जल संसाधन विभाग:उदयपुर संभाग, बांसवाड़ा सिर्फ जिला, फिर भी चीफ इंजीनियर ऑफिस वहां खोला
सरकार ने चौंकाने वाला फैसला किया है। उदयपुर संभाग मुख्यालय हाेने के बावजूद जल संसाधन विभाग का चीफ इंजीनियर कार्यालय बांसवाड़ा में खोल दिया गया। अब बांसवाड़ा से उदयपुर सहित 8 जिलाें की कमान संभाली जाएगी, जबकि उदयपुर संभाग में करीब 47 साल से एडिशनल चीफ इंजीनियरिंग कार्यालय चल रहा है। इसे ही अपग्रेड कर चीफ इंजीनियर कार्यालय बनाया जाना था। बांसवाड़ा संभाग भी नहीं है। इसके बावजूद ये राजसमंद, उदयपुर, चित्ताैड़गढ़, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सलूंबर और प्रतापगढ़ का काम देखेगा, जबकि प्रशासनिक रूप से बने उदयपुर संभाग में ही भीलवाड़ा को हटाकर बाकी के 7 जिले पहले से ही शामिल हैं। जयपुर-जोधपुर व कोटा संभागों में चीफ इंजीनियर कार्यालय है, लेकिन उदयपुर एक ऐसा संभाग बन गया है, जिसमें यह कार्यालय नहीं है। सरकार के इस फैसले पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने गत वर्ष सितंबर में बांसवाड़ा में यह कार्यालय खोलने की घाेषणा की थी। दरअसल, मार्च 2023 में बांसवाड़ा को नया संभाग बनाया गया था। बाद में दिसंबर 2024 में इसे संभाग बनाए जाने का आदेश वापस ले लिया गया। ऐसे में अब यह महज जिला रह गया है। इसके बावजूद इसी माह वहां यह कार्यालय खोला गया है। बांसवाड़ा में त्यागी काे चीफ इंजीनियर की कमान साैंपी
जल संसाधन विभाग ने बांसवाड़ा में चीफ इंजीनियर के रूप में अजय कुमार त्यागी काे लगाया है। वे बांसवाड़ा में ही एडिशनल चीफ इंजीनियर थे। उन्हें पदोन्नत किया गया है। इसके अलावा कार्यालय में अभी तीन एसई, टीए जितेंद्र वर्मा, प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ऑफिसर राजेंद्र सिंह अखवी और एसई वर्क महेंद्र सिंह चारण काे नियुक्ति दी गई है। फैसले पर इसलिए उठ रहे सवाल दूरी : 8 जिलों से बांसवाड़ा 275 किमी तक दूर, उदयपुर की 150 तक ही सीमित रहती
प्रतापगढ़, डूंगरपुर व सलूंबर जिले ही ऐसे हैं, जो बांसवाड़ा से 80 से 100 किमी की दूरी पर हैं, जबकि राजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ 200 से लेकर 275 किमी तक दूर हैं। उदयपुर भी बांसवाड़ा से 160 किमी की दूरी पर है। राजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ से बांसवाड़ा जाना हो तो भी उदयपुर बीच में आएगा। उदयपुर से प्रतापगढ़-डूंगरपुर-सलूंबर 60 से लेकर 110 किमी और राजसमंद-भीलवाड़ा-चित्तौड़ 60 से 150 किमी तक की दूरी पर हैं। सभी तरफ हाईवे भी हैं, जबकि बांसवाड़ा में नेशनल हाईवे जैसा कोई रोड भी नहीं है। जिम्मा : 241 बांध-झीलों में से 178 अब भी उदयपुर के जिम्मे, बांसवाड़ा महज 63 देखेगा
