रामेश्वर बापू की रामकथा में छलका रामदरबार प्रतिष्ठा का उल्लास:बोले-गुजरात के भक्तों ने अयोध्या की भूमि में संकीर्तन कर महाआरती भी की
देश के प्रसिद्ध रामकथा वाचक रामेश्वर बापू की रामकथा में आज राम मंदिर के राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का उल्लास छलक उठा।गुजरात के भक्तों ने अयोध्या की भूमि में संकीर्तन कर महाआरती भी की।सभी ने अयोध्या की पावन भूमि का श्रीराम के समान ही पूजनीय मानने का संकल्प लिया। इस अवसर पर रामेश्वर बापू ने कहा कि भगवान राम को और लक्ष्मण जी को लेने के लिए विश्वामित्र आते हैं।वे अपनी यज्ञ की रक्षा करने के लिए राम और लक्ष्मण जी को विश्वामित्र ऋषि वन में ले जाते हैं। प्रथम तड़का आती है जो असुरों की माता है। भगवान राम ने एक ही बाण से उसका प्राण हर लिया और तड़का को परम गति दे दी। रामेश्वर बापू ने कहा कि अयोध्या जन्मभूमि राम मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है इसलिए सब देशवासियों को सनातनियों को शुभकामनाएं हैं। जितने भी कथा के श्रोता थे सबने मिलकर आज प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को भाव से मनाया। आज राम कथा में प्रारंभ में मंगलाचरण के बाद पूज्य रामेश्वर बापू ने राम के बारे में बताया कि राम स्वयं परब्रह्म है लेकिन संतो का कार्य करने के लिए साधु का कार्य करने के धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर पृथ्वी पर आए थे पृथ्वी में भी भगवान राम ने अयोध्या भूमि को पसंद था। अयोध्या भूमि स्वयं ब्रह्म की भूमि है सरयू मैया स्वयं जगदंबा है उन्होंने कहा कि अयोध्या भूमि स्वयं ब्रह्म की भूमि है सरयू मैया स्वयं जगदंबा है। रामचरितमानस में जो कथा है वह ब्रह्म का दर्शन कराती हे कथा संस्कार ओर मूल्य प्रदान करती है। साथ-साथ सनातन धर्म का पालन कैसे करना परिवार में व्यक्ति को व्यवहार कैसे करना वह सिखाती है। यानि कथा व्यक्ति को जीवन जीना सिखाती है कथा से व्यक्ति के जीवन में विद्या का आगमन होता हे और कथा रूपी विद्या यानी जीवन को जीने की विद्या है। आज कथा में रामेश्वर बापू ने कहा कि अयोध्या में राजा दशरथ के वहां गुरु कृपा से चार पुत्रों का जन्म हुआ है। गुरु कृपा ही व्यक्ति को दुख से दूर कर सकते हैं। बिनु गुरु कृपा व्यक्ति सुख नहीं पा सकते हैं इसलिए गुरु का आश्रय ही सुख प्रदान करता है। जो समग्र जगत को आराम देंगे समग्र जगत को विश्राम देंगे ऐसा स्वरूप यानि राम है अयोध्यापुरी में राजा दशरथ के घर चार-चार पुत्र का जन्म हुआ और गुरु वशिष्ठ महाराज चार भाइयों का नामकरण करते हैं। कौशल्या पुत्र का नाम राम रखा है और अयोध्या वासियों ने जय जयकार किया जो समग्र जगत को आराम देंगे समग्र जगत को विश्राम देंगे ऐसा स्वरूप यानि राम है। अयोध्या वासियों ने राम नाम लेकर जय जयकार किया फिर कैकई पुत्र का नाम भी वशिष्ठ महाराज ने भरत की रखा है क्योंकि सब का भरण- पोषण करेगा सबका वह पोषण करने वाला है इसलिए भारत लालजी महाराज रखा है( शत्रु का हनन करने वाला सुमित्रा पुत्र का नाम शत्रुघ्न महाराज है। वे बुद्धिमान है वो लक्ष्मण हैं। विद्या सबको फ्री में मिलनी चाहिए फिर चारी भाइयों गुरु वशिष्ठ महाराज के आश्रम में विद्या अभ्यास करने के लिए जाते हैं भगवान राम के श्वास में ही चारों वेद भी मुख में सब शास्त्र हे फिर भी गुरु के चरण में बैठकर विद्या अभ्यास करते हे ।भगवान राम ने जगत को संदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति गुरु के पास बैठकर विद्या अभ्यास करना चाहिए । गुरुजी विद्या दे सकते हैं बिना गुरु विद्या सफल नहीं होते। बापू ने बताया कि आज के युग में बेटियों को खूब पढ़ाओ बच्चों को खूब पढ़ाओ लेकिन विद्या से विवेक आना चाहिए। बिना विवेक की विद्या आनंद नहीं देती है । आजकल शिक्षा विद्या बहुत महंगी हो रही है शिक्षा जगत को भी में विनती करता हूं कि विद्या सबको फ्री में मिलनी चाहिए।
