सुप्रीम कोर्ट बोला-भूकंप के खतरों पर दिशा-निर्देश नहीं दे सकते:बेंच ने पूछा- क्या सबको चांद पर भेज दें; यह सरकार का काम, हमारा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर में भूकंप से जुड़े खतरों को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला सरकार की नीति से जुड़ा है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिका की सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पहले सिर्फ दिल्ली को उच्च भूकंप का हाई-रिस्क जोन माना जाता था, लेकिन अब नए आकलन के अनुसार देश की 75% आबादी हाई-रिस्क जोन में रहती है। इसके जवाब में जस्टिस नाथ ने कहा “तो क्या हम सबको चांद पर भेज दें?” वहीं जब याचिकाकर्ता ने जापान में आए हालिया भूकंप का हवाला दिया, तो कोर्ट ने कहा कि पहले हमें भारत में ज्वालामुखी लाने होंगे, तभी जापान से तुलना हो सकती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार को भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। अदालत ने यह बात मानने से इनकार कर दिया और कहा कि यह सरकार का काम है, कोर्ट नहीं कर सकता। याचिका खारिज। कोर्ट रूम LIVE जस्टिस विक्रम नाथ: आपकी मांग तो बहुत बड़ी है। क्या हम सबको चांद पर भेज दें? याचिकाकर्ता: देश की 75% आबादी अब भूकंप के हाई-रिस्क जोन में है। सरकार को तैयारी करनी चाहिए। जस्टिस नाथ: जापान से तुलना करने से पहले हमें भारत में ज्वालामुखी भी ला देने चाहिए? याचिकाकर्ता: हाल ही में जापान में बड़ा भूकंप आया है। हमें भी कदम उठाने चाहिए। जस्टिस संदीप मेहता: यह पूरा मामला सरकार की नीति का है। कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। याचिकाकर्ता: मेरे पास नए तथ्य हैं, और कई अखबारों ने भी इस पर रिपोर्ट की है। जस्टिस मेहता: ये अखबार की खबरें हैं। इन्हें हम सबूत नहीं मानते। जस्टिस नाथ: जहां नीति बनानी है, वह सरकार का काम है, हमारा नहीं। कोर्ट का आदेश: याचिका खारिज। भूकंप सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। अब BIS की ओर से जारी नए भूकंप नक्शे के बारे में जानते हैं.... भारत सरकार की संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने देश का नया भूकंप जोखिम नक्शा जारी किया है, जिसके बाद पूरे देश में चिंता बढ़ गई है। नए नक्शे के मुताबिक भारत की 75% आबादी अब भूकंप के “खतरनाक क्षेत्र” में रह रही है, और हिमालयन रेंज को पूरी तरह अल्ट्रा-हाई रिस्क जोन (जोन VI) में रखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के नीचे वाली टेक्टोनिक प्लेट्स 200 साल से हिली तक नहीं हैं, यानी वहां भारी तनाव जमा है और किसी भी समय बहुत शक्तिशाली भूकंप आ सकता है। BIS ने नया नक्शा IS 1893 (Part 1): 2025 कोड के तहत जारी किया है, जो जनवरी 2025 से लागू है। अब देश में बिल्डिंग्‍स, ब्रिज, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट इसी नए भूकंप नियमों के अनुसार बनाए जाएंगे। यह नक्शा पुराने 2002 के नक्शे की जगह ले रहा है। पहले देश को 4 जोन में बांटा गया था—जोन II (कम खतरा), जोन III (मध्यम), जोन IV (ज्यादा) और जोन V (सबसे ज्यादा खतरा)। नए नक्शे में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके को जोन VI जैसा अल्ट्रा-हाई रिस्क माना गया है। नए आंकड़ों के अनुसार, 61% क्षेत्र मध्यम से भारी खतरे वाले जोन में आ गया है। 75% आबादी खतरे में रहती है (पहले यह कम था)। कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक पूरा हिमालय जोन VI में डाल दिया गया है। इसकी 3 वजह है। देहरादून, हरिद्वार जैसे आसपास के मैदानी इलाके भी अब ज्यादा खतरे में मानें जाएंगे। दक्षिण भारत की जमीन बाकी हिस्सों की तुलना में काफी स्थिर मानी जाती है। तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल का ज्यादातर हिस्सा अब भी भूकंप के कम से मध्यम खतरे वाले जोन (जोन II और III) में है। हालांकि, कुछ तटीय इलाकों में मिट्टी के नरम पड़ने या गलने (लिक्विफैक्शन) का खतरा बढ़ा है, जिस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। यह अब तक का सबसे वैज्ञानिक और सटीक नक्शा कहा जा रहा है। इसमें GPS डेटा, सैटेलाइट स्टडी, फॉल्ट लाइन, भूकंप इतिहास, लाखों सिमुलेशन शामिल हैं जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों की तकनीक अपनाई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियमों से भूकंप में 80-90% नुकसान कम किया जा सकता है। नई बिल्डिंग्‍स गिरेंगी नहीं, झटके सहने लायक होंगी। पुरानी बिल्डिंग्‍स को भी अपडेट करना जरूरी है। -------------------- ये खबर भी पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:भारत में नए साल से रोजाना आ रहे भूकंप, चीन का भूकंप बड़ी तबाही की चेतावनी; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है 7 जनवरी को सुबह 9:05 बजे प्रांत 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 95 लोगों की मौत हो गई, जबकि 130 लोग घायल हो गए। ये इतना पावरफुल था कि इसके झटके 200 किलोमीटर दूर भारत में भी महसूस हुए। भूकंप का असर नेपाल, भूटान समेत भारत के सिक्किम और उत्तराखंड में भी हुआ। पूरी खबर पढ़ें...

