कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को "शानदार ढंग से चुना गया नाम" और आतंकवाद के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रतिक्रिया बताया। बुधवार को नेशनल प्रेस क्लब को संबोधित करते हुए थरूर ने ऑपरेशन के नाम को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के दौरान हिंदू महिलाओं द्वारा लगाए जाने वाले पारंपरिक विवाह चिन्ह सिंदूर को प्रतीकात्मक रूप से मिटाने से जोड़ा।
सिंदूर का बदला खून से लिया
थरूर ने कहा कि पहलगाम हमले में 26 भारतीय महिलाएं विधवा हो गईं और ऑपरेशन सिंदूर नाम के चयन को सांस्कृतिक रूप से प्रेरक और भावनात्मक रूप से गूंजने वाला बताया। उन्होंने कहा, "सिंदूर हिंदू परंपरा में विवाहित महिलाओं के माथे पर लगाया जाने वाला सिंदूर का निशान है। इन आतंकवादियों ने इसे मिटा दिया। इसका रंग खून से बहुत अलग नहीं है। तो हां, यह सिंदूर का बदला खून था।" उन्होंने बताया कि कैसे आतंकवादियों ने जानबूझकर मारे गए लोगों की पत्नियों को छोड़ दिया ताकि वे "वापस जाकर दूसरों को बता सकें कि क्या हुआ था," जिससे यह कृत्य और भी खौफनाक हो गया।
ट्रंप के दावे को फिर किया खारिज
थरूर ने कहा कि मैं बस इतना कह सकता हूं कि हम अमेरिका के राष्ट्रपति के पद और अमेरिकी राष्ट्रपति का बहुत सम्मान करते हैं। हम अपने लिए बस इतना ही कह सकते हैं कि हमने कभी किसी से मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहना चाहा। उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब में कहा कि भारत को पाकिस्तानियों को उन्हीं की में जवाब देने में कोई दिक्कत नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब तक वे आतंकवाद की का इस्तेमाल करते रहेंगे, हम बल की का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी. हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कलिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल 24 मई को भारत से न्यूयॉर्क पहुंचा था और फिर यह गुयाना, पनामा, कोलंबिया एवं ब्राजील की यात्रा करके वॉशिंगटन आया।