दुनियाभर में आतंकवाद के निर्यातक पाकिस्तान पर इस समय दुनिया जो मेहरबानी कर रही है उसे ही कहते हैं आ बाल मुझे मार। अभी हाल ही में आईएमएफ ने पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर का कर्ज दिया था और अब एशियाई विकास बैंक ने भी पाकिस्तान के लिए 80 करोड़ डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी है। चीन पहले ही पाकिस्तान को कर्ज पर कर्ज दिये जा रहा है। यही नहीं, जिस संयुक्त राष्ट्र को चाहिए कि वह सर्वसम्मति से पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करे वह उसे अपनी महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता दिये जा रहा है। हैरत की बात यह है कि जिस देश में आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर भारत सहित दुनियाभर में आतंक फैलाने के लिए भेजा जाता है और जिस देश में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की जड़ें हैं उस देश को तालिबान की हरकतों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दे दी गयी है। देखा जाये तो अप्रासंगिक होता जा रहा संयुक्त राष्ट्र अब सिर्फ चर्चा का एक मंच मात्र बन कर रह गया है। साथ ही पाकिस्तान जैसे देश को आतंकवाद पर निगाह रखने का काम सौंप कर संयुक्त राष्ट्र दुनिया में हंसी का पात्र भी बन गया है। संयुक्त राष्ट्र को यह भी समझना होगा कि अफगानिस्तान के नए शासन से अपने खराब संबंधों के चलते पाकिस्तान अपने इस पद का ना सिर्फ दुरुपयोग करेगा बल्कि वह काबुल में भारत की बढ़ती भूमिका को कम करने के लिए भी नई चालें चलेगा।
हम आपको बता दें कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति का 2025 के लिए अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस समिति पर उन व्यक्तियों और संगठनों पर प्रतिबंध लागू करने का दायित्व है जो तालिबान से जुड़े हैं और अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। इन प्रतिबंधों में संपत्ति फ्रीज करना, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों की आपूर्ति पर रोक शामिल हैं। इस समिति के उपाध्यक्ष के रूप में गुयाना और रूस कार्य करेंगे।
इस महत्वपूर्ण भूमिका के अतिरिक्त, पाकिस्तान 1373 काउंटर-टेररिज़्म समिति का उपाध्यक्ष भी होगा, जिसकी अध्यक्षता अल्जीरिया करेगा। इस समिति में फ्रांस और रूस भी उपाध्यक्ष की भूमिका में होंगे। इसके अलावा, पाकिस्तान "डॉक्यूमेंटेशन और प्रक्रिया संबंधी प्रश्नों" तथा "सामान्य प्रतिबंध मामलों" पर अनौपचारिक कार्य समूहों का सह-अध्यक्ष भी होगा। डेनमार्क 1267 इस्लामिक स्टेट (ISIL) और अल-कायदा प्रतिबंध समिति का नेतृत्व करेगा, जिसमें रूस और सिएरा लियोन उपाध्यक्ष होंगे। हम आपको बता दें कि ये सभी समितियाँ सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों से मिलकर बनी होती हैं और इनमें निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। पाकिस्तान वर्तमान में 2025–26 की अवधि के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी (गैर-स्थायी) सदस्य है।
इससे पहले भारत ने 2022 में अपने 2021–22 के गैर-स्थायी सदस्यता कार्यकाल के दौरान काउंटर-टेररिज़्म समिति की अध्यक्षता की थी। भारत ने पाकिस्तान के आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने के रिकॉर्ड पर बार-बार चिंता व्यक्त की है और यह आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित कई आतंकवादी आश्रय लिए हुए हैं। भारत ने ओसामा बिन लादेन के मामले को भी बार-बार उठाया है, जिसे 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में मारा गया था।
वर्तमान सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य हैं: चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका। इसके अलावा दस गैर-स्थायी सदस्य हैं: अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पाकिस्तान, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया। मंगलवार को हुए चुनावों में पाँच नए गैर-स्थायी सदस्य 2026–2027 की अवधि के लिए चुने गए हैं। ये हैं- बहरीन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, लाइबेरिया, लातविया और कोलंबिया।
बहरहाल, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सभी देश बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन जब आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की बात आती है तो सभी बगलें झांकने लगते हैं। यही वह असल कारण है जिसके चलते दुनिया को आतंकवाद से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।