Dec 13, 2025 - 13:48
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सुप्रीम कोर्ट बोला-भूकंप के खतरों पर दिशा-निर्देश नहीं दे सकते:बेंच ने पूछा- क्या सबको चांद पर भेज दें; यह सरकार का काम, हमारा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर में भूकंप से जुड़े खतरों को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला सरकार की नीति से जुड़ा है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिका की सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पहले सिर्फ दिल्ली को उच्च भूकंप का हाई-रिस्क जोन माना जाता था, लेकिन अब नए आकलन के अनुसार देश की 75% आबादी हाई-रिस्क जोन में रहती है। इसके जवाब में जस्टिस नाथ ने कहा “तो क्या हम सबको चांद पर भेज दें?” वहीं जब याचिकाकर्ता ने जापान में आए हालिया भूकंप का हवाला दिया, तो कोर्ट ने कहा कि पहले हमें भारत में ज्वालामुखी लाने होंगे, तभी जापान से तुलना हो सकती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार को भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। अदालत ने यह बात मानने से इनकार कर दिया और कहा कि यह सरकार का काम है, कोर्ट नहीं कर सकता। याचिका खारिज। कोर्ट रूम LIVE जस्टिस विक्रम नाथ: आपकी मांग तो बहुत बड़ी है। क्या हम सबको चांद पर भेज दें? याचिकाकर्ता: देश की 75% आबादी अब भूकंप के हाई-रिस्क जोन में है। सरकार को तैयारी करनी चाहिए। जस्टिस नाथ: जापान से तुलना करने से पहले हमें भारत में ज्वालामुखी भी ला देने चाहिए? याचिकाकर्ता: हाल ही में जापान में बड़ा भूकंप आया है। हमें भी कदम उठाने चाहिए। जस्टिस संदीप मेहता: यह पूरा मामला सरकार की नीति का है। कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। याचिकाकर्ता: मेरे पास नए तथ्य हैं, और कई अखबारों ने भी इस पर रिपोर्ट की है। जस्टिस मेहता: ये अखबार की खबरें हैं। इन्हें हम सबूत नहीं मानते। जस्टिस नाथ: जहां नीति बनानी है, वह सरकार का काम है, हमारा नहीं। कोर्ट का आदेश: याचिका खारिज। भूकंप सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। अब BIS की ओर से जारी नए भूकंप नक्शे के बारे में जानते हैं.... भारत सरकार की संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने देश का नया भूकंप जोखिम नक्शा जारी किया है, जिसके बाद पूरे देश में चिंता बढ़ गई है। नए नक्शे के मुताबिक भारत की 75% आबादी अब भूकंप के “खतरनाक क्षेत्र” में रह रही है, और हिमालयन रेंज को पूरी तरह अल्ट्रा-हाई रिस्क जोन (जोन VI) में रखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के नीचे वाली टेक्टोनिक प्लेट्स 200 साल से हिली तक नहीं हैं, यानी वहां भारी तनाव जमा है और किसी भी समय बहुत शक्तिशाली भूकंप आ सकता है। BIS ने नया नक्शा IS 1893 (Part 1): 2025 कोड के तहत जारी किया है, जो जनवरी 2025 से लागू है। अब देश में बिल्डिंग्‍स, ब्रिज, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट इसी नए भूकंप नियमों के अनुसार बनाए जाएंगे। यह नक्शा पुराने 2002 के नक्शे की जगह ले रहा है। पहले देश को 4 जोन में बांटा गया था—जोन II (कम खतरा), जोन III (मध्यम), जोन IV (ज्यादा) और जोन V (सबसे ज्यादा खतरा)। नए नक्शे में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके को जोन VI जैसा अल्ट्रा-हाई रिस्क माना गया है। नए आंकड़ों के अनुसार, 61% क्षेत्र मध्यम से भारी खतरे वाले जोन में आ गया है। 75% आबादी खतरे में रहती है (पहले यह कम था)। कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक पूरा हिमालय जोन VI में डाल दिया गया है। इसकी 3 वजह है। देहरादून, हरिद्वार जैसे आसपास के मैदानी इलाके भी अब ज्यादा खतरे में मानें जाएंगे। दक्षिण भारत की जमीन बाकी हिस्सों की तुलना में काफी स्थिर मानी जाती है। तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल का ज्यादातर हिस्सा अब भी भूकंप के कम से मध्यम खतरे वाले जोन (जोन II और III) में है। हालांकि, कुछ तटीय इलाकों में मिट्टी के नरम पड़ने या गलने (लिक्विफैक्शन) का खतरा बढ़ा है, जिस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। यह अब तक का सबसे वैज्ञानिक और सटीक नक्शा कहा जा रहा है। इसमें GPS डेटा, सैटेलाइट स्टडी, फॉल्ट लाइन, भूकंप इतिहास, लाखों सिमुलेशन शामिल हैं जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों की तकनीक अपनाई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियमों से भूकंप में 80-90% नुकसान कम किया जा सकता है। नई बिल्डिंग्‍स गिरेंगी नहीं, झटके सहने लायक होंगी। पुरानी बिल्डिंग्‍स को भी अपडेट करना जरूरी है। -------------------- ये खबर भी पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:भारत में नए साल से रोजाना आ रहे भूकंप, चीन का भूकंप बड़ी तबाही की चेतावनी; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है 7 जनवरी को सुबह 9:05 बजे प्रांत 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 95 लोगों की मौत हो गई, जबकि 130 लोग घायल हो गए। ये इतना पावरफुल था कि इसके झटके 200 किलोमीटर दूर भारत में भी महसूस हुए। भूकंप का असर नेपाल, भूटान समेत भारत के सिक्किम और उत्तराखंड में भी हुआ। पूरी खबर पढ़ें...