सरिस्का में एलिवेटेड रोड के विरोध में गांव वाले:ग्रामीण बोले - पूरा एलिवेटेड रोड बना तो हजारों परिवारों की राेजी-रोटी पर संकट
अलवर जिले के सरिस्का क्षेत्र में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के विरोध में थानागाजी के आसपास के ग्रामीण शनिवार को तीसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे। ग्रामीणों का विरोध है कि एलिवेटेड रोड से हजारों परिवारों की रोजी रोटी पर संकट आ जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी 30 सूत्रीय मांगें हैं। एलिवेटेड रोड के अलावा भी ग्रामीणों को सरिस्का में टूरिज्म को बढ़ाने के लिहाज से सरकार को कई कदम उठाने की जरूरत है। अभी सरिस्का के अंदर से टूरिस्ट आते-जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अभी तक किसी सक्षम अधिकारी ने मौके पर आकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव भूपत सिंह बाल्यान ने बताया कि महापंचायत के बाद यह धरना-प्रदर्शन शुरू किया गया, जो 19 तारीख तक चलेगा। इसके बाद फिर से पंचायत कर बड़े जनांदोलन का निर्णय लिया जाएगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो वे सड़क पर उतर कर बड़ा आंदोलन करेंगे।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार की ओर से आवंटित की गई 55,000 हेक्टेयर जमीन की जानकारी किसानों तक नहीं पहुंचाई गई है। ग्रामीणों की मांग है कि इस भूमि का विवरण ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किनकी जमीनें अधिग्रहित की गई हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि एलिवेटेड रोड मौजूदा रूट पर बनता है, तो कई गांवों के लोग अपनी आजीविका खो देंगे और पलायन के लिए मजबूर हो जाएंगे।
बुजुर्ग रामकरण गुर्जर ने बताया कि एलिवेटेड रोड को भृतहरि तिराहा से थानागाजी थैंक्यू बोर्ड तक सीमित किया जाना चाहिए। यदि रोड नटनी का बारा से होकर गुजरता है, तो हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वन विभाग पहले ही पांडुपोल हनुमान मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर रहा है, और अब एलिवेटेड रोड ग्रामीणों के जीवन पर संकट ला रहा है। इस बीच, सरिस्का डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि एलिवेटेड रोड के लिए दो रूट प्रस्तावित किए गए हैं। पहला रूट नटनी का बारा से कुशालगढ़ होते हुए थानागाजी तक जाता है, जबकि दूसरा रूट नटनी का बारा से कुशालगढ़, तालवरक्ष होते हुए थानागाजी तक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक उनके पास कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं आया है। एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) रूट तय करेगा, जिसके बाद प्रस्ताव डीएफओ कार्यालय में भेजा जाएगा।
डीएफओ सहारण ने बताया कि एक रूट से लगभग 20,000 से अधिक पेड़ों के कटने की संभावना है, जबकि दूसरे रूट पर 5,000 से 10,000 पेड़ काटे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पूर्ण एलिवेटेड रोड बेहतर रहेगा, लेकिन आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय सरकार ही करेगी।
अलवर जिले के सरिस्का क्षेत्र में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के विरोध में थानागाजी के आसपास के ग्रामीण शनिवार को तीसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे। ग्रामीणों का विरोध है कि एलिवेटेड रोड से हजारों परिवारों की रोजी रोटी पर संकट आ जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी 30 सूत्रीय मांगें हैं। एलिवेटेड रोड के अलावा भी ग्रामीणों को सरिस्का में टूरिज्म को बढ़ाने के लिहाज से सरकार को कई कदम उठाने की जरूरत है। अभी सरिस्का के अंदर से टूरिस्ट आते-जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अभी तक किसी सक्षम अधिकारी ने मौके पर आकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव भूपत सिंह बाल्यान ने बताया कि महापंचायत के बाद यह धरना-प्रदर्शन शुरू किया गया, जो 19 तारीख तक चलेगा। इसके बाद फिर से पंचायत कर बड़े जनांदोलन का निर्णय लिया जाएगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो वे सड़क पर उतर कर बड़ा आंदोलन करेंगे।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार की ओर से आवंटित की गई 55,000 हेक्टेयर जमीन की जानकारी किसानों तक नहीं पहुंचाई गई है। ग्रामीणों की मांग है कि इस भूमि का विवरण ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किनकी जमीनें अधिग्रहित की गई हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि एलिवेटेड रोड मौजूदा रूट पर बनता है, तो कई गांवों के लोग अपनी आजीविका खो देंगे और पलायन के लिए मजबूर हो जाएंगे।
बुजुर्ग रामकरण गुर्जर ने बताया कि एलिवेटेड रोड को भृतहरि तिराहा से थानागाजी थैंक्यू बोर्ड तक सीमित किया जाना चाहिए। यदि रोड नटनी का बारा से होकर गुजरता है, तो हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वन विभाग पहले ही पांडुपोल हनुमान मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर रहा है, और अब एलिवेटेड रोड ग्रामीणों के जीवन पर संकट ला रहा है। इस बीच, सरिस्का डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि एलिवेटेड रोड के लिए दो रूट प्रस्तावित किए गए हैं। पहला रूट नटनी का बारा से कुशालगढ़ होते हुए थानागाजी तक जाता है, जबकि दूसरा रूट नटनी का बारा से कुशालगढ़, तालवरक्ष होते हुए थानागाजी तक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक उनके पास कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं आया है। एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) रूट तय करेगा, जिसके बाद प्रस्ताव डीएफओ कार्यालय में भेजा जाएगा।
डीएफओ सहारण ने बताया कि एक रूट से लगभग 20,000 से अधिक पेड़ों के कटने की संभावना है, जबकि दूसरे रूट पर 5,000 से 10,000 पेड़ काटे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पूर्ण एलिवेटेड रोड बेहतर रहेगा, लेकिन आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय सरकार ही करेगी।