भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बॉस कहकर संबोधित करने वाले एंथनी अल्बनीज लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए हैं। इसके साथ ही अल्बनीज पिछले 21 वर्षों में ऐसी जीत दर्ज करने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा। जीत के बाद अपने संबोधन में अल्बनीज ने कहा कि मेरे प्यारे ऑस्ट्रेलियावासियों आपके प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। मैं जनता का धन्यवाद करना चाहता हूं। इस वैश्विक अनिश्चितता के समय में, जनता ने आशा और संकल्प को चुना है। लोगों ने वैश्विक चुनौतियों का सामना एक-दूसरे का साथ देते हुए और भविष्य की नींव रखते हुए करने का फैसला किया है।
कौन हैं अल्बनीज ?
एंथनी अल्बनीज ने एक साधारण मजदूर परिवार से निकलकर देश के सबसे बड़े पद तक का सफर तय किया है। लेबर पार्टी से लंबे समय से जुड़े अल्बनीज पिछले लगभग 30 सालों से सांसद हैं। वे पहली बार 1996 में सिर्फ 33 साल की उम्र में सांसद बने थे। उनकी परवरिश अकेली मां ने की जो एक क्लीनर थीं। मां को गठिया की गंभीर बीमारी हो गई थी, और छोटी उम्र में अल्बनीज ने उनकी खूब देखभाल की। वो कहते हैं कि इन्हीं संघर्षों ने उन्हें प्रगतिशील राजनीति की राह दिखाई।
कैसे होते हैं ऑस्ट्रेलिया में चुनाव
ऑस्ट्रेलिया में जनता सीधे प्रधानमंत्री को नहीं चुनती। देश के लोग सांसदों को वोट देते हैं और जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलती हैं, उसी पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बनता है। यहां हर तीन साल में प्रधानमंत्री पद के लिए मतदान होता है। इस चुनाव में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की सभी 150 सीटों के साथ-साथ सीनेट की 76 में से 40 सीटों पर भी चुनाव होगा। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए किसी एक पार्टी को कम से कम 76 सीटें जीतनी होंगी। ऑस्ट्रेलिया के निर्वाचन आयोग के अनुसार, 151 सीटों वाले निचले सदन ‘प्रतिनिधि सभा’ में अल्बनीज की मध्य-वाममार्गी सत्तारूढ़ लेबर पार्टी को 78 सीटें मिलीं। विपक्षी नेता पीटर डटन ने चुनाव में हार स्वीकार करते हुए कहा कि हमने इस (चुनाव प्रचार) अभियान के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, यह आज रात स्पष्ट हो गया है, और मैं इसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं।