काशी में मस्जिद में घुसे बीजेपी विधायक:बोले- ऐसी जगहों की भी सफाई जरूरी है, एक घंटे लगाई झाड़ू; औरंगजेब ने बनवाई थी आलमगीर मस्जिद

वाराणसी सांसद एवं पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन से पहले भाजपा का स्वच्छता अभियान मंदिर से चलकर मस्जिदों तक पहुंच गया। शहर दक्षिणी के विधायक डा. नीलकंठ तिवारी सोमवार को 'धरहरा मस्जिद' में समर्थकों के साथ घुस गए। यहां विधायक ने मस्जिद के अंदर से लेकर बाहर तक झाडू लगाई। फिर धुलाई की। एक घंटे तक विधायक ने साफ सफाई की। इस दौरान मस्जिद में भाजपा, पीएम मोदी और योगी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। कार्यकर्ताओं ने हर हर महादेव का जयघोष किया। विधायक बोले- ऐसी जगहों पर भी साफ-सफाई जरूरी है। 1669 में "आलमगीर" उपाधि मिलने के बाद बिंदुमाधव वार्ड में आलमगीर मस्जिद का निर्माण कराया। जिसे धरहरा मस्जिद भी कहा जाता है। इस स्थान पर मंदिर का दावा करने वाले दो केस कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में यह एएसआई के सुपुर्द है। पहले पढ़िए धरहरा मस्जिद की पुरानी कहानी... 1669 में तोड़ा गया था मंदिर इतिहासकार डॉ. मोतीचंद्र ने 'काशी के इतिहास' में लिखा है कि 1669 में औरंगजेब के शाही फरमान से जब विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया उसके लपेटे में बिंदुमाधव मंदिर भी आ गया। बिंदुमाधव मंदिर पंचगंगा घाट से लेकर रामघाट तक फैला हुआ था। उसके अहाते में श्रीराम और मंगला गौरी के मंदिर के साथ ही पुजारियों के रहने के लिए मकान भी बने हुए थे। बिंदुमाधव मंदिर किसने बनवाया यह तो नहीं बताया जा सकता है, लेकिन तुलसीदास के समय वह जरूर था। हो सकता है कि मंदिर राजा मानसिंह ने बनवाया रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। 1665 में टैवर्नियर आया था बनारस डॉ. मोतीचंद्र ने 'काशी के इतिहास' में लिखा है कि 1665 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बनारस आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर के यात्रा वृत्तांत से औरंगजेब के समय के बनारस का सजीव चित्रण हमारे सामने आ जाता है। टैवर्नियर के अनुसार, 'बिंदुमाधव मंदिर की चर्चा पुरी के जगन्नाथ के मंदिर जैसी थी।' मंदिर के एंट्रेस गेट से गंगा तक सीढ़ियां थी। बिंदुमाधव मंदिर स्वास्तिक या क्रॉस की शक्ल में था। इसकी चारों भुजाएं एक जैसी थीं। एक गुंबद के ऊपर नोंकदार शिखर था। बाहर से सीढ़ियां थी। गुंबद के नीचे और मंदिर के ठीक बीच में 7 से 8 फीट लंबी और 5 से 6 फीट चौड़ी एक वेदिका थी। वेदिका पर सुनहरे रंग थे। मंदिर के बाहर से मूर्तियां सीधी दिखाई देती थीं। वेदिका की मूर्तियों में से एक पांच-छह फीट की थी। मूर्ति का सिर छोड़ कर कुछ और नहीं दिखता था। मूर्ति के गले में मणिक, मोती और हीरे की माला थी। वेदिका के बायीं ओर गरुण की मूर्ति थी। सीढ़ियों से लेकर मस्जिद परिसर के अंदर तक सफाई की पीएम मोदी के 11 अप्रैल काशी दौरे को लेकर भाजपा कार्यकर्ता उत्साहित हैं और जनसंपर्क के साथ पूरे शहर में स्वच्छता अभियान चल रहा है। सोमवार को शहर दक्षिणी के विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में झाडू लगाई। पंचगंगा घाट क्षेत्र और बिंदु माधव के बाद विधायक समर्थकों के साथ 'धरहरा मस्जिद' में घुस गए। सबसे पहले उन्होंने सीढ़ियों पर झाडू लगाई। फिर अंदर परिसर में पहुंच गए। विधायक ने पहले मुख्य नमाज पढ़ने वाले स्थल पर झाडू लगाना शुरू किया। उनके साथ कई अन्य लोग भी झाडू लगाने में जुट गए। मस्जिद परिसर के सहन के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक झाडू लगाई। इसके बाद समर्थकों ने पूरे स्थल को धुला। इस दौरान योगी मोदी जिंदाबाद और नीलकंठ तिवारी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। लगभग एक घंटे मस्जिद में झाडू लगाने के साथ परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान मस्जिद पर तैनात पुलिस बल, एएसआई अधिकारी और मस्जिद से जुड़े लोग बाहर चले गए। विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में स्वच्छता अभियान चलाया, जो भी स्थल थे वहां साफ सफाई की। 