भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी, उनकी पत्नी मारिया गोरेट्टी पर बैन लगा दिया है। दोनों पर प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने पर रोक लगाई गई है जो पांच साल के लिए जारी रहेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने ये जानकारी दी है।
बता दें कि सेबी द्वारा लगाया गया ये प्रतिबंध उस समय लगाया गया है जब जांच में ये सामने आया कि साधना ब्रॉडकास्ट (जो अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड है) के स्टॉक मूल्यों में हेरफेर करने की योजना में वे शामिल थे। अभिनेता अरशद वारसी और उनकी पत्नी पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों को प्रतिभूति बाजार से एक साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
सेबी ने कहा कि अरशद वारसी और उनकी पत्नी को इन सौदों के कारण 41.70 लाख रुपये और मारिया को 50.35 लाख रुपये का मुनाफा हुआ था। बाजार नियामक ने अन्य 57 संस्थाओं पर भी 5 लाख रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया है। सेबी ने ये भी आदेश दिया है कि अवैध रूप से जो लाभ अर्जित हुआ है यानी 58.01 करोड़ रुपये भी लौटाया जाए। वहीं जांच अवधि के अंत से लेकर पूर्ण भुगतान होने तक प्रति वर्ष 12% ब्याज भी लौटानी होगी।
सेबी की जांच से ये पता चला
सेबी द्वारा गुरुवार को जारी अंतिम आदेश के अनुसार, यूट्यूब चैनलों पर भ्रामक वीडियो पोस्ट किए गए थे, जिनमें लोगों से साधना ब्रॉडकास्ट में निवेश करने का आग्रह किया गया था। इन वीडियो ने स्टॉक को आशाजनक बना दिया, जिससे कृत्रिम मांग पैदा हुई और इसकी कीमत बढ़ गई। सेबी ने इस योजना को विशिष्ट "पंप-एंड-डंप" बताया। इस रणनीति में, गलत जानकारी का उपयोग करके कीमतों को बढ़ाया जाता है। एक बार कीमतें बढ़ने पर, हेरफेर करने वाले अपने शेयरों को लाभ के लिए बेच देते हैं, जिससे नियमित निवेशकों को नुकसान होता है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा, "कीमत को मिलीभगत वाले व्यापार के माध्यम से व्यवस्थित रूप से ऊपर की ओर बढ़ाया गया, इसके बाद खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आक्रामक प्रचार गतिविधि की गई और अंत में प्रमोटरों द्वारा समन्वित बिकवाली की गई।" जांच में गौरव गुप्ता, राकेश कुमार गुप्ता और मनीष मिश्रा को इस ऑपरेशन के मुख्य योजनाकार के रूप में पहचाना गया।
सेबी ने कहा कि साधना ब्रॉडकास्ट के रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) के निदेशक सुभाष अग्रवाल ने मिश्रा और कंपनी के प्रमोटरों के बीच कड़ी का काम किया। मनीष मिश्रा ने मनीवाइज, द एडवाइजर और प्रॉफिट यात्रा जैसे यूट्यूब चैनल भी चलाए। इनका इस्तेमाल योजना के दूसरे चरण में प्रचार वीडियो फैलाने के लिए किया गया। सेबी ने यह भी पाया कि चॉइस के डीलर पीयूष अग्रवाल और दिल्ली स्थित ब्रोकरेज फ्रैंचाइज़ चलाने वाले लोकेश शाह ने इस योजना को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। जतिन शाह का नाम भी इस योजना को अंजाम देने के लिए लिया गया। कुछ संस्थाओं ने अपने स्वयं के खातों का उपयोग करके व्यापार नहीं किया, बल्कि धोखाधड़ी में सहायता करने के लिए सूचना देने या व्यापार करने में मदद की।
घोटाला दो चरणों में हुआ
संबंधित संस्थाओं ने पहले आपस में व्यापार किया, ताकि धीरे-धीरे स्टॉक की कीमत बढ़ाई जा सके। स्टॉक में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम था, इसलिए छोटे-छोटे ट्रेड भी कीमत में बड़ा अंतर पैदा कर देते थे। दूसरे चरण में निवेशकों को लुभाने के लिए भ्रामक वीडियो जारी किए गए। यह घोटाला तब सामने आया जब नियामक संस्था को जुलाई और सितंबर 2022 के बीच असामान्य स्टॉक मूल्य आंदोलनों और कंपनी को बढ़ावा देने वाली भ्रामक ऑनलाइन सामग्री के बारे में शिकायतें मिलीं।
इसके बाद सेबी ने 8 मार्च, 2022 से 30 नवंबर, 2022 तक की अवधि को कवर करते हुए एक विस्तृत जांच शुरू की। इससे पहले मार्च 2023 में 31 संस्थाओं के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी किया गया था। एक प्रवर्तक कंपनी, वरुण मीडिया प्राइवेट लिमिटेड पर चल रही दिवालियापन कार्यवाही के कारण जुर्माना नहीं लगाया गया है, लेकिन उसे अभी भी अवैध लाभ का अपना हिस्सा वापस करना आवश्यक है। सेबी ने कहा कि इस मामले में आगे का निर्णय अलग से किया जाएगा। सेबी के 109 पृष्ठ के आदेश में यह निष्कर्ष निकाला गया कि सभी 59 संस्थाओं ने बाजार में धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार को रोकने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया।