Putin ने भारत की पीठ में घोंप दिया छुरा? पाकिस्तान से कर ली अरबों की डील, कर्ज में डूबे मुल्क की बदल सकती है किस्मत
पाकिस्तान और चीन के संबंध कैसे हैं। इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन अब पाकिस्तान की मदद के लिए एक ऐसा देश सामने आया है, जिसके संबंध भारत से भी बहुत अच्छे हैं। ये वही देश है, जिसके हथियारों ने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई है। लेकिन अब ये देश पाकिस्तान की मदद करने जा रहा है। बात यहां पर भारत के सदाबहार दोस्त रूस की हो रही है। रूस का ये कदम भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है। दरअसल, रूस के सहारे पाकिस्तान की सरकार अपने उद्योग को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास कर रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच रूस ने पाकिस्तान के साथ एक अहम आर्थिक समझौता किया है। अरबों डॉलर के इस सौदे के तहत कराची में एक आधुनिक स्टील प्लांट बनाया जाएगा। इस समझौते का उद्देश्य सोवियत निर्मित पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) को पुनर्जीवित करना है, जो 2015 से बंद है। इस सौदे की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है।इसे भी पढ़ें: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए!क्या है समझौता? रूस और पाकिस्तान के बीच यह समझौता कराची में बंद पड़े स्टील प्लांट को फिर से चालू करने के लिए किया गया है। यह प्लांट 1970 के दशक में सोवियत संघ की मदद से स्थापित किया गया था। यह 1992 तक चालू रहा, लेकिन आर्थिक और तकनीकी कारणों से इसे 2015 में बंद कर दिया गया। नए समझौते के तहत रूस उन्नत स्टील निर्माण तकनीक यानी स्टील उत्पादन के लिए सबसे उन्नत तकनीक वाली मशीनें मुहैया कराएगा, जिससे पाकिस्तान की स्टील आयात पर निर्भरता 30% तक कम होने की उम्मीद है। इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान के 11.2 मिलियन मीट्रिक टन स्टील खपत घाटे को कम करना है। मार्च 2025 में आयातित स्क्रैप और अर्ध-तैयार उत्पादों की लागत 324 मिलियन डॉलर थी। इस परियोजना से न केवल आयात बिल में कमी आएगी बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।इसे भी पढ़ें: अमेरिका का 60 दिन वाला सीजफायर प्रस्ताव इजरायल ने स्वीकारा, हमास की क्यों बढ़ी चिंता?पाकिस्तान को क्या लाभ होगा? इस डील से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्टील के आयात में 30% की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा, जो पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, जो वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहा है। स्टील प्लांट के पुनरुद्धार से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे कराची और आसपास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। रूस की उन्नत स्टील निर्माण तकनीक का उपयोग करके, पाकिस्तान का स्टील उद्योग आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बन जाएगा। इससे स्थानीय उत्पादन की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार होगा। आयातित स्क्रैप और अर्ध-तैयार उत्पादों पर निर्भरता कम होने के कारण आत्मनिर्भरता में वृद्धि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। भारत के लिए चिंता की बात है?यह समझौता भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच हुआ है, जिससे भारत में इस डील को लेकर चिंताएं हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। रूस हमेशा से भारत को अपना रणनीतिक साझेदार मानता रहा है, लेकिन इस बार उसकी प्रतिक्रिया संतुलित और तटस्थ रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले की निंदा की, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने का आह्वान किया और मध्यस्थता की पेशकश भी की। भारत के लिए यह रुख अप्रत्याशित था, क्योंकि रूस ने पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन किया था। Stay updated with Latest International News in Hindi on Prabhasakshi

पाकिस्तान और चीन के संबंध कैसे हैं। इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन अब पाकिस्तान की मदद के लिए एक ऐसा देश सामने आया है, जिसके संबंध भारत से भी बहुत अच्छे हैं। ये वही देश है, जिसके हथियारों ने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई है। लेकिन अब ये देश पाकिस्तान की मदद करने जा रहा है। बात यहां पर भारत के सदाबहार दोस्त रूस की हो रही है। रूस का ये कदम भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है। दरअसल, रूस के सहारे पाकिस्तान की सरकार अपने उद्योग को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास कर रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच रूस ने पाकिस्तान के साथ एक अहम आर्थिक समझौता किया है। अरबों डॉलर के इस सौदे के तहत कराची में एक आधुनिक स्टील प्लांट बनाया जाएगा। इस समझौते का उद्देश्य सोवियत निर्मित पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) को पुनर्जीवित करना है, जो 2015 से बंद है। इस सौदे की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
इसे भी पढ़ें: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए!
क्या है समझौता?
रूस और पाकिस्तान के बीच यह समझौता कराची में बंद पड़े स्टील प्लांट को फिर से चालू करने के लिए किया गया है। यह प्लांट 1970 के दशक में सोवियत संघ की मदद से स्थापित किया गया था। यह 1992 तक चालू रहा, लेकिन आर्थिक और तकनीकी कारणों से इसे 2015 में बंद कर दिया गया। नए समझौते के तहत रूस उन्नत स्टील निर्माण तकनीक यानी स्टील उत्पादन के लिए सबसे उन्नत तकनीक वाली मशीनें मुहैया कराएगा, जिससे पाकिस्तान की स्टील आयात पर निर्भरता 30% तक कम होने की उम्मीद है। इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान के 11.2 मिलियन मीट्रिक टन स्टील खपत घाटे को कम करना है। मार्च 2025 में आयातित स्क्रैप और अर्ध-तैयार उत्पादों की लागत 324 मिलियन डॉलर थी। इस परियोजना से न केवल आयात बिल में कमी आएगी बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इसे भी पढ़ें: अमेरिका का 60 दिन वाला सीजफायर प्रस्ताव इजरायल ने स्वीकारा, हमास की क्यों बढ़ी चिंता?
पाकिस्तान को क्या लाभ होगा?
इस डील से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्टील के आयात में 30% की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा, जो पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, जो वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहा है। स्टील प्लांट के पुनरुद्धार से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे कराची और आसपास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। रूस की उन्नत स्टील निर्माण तकनीक का उपयोग करके, पाकिस्तान का स्टील उद्योग आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बन जाएगा। इससे स्थानीय उत्पादन की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार होगा। आयातित स्क्रैप और अर्ध-तैयार उत्पादों पर निर्भरता कम होने के कारण आत्मनिर्भरता में वृद्धि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत के लिए चिंता की बात है?
यह समझौता भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच हुआ है, जिससे भारत में इस डील को लेकर चिंताएं हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। रूस हमेशा से भारत को अपना रणनीतिक साझेदार मानता रहा है, लेकिन इस बार उसकी प्रतिक्रिया संतुलित और तटस्थ रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले की निंदा की, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने का आह्वान किया और मध्यस्थता की पेशकश भी की। भारत के लिए यह रुख अप्रत्याशित था, क्योंकि रूस ने पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन किया था।
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