कभी भी राख का ढेर बन सकता है मौर्य लोक-बिस्कोमान:मेयर–कमिश्नर का दफ्तर तक सुरक्षित नहीं, 13 खतरनाक बिल्डिंगों को नोटिस
पटना के सबसे पुराने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स डेंजर स्थिति में हैं। इसके साथ-साथ राजधानी की 13 बिल्डिंगों में अगर आग लगी तो मिनटों में जलकर राख हो जाएगी। इसका खुलासा बिहार अग्निशमन विभाग की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है। मौर्य लोक में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रेस्त्रां और कई सरकारी कार्यालय हैं। इसके अलावा गांधी मैदान स्थित 16 मंजिलें बिस्कोमान भवन की स्थिति भी फायर सेफ्टी के लिहाज से बदतर है। अभी बिस्कोमान को नोटिस नहीं भेजा गया है, लेकिन जल्द भेजा जाएगा। अफसरों के मुताबिक, खतरनाक 13 बिल्डिंगों को पहले जिला अग्निशमन ने नोटिस भेजा, लेकिन सुधार नहीं होने पर स्टेट फायर ऑफिस से डायरेक्टर ने दोबारा नोटिस भेजा है। पटना के इन भवनों को भेजा गया नोटिस मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स- डाक बंगला चौराहा के पास स्थित यह जी प्लस 5 बिल्डिंग है। स्थायी फायर सिस्टम लगा है, लेकिन डेड है। ऑडिट में पाया गया कि चारों ओर के भवन फायर सेफ्टी के लिहाज से काफी खतरनाक हैं। कभी भी अनहोनी हो सकती है। बिजली के वायर भी कई स्थानों पर काफी खराब हालत में हैं। बैंक आदि कुछ ऑफिसों में पोटेबल फायर उपकरण पाए गए, लेकिन ये नाकाफी हैं। यहां 100 से अधिक दुकानें हैं। आग बुझाने के लिए पानी का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। इसलिए अग्निशमन की ओर से एक लाख लीटर क्षमता वाला अंडर ग्राउंड टैंक बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। हर दिन 2000 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। इसी बिल्डिंग में पटना नगर निगम का ऑफिस है। मेयर सहित निगम कमिश्नर व अन्य अफसर बैठते हैं। कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स- यह अशोक राजपथ पर है। जी प्लस-5 इस बिल्डिंग में 20 से अधिक परिवार भी रहता है और बाकी में दुकानें व गोदाम हैं। यहां स्थायी फायर सिस्टम लगा तो है, लेकिन यह काफी जर्जर स्थिति में है। ऑडिट में पाया गया कि बिल्डिंग के चारों तरफ की जगह को पार्किंग बना दिया गया है। दो फ्लोर कॉमर्शियल और बाकी रेसीडेंशियल है। हर दिन 200 से अधिक लोगों की आवाजाही है। होटल डेस्टिनी- यह बिल्डिंग जी प्लस 2 है। पाटलिपुत्रा कॉलोनी में रुबन हॉस्पिटल के सामने पड़ता है। यहां फिक्स फायर सिस्टम नहीं है, लेकिन पोटेबल फायर सिस्टम देखे गए। 100 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। फिक्स फायर सिस्टम लगाने का काम चल रहा है। सिसोदिया पैलेस अपार्टमेंट- यह जी प्लस 4 बिल्डिंग है। बिल्डिंग कॉमर्शियल है, लेकिन यहां 20 से अधिक परिवार भी रहते हैं। इसमें फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम है, लेकिन बेहतर मेंटनेंस नहीं है। हर दिन 100 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। होटल सिटी सेंटर- यह पटना जंक्शन के पास है। जी प्लास 6 बिल्डिंग है। यहां के फायर सेफ्टी उपकरण जर्जर स्थिति में हैं। ऊपर रेसीडेंशियल आवास हैं। नीचे कपड़े की दुकान है। इसकी इमरजेंसी सीढ़ी ब्लॉक है। पोटेबल फायर उपकरण तो हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं। एक हजार लोगों का रोज आना-जाना है। मां भगवती कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स- यह बिल्डिंग बोरिंग रोड चौराहा के पास है और जी प्लस 6 है। यहां का फायर सेफ्टी काम नहीं कर रहा। जर्जर हो चुका है। फायर सेफ्टी के सामान काफी पुराने हैं। इसमें कोचिंग, दुकानें सब हैं। कुछ के पास अपना पोटेबल फायर उपकरण हैं। इसमें दो दर्जन से अधिक रेसीडेंशियल फ्लैट भी हैं। लगभग एक हजार लोगों का आना-जाना है। होटल विवेक- यह एग्जीबिशन रोड में है और जी प्लस 2 बिल्डिंग है। फिक्स फायर सेफ्टी मशीनें नहीं हैं। पोटेबल फायर सेफ्टी उपकरण हैं, जो नाकाफी हैं। करीब 100 लोग आते-जाते हैं। होटल अप्सरा- यह बिल्डिंग सालिमपुर अहरा, राजेन्द्र नगर कदमकुआं में है। यह पूरी तरह से रेसीडेंशियल होटल है। फिक्स फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। सुरक्षा के लिए सिर्फ पोटबल फायर सेफ्टी मशीनें रखी गई हैं। ओवरहेड वाटर टैंक की व्यवस्था भी नहीं है। होटल बॉब्स- यह जमाल रोड में है और जी प्लस 4 बिल्डिंग है। फायर फाइटिंग सिस्टम दुरुस्त करने का काम चल रहा है। फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम का काम अधूरा है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें पर्याप्त नहीं हैं। ओवर हेड पानी टंकी पर्याप्त नहीं है। होटल कुणाल इंटरनेशनल- यह बिल्डिंग जमाल रोड में है और जी प्लस 4 की बिल्डिंग है। यहां फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम है, लेकिन उसका मेंटनेंस ठीक नहीं है। यहां पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें हैं और पानी की टंकी भी है। होटल क्लार्क इन- यह बिल्डिंग भी जमाल रोड में है और जी प्लस 4 है। इसमें फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें रखी गई हैं। पानी की टंकी नहीं है। होटल फोर्ट- यह बिल्डिंग पटना के स्टेशन रोड में है और जी प्लस 4 है। इसमें फायर सेफ्टी का फिक्स सिस्टम नहीं है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें भी पर्याप्त नहीं हैं। ओवरहेड पानी की टंकी भी नहीं बनाई गई है। होटल मुद्रिका- यह जमाल रोड में है। यहां फिक्स फायर सिस्टम नहीं है। पोटेबल मशीनें भी पर्याप्त नहीं हैं। ओवरहेड पानी की टंकी नहीं है। इस लिहाज से काफी खतरनाक स्थिति है। स्थिति नहीं सुधरी तो कठोर कार्रवाई होगी स्टेट फायर सर्विस के डायरेक्टर सुनील कुमार नायक ने बिहार अग्निशमन सेवा नियमावली 2021 के तहत सभी को नोटिस भेजा है। निचले स्तर से यानी जिला अग्निशमन से भी नोटिस जा चुका है। पटना के जिला अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार नट कहते हैं, ‘फायर सेफ्टी का पालन करना अनिवार्य है। इससे लोगों की रक्षा तो होती ही है, भवन भी सुरक्षित रहता है। ऑडिट में इन संस्थानों में पाया गया कि फायर सेफ्टी की स्थिति खराब है। फायर सेफ्टी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।’ गर्मियों में बढ़ जाती है आग लगने की घटनाएं गर्मियों में आग लगने के पीछे सबसे बड़ी वजह है AC, पंखे, कूलर और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स को लगातार कई घंटों तक चलना। इससे मशीनों पर लोड बढ़ जाता है और स्पार्किंग, शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में यही वजह सामने आती है। आग से बचने के उपाय जान लीजिए… अपने घरों को इस तरह सुरक
पटना के सबसे पुराने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स डेंजर स्थिति में हैं। इसके साथ-साथ राजधानी की 13 बिल्डिंगों में अगर आग लगी तो मिनटों में जलकर राख हो जाएगी। इसका खुलासा बिहार अग्निशमन विभाग की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है। मौर्य लोक में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रेस्त्रां और कई सरकारी कार्यालय हैं। इसके अलावा गांधी मैदान स्थित 16 मंजिलें बिस्कोमान भवन की स्थिति भी फायर सेफ्टी के लिहाज से बदतर है। अभी बिस्कोमान को नोटिस नहीं भेजा गया है, लेकिन जल्द भेजा जाएगा। अफसरों के मुताबिक, खतरनाक 13 बिल्डिंगों को पहले जिला अग्निशमन ने नोटिस भेजा, लेकिन सुधार नहीं होने पर स्टेट फायर ऑफिस से डायरेक्टर ने दोबारा नोटिस भेजा है। पटना के इन भवनों को भेजा गया नोटिस मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स- डाक बंगला चौराहा के पास स्थित यह जी प्लस 5 बिल्डिंग है। स्थायी फायर सिस्टम लगा है, लेकिन डेड है। ऑडिट में पाया गया कि चारों ओर के भवन फायर सेफ्टी के लिहाज से काफी खतरनाक हैं। कभी भी अनहोनी हो सकती है। बिजली के वायर भी कई स्थानों पर काफी खराब हालत में हैं। बैंक आदि कुछ ऑफिसों में पोटेबल फायर उपकरण पाए गए, लेकिन ये नाकाफी हैं। यहां 100 से अधिक दुकानें हैं। आग बुझाने के लिए पानी का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। इसलिए अग्निशमन की ओर से एक लाख लीटर क्षमता वाला अंडर ग्राउंड टैंक बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। हर दिन 2000 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। इसी बिल्डिंग में पटना नगर निगम का ऑफिस है। मेयर सहित निगम कमिश्नर व अन्य अफसर बैठते हैं। कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स- यह अशोक राजपथ पर है। जी प्लस-5 इस बिल्डिंग में 20 से अधिक परिवार भी रहता है और बाकी में दुकानें व गोदाम हैं। यहां स्थायी फायर सिस्टम लगा तो है, लेकिन यह काफी जर्जर स्थिति में है। ऑडिट में पाया गया कि बिल्डिंग के चारों तरफ की जगह को पार्किंग बना दिया गया है। दो फ्लोर कॉमर्शियल और बाकी रेसीडेंशियल है। हर दिन 200 से अधिक लोगों की आवाजाही है। होटल डेस्टिनी- यह बिल्डिंग जी प्लस 2 है। पाटलिपुत्रा कॉलोनी में रुबन हॉस्पिटल के सामने पड़ता है। यहां फिक्स फायर सिस्टम नहीं है, लेकिन पोटेबल फायर सिस्टम देखे गए। 100 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। फिक्स फायर सिस्टम लगाने का काम चल रहा है। सिसोदिया पैलेस अपार्टमेंट- यह जी प्लस 4 बिल्डिंग है। बिल्डिंग कॉमर्शियल है, लेकिन यहां 20 से अधिक परिवार भी रहते हैं। इसमें फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम है, लेकिन बेहतर मेंटनेंस नहीं है। हर दिन 100 से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। होटल सिटी सेंटर- यह पटना जंक्शन के पास है। जी प्लास 6 बिल्डिंग है। यहां के फायर सेफ्टी उपकरण जर्जर स्थिति में हैं। ऊपर रेसीडेंशियल आवास हैं। नीचे कपड़े की दुकान है। इसकी इमरजेंसी सीढ़ी ब्लॉक है। पोटेबल फायर उपकरण तो हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं। एक हजार लोगों का रोज आना-जाना है। मां भगवती कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स- यह बिल्डिंग बोरिंग रोड चौराहा के पास है और जी प्लस 6 है। यहां का फायर सेफ्टी काम नहीं कर रहा। जर्जर हो चुका है। फायर सेफ्टी के सामान काफी पुराने हैं। इसमें कोचिंग, दुकानें सब हैं। कुछ के पास अपना पोटेबल फायर उपकरण हैं। इसमें दो दर्जन से अधिक रेसीडेंशियल फ्लैट भी हैं। लगभग एक हजार लोगों का आना-जाना है। होटल विवेक- यह एग्जीबिशन रोड में है और जी प्लस 2 बिल्डिंग है। फिक्स फायर सेफ्टी मशीनें नहीं हैं। पोटेबल फायर सेफ्टी उपकरण हैं, जो नाकाफी हैं। करीब 100 लोग आते-जाते हैं। होटल अप्सरा- यह बिल्डिंग सालिमपुर अहरा, राजेन्द्र नगर कदमकुआं में है। यह पूरी तरह से रेसीडेंशियल होटल है। फिक्स फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। सुरक्षा के लिए सिर्फ पोटबल फायर सेफ्टी मशीनें रखी गई हैं। ओवरहेड वाटर टैंक की व्यवस्था भी नहीं है। होटल बॉब्स- यह जमाल रोड में है और जी प्लस 4 बिल्डिंग है। फायर फाइटिंग सिस्टम दुरुस्त करने का काम चल रहा है। फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम का काम अधूरा है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें पर्याप्त नहीं हैं। ओवर हेड पानी टंकी पर्याप्त नहीं है। होटल कुणाल इंटरनेशनल- यह बिल्डिंग जमाल रोड में है और जी प्लस 4 की बिल्डिंग है। यहां फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम है, लेकिन उसका मेंटनेंस ठीक नहीं है। यहां पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें हैं और पानी की टंकी भी है। होटल क्लार्क इन- यह बिल्डिंग भी जमाल रोड में है और जी प्लस 4 है। इसमें फिक्स फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें रखी गई हैं। पानी की टंकी नहीं है। होटल फोर्ट- यह बिल्डिंग पटना के स्टेशन रोड में है और जी प्लस 4 है। इसमें फायर सेफ्टी का फिक्स सिस्टम नहीं है। पोटेबल फायर सेफ्टी मशीनें भी पर्याप्त नहीं हैं। ओवरहेड पानी की टंकी भी नहीं बनाई गई है। होटल मुद्रिका- यह जमाल रोड में है। यहां फिक्स फायर सिस्टम नहीं है। पोटेबल मशीनें भी पर्याप्त नहीं हैं। ओवरहेड पानी की टंकी नहीं है। इस लिहाज से काफी खतरनाक स्थिति है। स्थिति नहीं सुधरी तो कठोर कार्रवाई होगी स्टेट फायर सर्विस के डायरेक्टर सुनील कुमार नायक ने बिहार अग्निशमन सेवा नियमावली 2021 के तहत सभी को नोटिस भेजा है। निचले स्तर से यानी जिला अग्निशमन से भी नोटिस जा चुका है। पटना के जिला अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार नट कहते हैं, ‘फायर सेफ्टी का पालन करना अनिवार्य है। इससे लोगों की रक्षा तो होती ही है, भवन भी सुरक्षित रहता है। ऑडिट में इन संस्थानों में पाया गया कि फायर सेफ्टी की स्थिति खराब है। फायर सेफ्टी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।’ गर्मियों में बढ़ जाती है आग लगने की घटनाएं गर्मियों में आग लगने के पीछे सबसे बड़ी वजह है AC, पंखे, कूलर और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स को लगातार कई घंटों तक चलना। इससे मशीनों पर लोड बढ़ जाता है और स्पार्किंग, शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में यही वजह सामने आती है। आग से बचने के उपाय जान लीजिए… अपने घरों को इस तरह सुरक्षित रखें घरों में आग ज्यादातर दो कारणों से लगती है। एक वायरिंग यानी तारों में शॉर्ट सर्किट और दूसरा सिलेंडर लीक होने की वजह से। घरों में भी आग लगने की ज्यादातर घटनाएं या तो परिवार की लापरवाही के चलते होती हैं या फिर जानकारी की कमी के कारण। कई लोग बिना सोचे-समझे मकान के बिजली सिस्टम पर लोड बढ़ाते जाते हैं, जिसकी वजह से स्पार्क या शॉर्ट सर्किट हो जाता है। इसके अलावा कई घरों में गैस पर खाना बनाने के बाद सिलेंडर का स्विच भी ऑफ नहीं किया जाता है। फैक्ट्री और ऑफिस को इस तरह सुरक्षित रखें सार्वजनिक जगहों पर ज्यादा संख्या में लोग रहते हैं। मसलन फैक्ट्री, कंपनी, हॉस्पिटल, स्कूल, ऑफिस, ऊंची बिल्डिंग्स। अगर इन जगहों पर आग लगती है तो बड़े नुकसान की आशंका रहती है। इन जगहों पर फायर सेफ्टी के इंतजाम होने चाहिए। झुग्गियों में ऐसे करें आग से बचाव जब भी किसी एक झुग्गी-झोपड़ी में आग लगती है तो वहां मौजूद पूरी झुग्गियां राख हो जाती हैं। इसकी वजह है कि झुग्गियों में लगभग सभी सामान ज्वलनशील होते हैं और एक दूसरे से जुड़े होते हैं। यहां बिजली के नंगे तार भी लटक रहे होते हैं। बेहद छोटी सी जगह पर गैस या चूल्हे पर खाना बन रहा होता है। वेंटिलेशन की व्यवस्था भी नहीं होती है। यहां रहने वाले लोग भी आग से सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते। ऐसे में अक्सर यहां आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। यह उपाय करें ग्रामीण इन बातों का रखें ध्यान