भारत ने देशभर में फैले अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ पकड़ कर बांग्लादेश भेजना शुरू किया तो बांग्लादेश भड़क गया है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह "लोगों" को विदेशी घोषित कर उन्हें निर्वासन की प्रक्रिया का पालन किए बिना जबरन बांग्लादेश में "धकेल" रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ढाका नई दिल्ली को एक राजनयिक पत्र भेजेगा। तौहीद हुसैन ने कहा, “निर्वासन प्रक्रिया के तहत प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की जा रही है और केवल सत्यापित नागरिकों को ही वापस लिया जा रहा है, लेकिन भारत सीमापार जबरन धकेलने का सहारा ले रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “हम एक नया, ठोस पत्र भेजेंगे। हम देख रहे हैं कि जबरन धकेलने की घटनाएं अभी भी हो रही हैं। लेकिन यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम शारीरिक रूप से रोक सकें।”
हम आपको बता दें कि भारत ने बांग्लादेश को उन व्यक्तियों की एक सूची सौंपी है जिन्हें वह बांग्लादेशी नागरिक मानता है। तौहीद हुसैन के अनुसार, ढाका ने सत्यापन के बाद उनमें से कुछ को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि वाणिज्यिक (कौंसुलर) मामलों को सुलझाने के लिए एक औपचारिक तंत्र मौजूद है और बांग्लादेश यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि सभी कार्रवाइयाँ प्रक्रिया के अनुसार हों। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ नियमित संपर्क में है।
हम आपको बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद देशभर में राष्ट्रव्यापी सत्यापन अभियान शुरू हुआ और 7 मई को शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इसमें तेजी आई। इसके चलते अब तक हजारों बांग्लादेशियों को उनके देश वापस भेज दिया गया है। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी खुद भी वापस जा रहे हैं। हम आपको बता दें कि इन अवैध प्रवासियों को वायुसेना के विमानों द्वारा विभिन्न स्थानों से सीमा के पास लाकर BSF को सौंप दिया जाता है। वहां उन्हें अस्थायी शिविरों में रखा जाता है। भोजन के अलावा जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ बांग्लादेशी मुद्रा दी जाती है और फिर कुछ घंटों बाद उन्हें उनके देश में “वापस धकेल” दिया जाता है।
हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बांग्लादेश और म्यांमार से आये संदिग्ध अवैध प्रवासियों की पहचान और दस्तावेजों का सत्यापन 30 दिनों की समय-सीमा में पूरा करें। यदि इस अवधि के भीतर दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो पाता तो ऐसे व्यक्तियों को निर्वासित किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने की 19 तारीख को जारी निर्देशों में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा था कि वे अपने वैधानिक अधिकारों का उपयोग कर अवैध प्रवासियों की पहचान करें, उन्हें चिन्हित करें और निर्वासित करें। साथ ही, जिला स्तर पर पर्याप्त संख्या में हिरासत केंद्र स्थापित करने को भी कहा गया है, जहां निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने तक ऐसे व्यक्तियों को रखा जा सके। ये निर्देश केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ शुरू किए गए नए अभियान का हिस्सा हैं। इन निर्देशों की प्रति सीमा सुरक्षा बल (BSF) और असम राइफल्स के महानिदेशकों (DGs) को भी भेजी गई है, जो भारत की सीमाओं की इन दोनों देशों से रक्षा करते हैं।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को देश में प्रवेश दिलाने, दस्तावेज़ बनवाने और उन्हें टिकाए रखने में मदद करने वाले किसी भी नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था, "अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इसे सख्ती से निपटाया जाना चाहिए। इन्हें चिन्हित कर निर्वासित किया जाना चाहिए।"