जर्मनी के 'आडवाणी' बन गए फ्रेडरिक मर्ज, फर्स्ट राउंड में ही पिछड़ने के बाद आगे क्या विकल्प?

भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, बल्कि जनसंघ और भाजपा के इतिहास में लालकृष्ण आडवाणी 'लिविंग लीजेंड' माने जाते हैं। लेकिन फिर भी उनका पीएम बनने का ये ख्वाब अधूरा रह गया। इन्हीं हालातों में उन्हें कुछ बड़े पत्रकारों ने पीएम इन वेटिंग कहना शुरु कर दिया। लेकिन भारत से इतर जर्मनी की बात करें तो फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले फ्रेडरिक मर्ज को संसद में हुए मतदान में बेहद चौंकाने वाले हालात का सामना करना पड़ा है। पहले चरण के मतदान में उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला।जर्मनी के 10वें चांसलर बनने की रूढ़िवादी नेता फ्रेडरिक मर्ज की कोशिश मंगलवार को संसद में पहले दौर के मतदान में छह वोट से विफल हो गई। मर्ज की यह हार बेहद आश्चर्यजनक थी क्योंकि व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह आसानी से जीत जाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से चांसलर पद के लिए कोई भी उम्मीदवार पहले मतदान में जीतने में कभी असफल नहीं हुआ। गुप्त मतदान में मर्ज को बहुमत हासिल करने के लिए 630 में से 316 मतों की आवश्यकता थी। उन्हें केवल 310 वोट मिले, जो उनके गठबंधन के पास मौजूद 328 सीट से काफी कम है। इसे भी पढ़ें: भारत को आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना होगा, अमेरिकी सदन में हुआ ऐलान, संसाधनों से मदद करेगा ट्रंप प्रशासनपार्टियां अब अपने अगले कदम पर चर्चा करने के लिए पुनः एकजुट होंगी, लेकिन यह तत्काल स्पष्ट नहीं था कि इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा। संसद के निचले सदन, ‘बुंडेस्टाग’ के पास पूर्ण बहुमत वाले उम्मीदवार को चुनने के लिए 14 दिन का समय होता है। मर्ज फिर से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अन्य सांसद भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। अगर मर्ज या अन्य उम्मीदवार इस 14 दिन की अवधि के दौरान बहुमत पाने में विफल रहते हैं तो संविधान राष्ट्रपति को सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को चांसलर नियुक्त करने या ‘बुंडेस्टाग’ को भंग करने तथा एक नया राष्ट्रीय चुनाव कराने की अनुमति देता है। पिछले वर्ष निवर्तमान चांसलर ओलाफ शोल्ज की सरकार गिरने के बाद मर्ज जर्मनी की कमान संभालना चाहते हैं और अगर ऐसा होता है तो वह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी का चांसलर बनने वाले पहले कंजरवेटिव नेता होंगे। सत्ताइस देशों की सदस्यता वाले यूरोपीय संघ (ईयू) में सबसे अधिक जनसंख्या वाला सदस्य जर्मनी यूरोपीय महाद्वीप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है तथा यह कूटनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे भी पढ़ें: अब ट्रंप की देश के बाहर बनी फिल्म पर 100 प्रतिशत का शुल्क लगाने की धमकीचांसलर इन वेटिंग के सामने अब आगे क्या विकल्पमर्ज को बुंडेसटाग में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। पहले चरण की वोटिंग में उन्हें 310 वोट ही मिले। यह संख्या पूर्ण बहुमत से छह वोट कम है। जर्मनी की संसद में कुल 630 सदस्य हैं। मर्ज के गठबंधन में शामिल सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी के पास 328 सांसद या वोट हैं। मैर्त्स बहुमत क्यों नहीं जुटा सके, वोटिंग में कहां गड़बड़ी हुई, यह अभी साफ नहीं हुआ है। लेकिन इतना तय हो गया है कि फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले मर्ज को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। जर्मनी के कानून के मुताबिक पहले चरण में पूर्ण बहुमत साबित न कर पाने पर दूसरे चरण की वोटिंग होगी। Stay updated with International News in Hindi on Prabhasakshi   

May 7, 2025 - 02:45
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जर्मनी के 'आडवाणी' बन गए फ्रेडरिक मर्ज, फर्स्ट राउंड में ही पिछड़ने के बाद आगे क्या विकल्प?
भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, बल्कि जनसंघ और भाजपा के इतिहास में लालकृष्ण आडवाणी 'लिविंग लीजेंड' माने जाते हैं। लेकिन फिर भी उनका पीएम बनने का ये ख्वाब अधूरा रह गया। इन्हीं हालातों में उन्हें कुछ बड़े पत्रकारों ने पीएम इन वेटिंग कहना शुरु कर दिया। लेकिन भारत से इतर जर्मनी की बात करें तो फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले फ्रेडरिक मर्ज को संसद में हुए मतदान में बेहद चौंकाने वाले हालात का सामना करना पड़ा है। पहले चरण के मतदान में उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला।जर्मनी के 10वें चांसलर बनने की रूढ़िवादी नेता फ्रेडरिक मर्ज की कोशिश मंगलवार को संसद में पहले दौर के मतदान में छह वोट से विफल हो गई। मर्ज की यह हार बेहद आश्चर्यजनक थी क्योंकि व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह आसानी से जीत जाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से चांसलर पद के लिए कोई भी उम्मीदवार पहले मतदान में जीतने में कभी असफल नहीं हुआ। गुप्त मतदान में मर्ज को बहुमत हासिल करने के लिए 630 में से 316 मतों की आवश्यकता थी। उन्हें केवल 310 वोट मिले, जो उनके गठबंधन के पास मौजूद 328 सीट से काफी कम है। 

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पार्टियां अब अपने अगले कदम पर चर्चा करने के लिए पुनः एकजुट होंगी, लेकिन यह तत्काल स्पष्ट नहीं था कि इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा। संसद के निचले सदन, ‘बुंडेस्टाग’ के पास पूर्ण बहुमत वाले उम्मीदवार को चुनने के लिए 14 दिन का समय होता है। मर्ज फिर से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अन्य सांसद भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। अगर मर्ज या अन्य उम्मीदवार इस 14 दिन की अवधि के दौरान बहुमत पाने में विफल रहते हैं तो संविधान राष्ट्रपति को सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को चांसलर नियुक्त करने या ‘बुंडेस्टाग’ को भंग करने तथा एक नया राष्ट्रीय चुनाव कराने की अनुमति देता है। पिछले वर्ष निवर्तमान चांसलर ओलाफ शोल्ज की सरकार गिरने के बाद मर्ज जर्मनी की कमान संभालना चाहते हैं और अगर ऐसा होता है तो वह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी का चांसलर बनने वाले पहले कंजरवेटिव नेता होंगे। सत्ताइस देशों की सदस्यता वाले यूरोपीय संघ (ईयू) में सबसे अधिक जनसंख्या वाला सदस्य जर्मनी यूरोपीय महाद्वीप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है तथा यह कूटनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 

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चांसलर इन वेटिंग के सामने अब आगे क्या विकल्प
मर्ज को बुंडेसटाग में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। पहले चरण की वोटिंग में उन्हें 310 वोट ही मिले। यह संख्या पूर्ण बहुमत से छह वोट कम है। जर्मनी की संसद में कुल 630 सदस्य हैं। मर्ज के गठबंधन में शामिल सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी के पास 328 सांसद या वोट हैं। मैर्त्स बहुमत क्यों नहीं जुटा सके, वोटिंग में कहां गड़बड़ी हुई, यह अभी साफ नहीं हुआ है। लेकिन इतना तय हो गया है कि फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले मर्ज को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। जर्मनी के कानून के मुताबिक पहले चरण में पूर्ण बहुमत साबित न कर पाने पर दूसरे चरण की वोटिंग होगी। 
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