बांसवाड़ा में चीफ इंजीनियर कार्यालय खोला गया है। इसके अधीन उदयपुर व बांसवाड़ा में एडिशनल चीफ इंजीनियर रहेंगे। कुल 241 बांध-झीलें हैं। उदयपुर के पास उदयपुर, राजसमंद, सलूंबर, भीलवाड़ा, चित्ताैड़गढ़ जिले के 178 बांध और झीलाें की मॉनिटरिंग रहेगी। बांसवाड़ा के अधीन प्रतापगढ़, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले की माॅनिटरिंग व 63 बांध-झीलाें की देखरेख रहेगी। व्यवस्था: उदयपुर में 47 साल से एडिशनल चीफ ऑफिस, बांसवाड़ा में एक साल से ही
उदयपुर संभाग में 47 साल से एडिशनल चीफ इंजीनियर की पाेस्ट है, जबकि बांसवाड़ा में पिछले साल ही यह पोस्ट बनाई गई। हालांकि, इससे पहले 1960 में यहां माही प्राेजेक्ट शुरू हुआ था, तब चीफ इंजीनियर की पाेस्ट बनाई गई थी। यह पोस्ट भी केवल प्राेजेक्ट के लिए ही थी। यह काम पूरा हाेने के बाद वर्ष 2005 में इसे खत्म कर दिया गया और उदयपुर से ही कामकाज देखा जाने लगा। उदयपुर में वर्ष 1978 से एडिशनल चीफ इंजीनियर की पोस्ट है। उदयपुर जाेन में ही बांसवाड़ा जिला शामिल रहा है। बड़े प्रोजेक्ट : उदयपुर में देवास थर्ड-फॉर्थ जैसे प्रोजेक्ट, बांसवाड़ा में अभी खास नहीं
बांसवाड़ा में माही प्राेजेक्ट बंद हाे गया है, लेकिन उदयपुर में देवास के तृतीय और चतुर्थ चरण में बांध बनाने जैसे प्रमुख प्राेजेक्ट पर काम चल रहा है। इसी तरह जाखम बांध से जयसमंद काे भरने के प्राेजेक्ट पर भी काम जारी है। उदयसागर झील से बागाेलिया बांध काे भरने, उदयसागर से नई नहर बनाने जैसे प्राेजेक्ट भी चल रहे हैं। इन प्राेजेक्ट की लागत 20 कराेड़ से ज्यादा की है। एक्सपर्ट भी बोले - प्रशासनिक और तकनीकी रूप से उदयपुर ही बेहतर सेवानिवृत्त एक्सईएन विनित शर्मा का कहना है कि संभागीय मुख्यालय हाेने से प्रशासनिक, तकनीकी रूप से उदयपुर में ही चीफ इंजीनियर का कार्यालय खोला जाना बेहतर रहता। बांसवाड़ा भाैगाेलिक रूप से एक तरफ है। वहां आने-जाने के लिए अभी नेशनल हाईवे जैसा भी सुगम मार्ग नहीं है। उदयपुर हर जिले से किसी न किसी हाईवे से जुड़ा हुआ है। रेल की सेवा भी इस ऑफिस के अधीन आने वाले कई जिलों से सीधी जुड़ी हुई है। ये फायदा होता...7 करोड़ से ऊपर के हर काम को उदयपुर में ही मिल जाती मंजूरी, यहां अभी प्रस्तावित काम भी इससे ऊपर की राशि के ही जल संसाधन विभाग में 7 कराेड़ तक के कार्यों के टेंडर जारी करने की पावर एडिशनल चीफ इंजीनियर के पास रहती है। इसके बाद 15 कराेड़ रुपए तक के टेंडर चीफ इंजीनियर जारी कर सकते हैं। उदयपुर में जो भी प्राेजेक्ट चल रहे हैं, वे 20 करोड़ की लागत से ज्यादा वाले हैं। ऐसे में यहां ऑफिस होने से आसानी होती। अभी उदयपुर में आईजी, संभागीय आयुक्त, वन विभाग में सीसीएफ, खनन मुख्यालय, आबकारी मुख्यालय, देवस्थान मुख्यालय सहित पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय सहित अन्य सभी छाेटे-बड़े विभाग के संभाग स्तरीय अधिकारी बैठते हैं। ऐसे में विभागीय सामंजस्य में भी आसानी से रहती।
