यमुनानगर में यमुना पर ओवरब्रिज निर्माण में अनियमितता की जांच:विजिलेंस ने लिए सैंपल, जांच के लिए भेजे लेब; अधिकारियों पर माइनिंग का आरोप
यमुनानगर में यमुना नदी के ऊपर बने ओवरब्रिज की जांच करने के लिए गुरुवार को चंडीगढ़ से विजिलेंस की टीम आई। नदी के नगली घाट पर दो राज्यों को जोड़ने वाले इस पुल के निर्माण कार्य में अनियमितताओं की शिकायत पर टीम यहां पहुंची थी। विजिलेंस अधिकारी जयसिंह के नेतृत्व में टीम ने मौके पर पहुंचकर निर्माण सामग्री के छह अलग-अलग जगह से नमूने लिए, जिन्हें जांच के लिए साथ ले जाया गया। यह कार्रवाई शिकायतकर्ता चिराग सिंघल की शिकायत पर की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ओवरब्रिज का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ था और इसे 2021 तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब तक भी निर्माण अधूरा है। अप और डाउन स्ट्रीम में अवैध माइनिंग का आरोप
चिराग सिंघल ने निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल और ओवरब्रिज में दरारें आने का आरोप लगाया। चिराग ने बताया कि 57 करोड़ के बजट के साथ ओवरब्रिज के दोनों ओर की सड़कें भी बनाई जानी थी। ठेकेदार को 54 कराेड़ की पेमेंट 2022 की जा चुकी है, लेकिन सड़कें बनाने का कार्य अभी भी शुरू नहीं हुआ। चिराग ने विजिलेंस टीम के समक्ष अप और डाउन स्ट्रीम में अवैध माइनिंग का मुद्दा उठाया, जहां नियमानुसार माइनिंग प्रतिबंधित है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT की गाइडलाइन को ताक पर रखकर माइनिंग की जा रही है। ओवरब्रिज का कार्य जानबूझकर रोका जा रहा है ताकि माइनिंग जारी रहे। अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इस अवैध माइनिंग में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत है और निजी फायदा के लिए ओवरब्रिज का काम रोका जा रहा है। यदि ब्रिज चालू हो जाता, तो माइनिंग पर रोक लग जाती। वह इस बारे कई बार माइनिंग विभाग को लिख चुके हैं। चिराग ने कहा कि पीडब्ल्यूडी और माइनिंग विभाग एक दूसरे को चिट्ठियां लिखकर खानापूर्ति करते रहते हैं। वहीं इस बारे चंडीगढ़ से मौके पर जांच करने पहुंचे विजिलेंस अधिकारी जयसिंह ने बताया कि मौके से ओवरब्रिज के निर्माण संबंधी नमूने लिए गए है। जांच के बाद यदि कोई खामी सामने आती है, तो उसके अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान जिला विजिलेंस इंस्पेक्टर सुरेश भी मौजूद रहे।
यमुनानगर में यमुना नदी के ऊपर बने ओवरब्रिज की जांच करने के लिए गुरुवार को चंडीगढ़ से विजिलेंस की टीम आई। नदी के नगली घाट पर दो राज्यों को जोड़ने वाले इस पुल के निर्माण कार्य में अनियमितताओं की शिकायत पर टीम यहां पहुंची थी। विजिलेंस अधिकारी जयसिंह के नेतृत्व में टीम ने मौके पर पहुंचकर निर्माण सामग्री के छह अलग-अलग जगह से नमूने लिए, जिन्हें जांच के लिए साथ ले जाया गया। यह कार्रवाई शिकायतकर्ता चिराग सिंघल की शिकायत पर की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ओवरब्रिज का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ था और इसे 2021 तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब तक भी निर्माण अधूरा है। अप और डाउन स्ट्रीम में अवैध माइनिंग का आरोप
चिराग सिंघल ने निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल और ओवरब्रिज में दरारें आने का आरोप लगाया। चिराग ने बताया कि 57 करोड़ के बजट के साथ ओवरब्रिज के दोनों ओर की सड़कें भी बनाई जानी थी। ठेकेदार को 54 कराेड़ की पेमेंट 2022 की जा चुकी है, लेकिन सड़कें बनाने का कार्य अभी भी शुरू नहीं हुआ। चिराग ने विजिलेंस टीम के समक्ष अप और डाउन स्ट्रीम में अवैध माइनिंग का मुद्दा उठाया, जहां नियमानुसार माइनिंग प्रतिबंधित है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT की गाइडलाइन को ताक पर रखकर माइनिंग की जा रही है। ओवरब्रिज का कार्य जानबूझकर रोका जा रहा है ताकि माइनिंग जारी रहे। अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इस अवैध माइनिंग में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत है और निजी फायदा के लिए ओवरब्रिज का काम रोका जा रहा है। यदि ब्रिज चालू हो जाता, तो माइनिंग पर रोक लग जाती। वह इस बारे कई बार माइनिंग विभाग को लिख चुके हैं। चिराग ने कहा कि पीडब्ल्यूडी और माइनिंग विभाग एक दूसरे को चिट्ठियां लिखकर खानापूर्ति करते रहते हैं। वहीं इस बारे चंडीगढ़ से मौके पर जांच करने पहुंचे विजिलेंस अधिकारी जयसिंह ने बताया कि मौके से ओवरब्रिज के निर्माण संबंधी नमूने लिए गए है। जांच के बाद यदि कोई खामी सामने आती है, तो उसके अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान जिला विजिलेंस इंस्पेक्टर सुरेश भी मौजूद रहे।