नालंदा में चंद्रावली छलन दान लीला का आयोजन:15 दिन तक चलेगा कार्यक्रम, वृंदावन से आए कलाकारों ने दी प्रस्तुति

नालंदा जिले के बिंद क्षेत्र में स्थित मां महारानी माता मंदिर के स्थापना दिवस पर चल रहे पंद्रह दिवसीय रासलीला महोत्सव में गुरुवार को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव का साक्षी बनने का अवसर मिला। वृंदावन से आए कुशल कलाकारों ने प्रसिद्ध "चंद्रावली छलन दान लीला" का मनोहारी प्रस्तुतिकरण किया, जिसने उपस्थित सभी श्रोताओं और दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रस्तुति में दिखाया गया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण के साथी ग्वालबाल बरसाना के जंगल में गाय चराते समय भूख से व्याकुल होकर निकटवर्ती गांव रिठौरा की गोपी चंद्रावली के द्वार पर माखन और मिश्री मांगने पहुंचते हैं। लेकिन चंद्रावली अपने घर में रखे माखन-मिश्री सहित अन्य व्यंजन देने से मना कर देती है। "इस लीला का सार यही है कि कोई भी व्यक्ति अगर भूखा आपके द्वार पर आए, तो उसे निराश नहीं लौटाना चाहिए," मंच संचालक रामकृष्ण शास्त्री ने बताया की श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि अतिथि का सत्कार करना और भूखे को भोजन देना हमारी संस्कृति का अनिवार्य अंग है।" वृंदावन से आए कलाकारों ने दी प्रस्तुति कथानक में आगे दिखाया गया कि कैसे ग्वालबाल अपने प्रिय सखा बाल श्रीकृष्ण को इस बात की जानकारी देते हैं। श्रीकृष्ण तब एक चतुराई भरा खेल रचते हैं और अपना मोहिनी रूप धारण कर चंद्रावली की बहन बनकर उसके घर पहुंचते हैं। चंद्रावली अपनी तथाकथित बहन के आतिथ्य में 56 भोग और 306 प्रकार के व्यंजन तैयार करती है। वृंदावन से आए कलाकार मनोज गोस्वामी, जिन्होंने श्रीकृष्ण की भूमिका निभाई, उन्होंने ने बताया की "जब श्रीकृष्ण मोहिनी रूप में सारे व्यंजन, माखन और मिश्री खा जाते हैं, तब चंद्रावली आश्चर्यचकित रह जाती है। यह दृश्य दर्शकों को रोमांचित कर देता है।"लीला के अंतिम दृश्य में भगवान श्रीकृष्ण अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होकर चंद्रावली को समझाते हैं कि उन्होंने उसे एक सबक सिखाने के लिए यह छलना की थी। वे उपदेश देते हैं कि किसी भूखे व्यक्ति को कभी भी झूठ बोलकर अपने द्वार से वापस नहीं भेजना चाहिए।

Apr 18, 2025 - 12:10
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नालंदा में चंद्रावली छलन दान लीला का आयोजन:15 दिन तक चलेगा कार्यक्रम, वृंदावन से आए कलाकारों ने दी प्रस्तुति
नालंदा जिले के बिंद क्षेत्र में स्थित मां महारानी माता मंदिर के स्थापना दिवस पर चल रहे पंद्रह दिवसीय रासलीला महोत्सव में गुरुवार को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव का साक्षी बनने का अवसर मिला। वृंदावन से आए कुशल कलाकारों ने प्रसिद्ध "चंद्रावली छलन दान लीला" का मनोहारी प्रस्तुतिकरण किया, जिसने उपस्थित सभी श्रोताओं और दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रस्तुति में दिखाया गया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण के साथी ग्वालबाल बरसाना के जंगल में गाय चराते समय भूख से व्याकुल होकर निकटवर्ती गांव रिठौरा की गोपी चंद्रावली के द्वार पर माखन और मिश्री मांगने पहुंचते हैं। लेकिन चंद्रावली अपने घर में रखे माखन-मिश्री सहित अन्य व्यंजन देने से मना कर देती है। "इस लीला का सार यही है कि कोई भी व्यक्ति अगर भूखा आपके द्वार पर आए, तो उसे निराश नहीं लौटाना चाहिए," मंच संचालक रामकृष्ण शास्त्री ने बताया की श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि अतिथि का सत्कार करना और भूखे को भोजन देना हमारी संस्कृति का अनिवार्य अंग है।" वृंदावन से आए कलाकारों ने दी प्रस्तुति कथानक में आगे दिखाया गया कि कैसे ग्वालबाल अपने प्रिय सखा बाल श्रीकृष्ण को इस बात की जानकारी देते हैं। श्रीकृष्ण तब एक चतुराई भरा खेल रचते हैं और अपना मोहिनी रूप धारण कर चंद्रावली की बहन बनकर उसके घर पहुंचते हैं। चंद्रावली अपनी तथाकथित बहन के आतिथ्य में 56 भोग और 306 प्रकार के व्यंजन तैयार करती है। वृंदावन से आए कलाकार मनोज गोस्वामी, जिन्होंने श्रीकृष्ण की भूमिका निभाई, उन्होंने ने बताया की "जब श्रीकृष्ण मोहिनी रूप में सारे व्यंजन, माखन और मिश्री खा जाते हैं, तब चंद्रावली आश्चर्यचकित रह जाती है। यह दृश्य दर्शकों को रोमांचित कर देता है।"लीला के अंतिम दृश्य में भगवान श्रीकृष्ण अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होकर चंद्रावली को समझाते हैं कि उन्होंने उसे एक सबक सिखाने के लिए यह छलना की थी। वे उपदेश देते हैं कि किसी भूखे व्यक्ति को कभी भी झूठ बोलकर अपने द्वार से वापस नहीं भेजना चाहिए।