सरकार ने चौंकाने वाला फैसला किया है। उदयपुर संभाग मुख्यालय हाेने के बावजूद जल संसाधन विभाग का चीफ इंजीनियर कार्यालय बांसवाड़ा में खोल दिया गया। अब बांसवाड़ा से उदयपुर सहित 8 जिलाें की कमान संभाली जाएगी, जबकि उदयपुर संभाग में करीब 47 साल से एडिशनल चीफ इंजीनियरिंग कार्यालय चल रहा है। इसे ही अपग्रेड कर चीफ इंजीनियर कार्यालय बनाया जाना था। बांसवाड़ा संभाग भी नहीं है। इसके बावजूद ये राजसमंद, उदयपुर, चित्ताैड़गढ़, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सलूंबर और प्रतापगढ़ का काम देखेगा, जबकि प्रशासनिक रूप से बने उदयपुर संभाग में ही भीलवाड़ा को हटाकर बाकी के 7 जिले पहले से ही शामिल हैं। जयपुर-जोधपुर व कोटा संभागों में चीफ इंजीनियर कार्यालय है, लेकिन उदयपुर एक ऐसा संभाग बन गया है, जिसमें यह कार्यालय नहीं है। सरकार के इस फैसले पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने गत वर्ष सितंबर में बांसवाड़ा में यह कार्यालय खोलने की घाेषणा की थी। दरअसल, मार्च 2023 में बांसवाड़ा को नया संभाग बनाया गया था। बाद में दिसंबर 2024 में इसे संभाग बनाए जाने का आदेश वापस ले लिया गया। ऐसे में अब यह महज जिला रह गया है। इसके बावजूद इसी माह वहां यह कार्यालय खोला गया है। बांसवाड़ा में त्यागी काे चीफ इंजीनियर की कमान साैंपी
जल संसाधन विभाग ने बांसवाड़ा में चीफ इंजीनियर के रूप में अजय कुमार त्यागी काे लगाया है। वे बांसवाड़ा में ही एडिशनल चीफ इंजीनियर थे। उन्हें पदोन्नत किया गया है। इसके अलावा कार्यालय में अभी तीन एसई, टीए जितेंद्र वर्मा, प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ऑफिसर राजेंद्र सिंह अखवी और एसई वर्क महेंद्र सिंह चारण काे नियुक्ति दी गई है। फैसले पर इसलिए उठ रहे सवाल दूरी : 8 जिलों से बांसवाड़ा 275 किमी तक दूर, उदयपुर की 150 तक ही सीमित रहती
प्रतापगढ़, डूंगरपुर व सलूंबर जिले ही ऐसे हैं, जो बांसवाड़ा से 80 से 100 किमी की दूरी पर हैं, जबकि राजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ 200 से लेकर 275 किमी तक दूर हैं। उदयपुर भी बांसवाड़ा से 160 किमी की दूरी पर है। राजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ से बांसवाड़ा जाना हो तो भी उदयपुर बीच में आएगा। उदयपुर से प्रतापगढ़-डूंगरपुर-सलूंबर 60 से लेकर 110 किमी और राजसमंद-भीलवाड़ा-चित्तौड़ 60 से 150 किमी तक की दूरी पर हैं। सभी तरफ हाईवे भी हैं, जबकि बांसवाड़ा में नेशनल हाईवे जैसा कोई रोड भी नहीं है। जिम्मा : 241 बांध-झीलों में से 178 अब भी उदयपुर के जिम्मे, बांसवाड़ा महज 63 देखेगा
बांसवाड़ा में चीफ इंजीनियर कार्यालय खोला गया है। इसके अधीन उदयपुर व बांसवाड़ा में एडिशनल चीफ इंजीनियर रहेंगे। कुल 241 बांध-झीलें हैं। उदयपुर के पास उदयपुर, राजसमंद, सलूंबर, भीलवाड़ा, चित्ताैड़गढ़ जिले के 178 बांध और झीलाें की मॉनिटरिंग रहेगी। बांसवाड़ा के अधीन प्रतापगढ़, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले की माॅनिटरिंग व 63 बांध-झीलाें की देखरेख रहेगी। व्यवस्था: उदयपुर में 47 साल से एडिशनल चीफ ऑफिस, बांसवाड़ा में एक साल से ही
उदयपुर संभाग में 47 साल से एडिशनल चीफ इंजीनियर की पाेस्ट है, जबकि बांसवाड़ा में पिछले साल ही यह पोस्ट बनाई गई। हालांकि, इससे पहले 1960 में यहां माही प्राेजेक्ट शुरू हुआ था, तब चीफ इंजीनियर की पाेस्ट बनाई गई थी। यह पोस्ट भी केवल प्राेजेक्ट के लिए ही थी। यह काम पूरा हाेने के बाद वर्ष 2005 में इसे खत्म कर दिया गया और उदयपुर से ही कामकाज देखा जाने लगा। उदयपुर में वर्ष 1978 से एडिशनल चीफ इंजीनियर की पोस्ट है। उदयपुर जाेन में ही बांसवाड़ा जिला शामिल रहा है। बड़े प्रोजेक्ट : उदयपुर में देवास थर्ड-फॉर्थ जैसे प्रोजेक्ट, बांसवाड़ा में अभी खास नहीं
बांसवाड़ा में माही प्राेजेक्ट बंद हाे गया है, लेकिन उदयपुर में देवास के तृतीय और चतुर्थ चरण में बांध बनाने जैसे प्रमुख प्राेजेक्ट पर काम चल रहा है। इसी तरह जाखम बांध से जयसमंद काे भरने के प्राेजेक्ट पर भी काम जारी है। उदयसागर झील से बागाेलिया बांध काे भरने, उदयसागर से नई नहर बनाने जैसे प्राेजेक्ट भी चल रहे हैं। इन प्राेजेक्ट की लागत 20 कराेड़ से ज्यादा की है। एक्सपर्ट भी बोले - प्रशासनिक और तकनीकी रूप से उदयपुर ही बेहतर सेवानिवृत्त एक्सईएन विनित शर्मा का कहना है कि संभागीय मुख्यालय हाेने से प्रशासनिक, तकनीकी रूप से उदयपुर में ही चीफ इंजीनियर का कार्यालय खोला जाना बेहतर रहता। बांसवाड़ा भाैगाेलिक रूप से एक तरफ है। वहां आने-जाने के लिए अभी नेशनल हाईवे जैसा भी सुगम मार्ग नहीं है। उदयपुर हर जिले से किसी न किसी हाईवे से जुड़ा हुआ है। रेल की सेवा भी इस ऑफिस के अधीन आने वाले कई जिलों से सीधी जुड़ी हुई है। ये फायदा होता...7 करोड़ से ऊपर के हर काम को उदयपुर में ही मिल जाती मंजूरी, यहां अभी प्रस्तावित काम भी इससे ऊपर की राशि के ही जल संसाधन विभाग में 7 कराेड़ तक के कार्यों के टेंडर जारी करने की पावर एडिशनल चीफ इंजीनियर के पास रहती है। इसके बाद 15 कराेड़ रुपए तक के टेंडर चीफ इंजीनियर जारी कर सकते हैं। उदयपुर में जो भी प्राेजेक्ट चल रहे हैं, वे 20 करोड़ की लागत से ज्यादा वाले हैं। ऐसे में यहां ऑफिस होने से आसानी होती। अभी उदयपुर में आईजी, संभागीय आयुक्त, वन विभाग में सीसीएफ, खनन मुख्यालय, आबकारी मुख्यालय, देवस्थान मुख्यालय सहित पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय सहित अन्य सभी छाेटे-बड़े विभाग के संभाग स्तरीय अधिकारी बैठते हैं। ऐसे में विभागीय सामंजस्य में भी आसानी से रहती।