोगिता परीक्षा में चार बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उसकी उपलब्धियों को हाईकोर्ट की एक पुस्तक में भी स्थान मिला है। मौसा हारून शेख ने आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी और उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हम शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमारी बच्ची को इतने अच्छे से संभाला, उसकी पढ़ाई करवाई और उसके सपनों को उड़ान दी। अब हम उसकी आगे की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेंगे और उसे डॉक्टर जरूर बनाएंगे।" मुस्कान के पिता हबीब उर रहमान, जो अपनी बेटी की तलाश करते हुए मानसिक संतुलन खो बैठे है18 वर्षीय मुस्कान का कहना है कि उसे बचपन की बातें ज्यादा याद नहीं हैं, लेकिन अपनी नानी को पहचानना उसके लिए एक भावुक क्षण था। बेटी के मौसा ने कहा कि हमारा बच्चा खो गया था। मां की मौत हो गई थी। पिता दिमागी रूप से बीमार हो गए थे। बेटी खो गई थी। भिवाड़ी से चाइल्ड लाइन में बालिका आ गई होगी। सीडब्ल्यूसी को सब दस्तावेज दिए हैं। उसके बाद बेटी को घर ले जाने आए हैं। इनके पिता ने खूब ढूंढ़ा। लेकिन नहीं मिली। आरती बालिका गृह के संचालक बोले - 12 साल 1 महीन 21 दिन रही बालिका आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने बताया कि बालिका 2013 में मिली थी। तब इसकी उम्र केवल 6 साल थी। अब यह बालिका 18 सल की हो चुकी है। बालिका बहुत होशियार है। जिसने 10वीं में 92 पर्सेंट अंक लिए। अब 12वीं में बायो के एग्जाम दिए हैं। 12वीं में भी 98 पर्सेंट अंक आने की संभावना है। यह संभावना है कि इसी साल NEET भी क्लियर कर लेगी। ये बालिका पश्चिम बंगाल की रहने वाली है। अब इनके परिजन आए हैं। दिल्ली से अलवर आए हैं। दिल्ली तक बाइ एयर आए हैं। बालिका ने सबसे पहले नानी को पहचाना। उसके आधार पर पहचान हो सकी। 12 साल 1 महीने व 21 दिन अलवर में रही है। उसका भाई 15 दिन पहले भाई को लेकर गए थे। तोसिफ था। वो इससे छोटा था। भाई नवीं में पढ़ रहा था। उसको पुलिस के जरिए भिजवाया था। अब बालिका नानी के घर रहेगी। नानी का बीड़ी के पत्ते सप्लाई करने का काम है। हाईकोर्ट जयपुर की ओर से कॉम्पीटिशन कराया। उसमें प्रथम आई थी। हाईकोर्ट की किताब में बालिका के संविधान पर लिखे आर्टिकल भी प्रकाशित हुए हैं।