40 नवोदित गायकों ने गानों से जीता दर्शकों का दिल:मेरी आवाज ही पहचान है का जेकेके में आयोजित हुआ पांचवां संस्करण, पुराने गानों की सजी महफिल
चित्रांश आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की ओर से आयोजित प्रतिष्ठित संगीत कार्यक्रम मेरी आवाज ही पहचान है का पांचवां संस्करण जवाहर कला केंद्र के रंगायन ऑडिटोरियम में अत्यंत भव्यता और सांगीतिक उमंग के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में 40 नवोदित गायक कलाकारों ने अपनी सुरीली डुएट प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें 20 पुरुष एवं 20 महिला कलाकार शामिल रहे। यह आयोजन उन प्रतिभावान कलाकारों को मंच देने के उद्देश्य से किया गया जो अब तक मुख्यधारा में नहीं आ सके हैं। कार्यक्रम की शुरुआत दिवंगत अतुल माथुर को श्रद्धांजलि अर्पित कर हुई। इसके बाद एक के बाद एक मनमोहक डुएट प्रस्तुतियों की श्रृंखला ने समां बांध दिया। कार्यक्रम में सुनील दत्त और मधु माथुर ने "कितना प्यारा वादा", दिलीप कुलश्रेष्ठ और आशा माथुर ने "तेरे होठों के दो फूल", डॉ. पंकज माथुर और ममता शर्मा ने "तेरी मेरी प्रेम कहानी" गाने पर आकर्षक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राधे श्रीवास्तव और रिचा माथुर ने "कोरा कागज था यह मन मेरा", सुमित माथुर और वनिता माथुर ने "वादा करो", मेहुल माथुर और तेज प्रकाश माथुर ने "बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा" जैसे गीत सुनाए। इनके अलावा भी कई जोड़ों ने अपनी दमदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का संचालन मृदुला पाटनी ने अत्यंत भावपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से किया, जिससे संपूर्ण संध्या एक सधे हुए प्रवाह में आगे बढ़ती रही। मुख्य अतिथि के रूप में नरेंद्र कुमार निगम और विमला निगम, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में देवेंद्र सक्सेना मधुकर, एस. के. श्रीवास्तव, जेपी माथुर, नंदा पाटनी, पंकज लीला, आर. के. सोनी, विकास सक्सेना, विवेक निगम, संजय भटनागर (सुर फाउंडेशन), नंद बिहारी माथुर, विनोद शर्मा (नलिनी फाउंडेशन) और डॉ. शालिनी माथुर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के निर्देशक राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि “मेरी आवाज ही पहचान है” मंच के माध्यम से अब तक 220 नवोदित गायक कलाकारों को मंच प्रदान किया जा चुका है। इस बार की विशेषता यह रही कि सभी प्रस्तुतियां डुएट फॉर्मेट में थीं और किसी भी गीत या कलाकार की पुनरावृत्ति नहीं हुई।
चित्रांश आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की ओर से आयोजित प्रतिष्ठित संगीत कार्यक्रम मेरी आवाज ही पहचान है का पांचवां संस्करण जवाहर कला केंद्र के रंगायन ऑडिटोरियम में अत्यंत भव्यता और सांगीतिक उमंग के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में 40 नवोदित गायक कलाकारों ने अपनी सुरीली डुएट प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें 20 पुरुष एवं 20 महिला कलाकार शामिल रहे। यह आयोजन उन प्रतिभावान कलाकारों को मंच देने के उद्देश्य से किया गया जो अब तक मुख्यधारा में नहीं आ सके हैं। कार्यक्रम की शुरुआत दिवंगत अतुल माथुर को श्रद्धांजलि अर्पित कर हुई। इसके बाद एक के बाद एक मनमोहक डुएट प्रस्तुतियों की श्रृंखला ने समां बांध दिया। कार्यक्रम में सुनील दत्त और मधु माथुर ने "कितना प्यारा वादा", दिलीप कुलश्रेष्ठ और आशा माथुर ने "तेरे होठों के दो फूल", डॉ. पंकज माथुर और ममता शर्मा ने "तेरी मेरी प्रेम कहानी" गाने पर आकर्षक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राधे श्रीवास्तव और रिचा माथुर ने "कोरा कागज था यह मन मेरा", सुमित माथुर और वनिता माथुर ने "वादा करो", मेहुल माथुर और तेज प्रकाश माथुर ने "बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा" जैसे गीत सुनाए। इनके अलावा भी कई जोड़ों ने अपनी दमदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का संचालन मृदुला पाटनी ने अत्यंत भावपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से किया, जिससे संपूर्ण संध्या एक सधे हुए प्रवाह में आगे बढ़ती रही। मुख्य अतिथि के रूप में नरेंद्र कुमार निगम और विमला निगम, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में देवेंद्र सक्सेना मधुकर, एस. के. श्रीवास्तव, जेपी माथुर, नंदा पाटनी, पंकज लीला, आर. के. सोनी, विकास सक्सेना, विवेक निगम, संजय भटनागर (सुर फाउंडेशन), नंद बिहारी माथुर, विनोद शर्मा (नलिनी फाउंडेशन) और डॉ. शालिनी माथुर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के निर्देशक राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि “मेरी आवाज ही पहचान है” मंच के माध्यम से अब तक 220 नवोदित गायक कलाकारों को मंच प्रदान किया जा चुका है। इस बार की विशेषता यह रही कि सभी प्रस्तुतियां डुएट फॉर्मेट में थीं और किसी भी गीत या कलाकार की पुनरावृत्ति नहीं हुई।