1932 से एएसआई का संरक्षण वाराणसी की 'धरहरा मस्जिद' को आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है। इस मस्जिद को 1669 में बनाया गया था, जिसे 1932 में शासन की रिपोर्ट पर एएसआई को सुपुर्द कर दिया गया। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजने के लिए प्राचीनता और मूल रूप को बनाए रखने के लिए एसएसआई ने संरक्षण शुरू कर दिया। काशी में बनी इस मस्जिद की दो मीनारों को लेकर यह दावा भी किया जाता है कि उन पर चढ़कर दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई पड़ती थी। हालांकि, अब से 100 साल पहले कमजोर होने के कारण इन मीनारों को गिरा दिया गया था। इसके पास ही पंचगंगा घाट स्थित 'बिंदु माधव का मंदिर है। इस मस्जिद को बनाए जाने को लेकर विवाद भी चर्चित है, हालांकि मामले में वाराणसी कोर्ट में 2 मुकदमे लंबित हैं, जिन पर सुनवाई जारी है। ..................... ये खबर भी पढ़ें- प्रयागराज में गाजी की मजार पर भगवा झंडे फहराए:छत पर चढ़कर लगाए नारे, बोले- यहां आक्रांता कभी नहीं आया, दरगाह भी नहीं रहेगी प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए। तीन युवक दीवारों के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए। ॐ लिखे भगवा झंडा लहराते हुए नारेबाजी की। युवकों की अगुआई कर रहे मनेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताया। उसने कहा- सालार मसूद गाजी आक्रांता था। ऐसे में तीर्थराज प्रयाग में उसकी कोई दरगाह नहीं होनी चाहिए। दरगाह को तुरंत ध्वस्त कर देना चाहिए। उस जगह को हिंदुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप देनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर

Apr 7, 2025 - 20:32
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काशी में मस्जिद में घुसे बीजेपी विधायक:बोले- ऐसी जगहों की भी सफाई जरूरी है, एक घंटे लगाई झाड़ू; औरंगजेब ने बनवाई थी आलमगीर मस्जिद
वाराणसी सांसद एवं पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन से पहले भाजपा का स्वच्छता अभियान मंदिर से चलकर मस्जिदों तक पहुंच गया। शहर दक्षिणी के विधायक डा. नीलकंठ तिवारी सोमवार को 'धरहरा मस्जिद' में समर्थकों के साथ घुस गए। यहां विधायक ने मस्जिद के अंदर से लेकर बाहर तक झाडू लगाई। फिर धुलाई की। एक घंटे तक विधायक ने साफ सफाई की। इस दौरान मस्जिद में भाजपा, पीएम मोदी और योगी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। कार्यकर्ताओं ने हर हर महादेव का जयघोष किया। विधायक बोले- ऐसी जगहों पर भी साफ-सफाई जरूरी है। 1669 में "आलमगीर" उपाधि मिलने के बाद बिंदुमाधव वार्ड में आलमगीर मस्जिद का निर्माण कराया। जिसे धरहरा मस्जिद भी कहा जाता है। इस स्थान पर मंदिर का दावा करने वाले दो केस कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में यह एएसआई के सुपुर्द है। पहले पढ़िए धरहरा मस्जिद की पुरानी कहानी... 1669 में तोड़ा गया था मंदिर इतिहासकार डॉ. मोतीचंद्र ने 'काशी के इतिहास' में लिखा है कि 1669 में औरंगजेब के शाही फरमान से जब विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया उसके लपेटे में बिंदुमाधव मंदिर भी आ गया। बिंदुमाधव मंदिर पंचगंगा घाट से लेकर रामघाट तक फैला हुआ था। उसके अहाते में श्रीराम और मंगला गौरी के मंदिर के साथ ही पुजारियों के रहने के लिए मकान भी बने हुए थे। बिंदुमाधव मंदिर किसने बनवाया यह तो नहीं बताया जा सकता है, लेकिन तुलसीदास के समय वह जरूर था। हो सकता है कि मंदिर राजा मानसिंह ने बनवाया रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। 1665 में टैवर्नियर आया था बनारस डॉ. मोतीचंद्र ने 'काशी के इतिहास' में लिखा है कि 1665 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बनारस आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर के यात्रा वृत्तांत से औरंगजेब के समय के बनारस का सजीव चित्रण हमारे सामने आ जाता है। टैवर्नियर के अनुसार, 'बिंदुमाधव मंदिर की चर्चा पुरी के जगन्नाथ के मंदिर जैसी थी।' मंदिर के एंट्रेस गेट से गंगा तक सीढ़ियां थी। बिंदुमाधव मंदिर स्वास्तिक या क्रॉस की शक्ल में था। इसकी चारों भुजाएं एक जैसी थीं। एक गुंबद के ऊपर नोंकदार शिखर था। बाहर से सीढ़ियां थी। गुंबद के नीचे और मंदिर के ठीक बीच में 7 से 8 फीट लंबी और 5 से 6 फीट चौड़ी एक वेदिका थी। वेदिका पर सुनहरे रंग थे। मंदिर के बाहर से मूर्तियां सीधी दिखाई देती थीं। वेदिका की मूर्तियों में से एक पांच-छह फीट की थी। मूर्ति का सिर छोड़ कर कुछ और नहीं दिखता था। मूर्ति के गले में मणिक, मोती और हीरे की माला थी। वेदिका के बायीं ओर गरुण की मूर्ति थी। सीढ़ियों से लेकर मस्जिद परिसर के अंदर तक सफाई की पीएम मोदी के 11 अप्रैल काशी दौरे को लेकर भाजपा कार्यकर्ता उत्साहित हैं और जनसंपर्क के साथ पूरे शहर में स्वच्छता अभियान चल रहा है। सोमवार को शहर दक्षिणी के विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में झाडू लगाई। पंचगंगा घाट क्षेत्र और बिंदु माधव के बाद विधायक समर्थकों के साथ 'धरहरा मस्जिद' में घुस गए। सबसे पहले उन्होंने सीढ़ियों पर झाडू लगाई। फिर अंदर परिसर में पहुंच गए। विधायक ने पहले मुख्य नमाज पढ़ने वाले स्थल पर झाडू लगाना शुरू किया। उनके साथ कई अन्य लोग भी झाडू लगाने में जुट गए। मस्जिद परिसर के सहन के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक झाडू लगाई। इसके बाद समर्थकों ने पूरे स्थल को धुला। इस दौरान योगी मोदी जिंदाबाद और नीलकंठ तिवारी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। लगभग एक घंटे मस्जिद में झाडू लगाने के साथ परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान मस्जिद पर तैनात पुलिस बल, एएसआई अधिकारी और मस्जिद से जुड़े लोग बाहर चले गए। विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में स्वच्छता अभियान चलाया, जो भी स्थल थे वहां साफ सफाई की। 1932 से एएसआई का संरक्षण वाराणसी की 'धरहरा मस्जिद' को आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है। इस मस्जिद को 1669 में बनाया गया था, जिसे 1932 में शासन की रिपोर्ट पर एएसआई को सुपुर्द कर दिया गया। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजने के लिए प्राचीनता और मूल रूप को बनाए रखने के लिए एसएसआई ने संरक्षण शुरू कर दिया। काशी में बनी इस मस्जिद की दो मीनारों को लेकर यह दावा भी किया जाता है कि उन पर चढ़कर दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई पड़ती थी। हालांकि, अब से 100 साल पहले कमजोर होने के कारण इन मीनारों को गिरा दिया गया था। इसके पास ही पंचगंगा घाट स्थित 'बिंदु माधव का मंदिर है। इस मस्जिद को बनाए जाने को लेकर विवाद भी चर्चित है, हालांकि मामले में वाराणसी कोर्ट में 2 मुकदमे लंबित हैं, जिन पर सुनवाई जारी है। ..................... ये खबर भी पढ़ें- प्रयागराज में गाजी की मजार पर भगवा झंडे फहराए:छत पर चढ़कर लगाए नारे, बोले- यहां आक्रांता कभी नहीं आया, दरगाह भी नहीं रहेगी प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए। तीन युवक दीवारों के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए। ॐ लिखे भगवा झंडा लहराते हुए नारेबाजी की। युवकों की अगुआई कर रहे मनेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताया। उसने कहा- सालार मसूद गाजी आक्रांता था। ऐसे में तीर्थराज प्रयाग में उसकी कोई दरगाह नहीं होनी चाहिए। दरगाह को तुरंत ध्वस्त कर देना चाहिए। उस जगह को हिंदुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप देनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर