नूंह के स्कूल में अकेली छात्रा भी नहीं हुई पास:डिप्टी DEO स्कूल प्रिंसिपल रहे,उसके बाद भी रिजल्ट जीरो;DC बोले स्कूलों की होगी समीक्षा
हरियाणा के नूंह जिले का बोर्ड परिणाम बेहद खराब रहा। 10वीं और 12वीं की परीक्षा परिणाम में यह जिला 22 जिलों में सबसे अंतिम पायदान पर है। रिजल्ट को लेकर जहां सरकार काफी गंभीर दिखाई दे रही है, वहीं ऐसा दोबारा ना हो इसके लिए जिला प्रशासन भी पूरी तरह से तैयारियों में जुट गया है। जिले में 12 वीं का रिजल्ट सबसे निराशाजनक आया। इसमें जिले के तीन स्कूल ऐसे है, जिनका रिजल्ट जीरो रहा। हैरानी की बात यह देखने को मिली कि जिस स्कूल के प्रिंसिपल उप जिला शिक्षा अधिकारी रहे,उस स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्र भी 12वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई। जिससे शिक्षा विभाग पूरी तरह से सवालों के घेरे में आ गया। लोगों का कहना है कि जब शिक्षा अधिकारी के स्कूल की छात्रा ही पास नहीं हुई तो अन्य स्कूलों से क्या उम्मीद की जाए। फिलहाल रिजल्ट को लेकर डीसी ने जिला विजिलेंस कमेटी का गठन भी किया है जो लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देंगे। 12वीं परीक्षा में तीन स्कूलों का रिजल्ट रहा जीरो नूंह जिले का 12 वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम इस वर्ष 45.76 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले वर्ष यह परिणाम 56.83 प्रतिशत था। जिले में तीन स्कूलों का रिजल्ट सबसे ज्यादा खराब रहा। इनमें एक भी बच्चा पास नहीं हुआ। नगीना खंड के मुलथान गांव के सरकारी स्कूल में एक लड़की ने 12वीं कक्षा के एग्जाम साइंस संकाय से दिए थे, जिसमें वह सफल नहीं हो सकी। इसके अलावा पुन्हाना खंड के औथा गांव के 13 बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फेल हो गए। ठीक इसी तरह पुन्हाना खंड के ही जाडौली गांव के चार बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फैल हो गए। इस परीक्षा में जिला के सभी स्कूलों के 7 हजार 588 विद्यार्थी बैठे थे, जिसमें से 3 हजार 472 विद्यार्थी पास हुए और एक हजार 758 विद्यार्थियों की कंपार्टमेंट आई। पूर्व डिप्टी DEO मोहम्मद हयात खान मूलथान के स्कूल प्रिंसिपल रहे,बोले छात्रा पढ़ाई में कमजोर जानकारी के मुताबिक करीब 1 महीने पहले उप जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए हयात खान पिछले करीब 4 साल से नगीना खंड के गांव मूलथान के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल थे। स्कूल में 12 वीं कक्षा में केवल एक लड़की का साइंस संकाय में एडमिशन हुआ। शिक्षकों ने छात्रा को पढ़ाने के नाम पर दाखिला तो कर लिए,लेकिन छात्रा की पढ़ाई पर कितना जोर दिया ,इसका सबूत बोर्ड रिजल्ट से मिल गया। सेवानिवृत हुए हयात खान ने कहा कि छात्रा का फेल होने का सबसे बड़ा कारण यह निकलकर सामने आया हैं कि उसके पास लिखना पढ़ना नहीं आता था। पूर्व डिप्टी डीईओ का ये जवाब न केवल शिक्षा विभाग को शर्मसार करने वाला है,बल्कि आगे पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी चिंता का विषय है। एक छात्रा का पास नहीं होना पूर्व डिप्टी डीईओ की लापरवाही मानी जा रही है। अधिकारी के स्कूल में भी रिजल्ट का जीरो आना पूरे शिक्षा विभाग को जांच के कटघरे में खड़ा करना हैं। जैसे ही रिजल्ट आया वैसे ही क्षेत्र वासियों ने शिक्षकों के खिलाफ खोल दिया मोर्चा जिले में बोर्ड रिजल्ट के बेहद खराब आने पर गांव सिरौली के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने जिले के दर्जनों गांवों के स्कूलों की शिकायत सीएम विंडो के मार्फत मुख्यमंत्री को भेजी है। जिसमें बताया गया है कि यहां के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापक बच्चों को पढ़ने के बजाय राजनीतिक गतिविधी,प्रॉपर्टी डीलिंग व अन्य कार्य में व्यस्त रहते हैं। कुछ अध्यापक ऐसे भी हैं,जो केवल हाजिरी लगाने के लिए ही स्कूल में आते हैं। इसकी पूरी जानकारी शिक्षा विभाग को भी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। जिले में स्टाफ की कमी से रिजल्ट खराब आना कारण नहीं है, बल्कि अध्यापकों द्वारा बच्चों पर ध्यान नहीं देना रिजल्ट खराब आने का सबसे बड़ा कारण है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि जिन स्कूलों का रिजल्ट खराब आया है, उन स्कूलों के अध्यापकों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए, ताकि भविष्य में अध्यापकों को सबक मिल सके। 10 स्कूलों का रिजल्ट रहा बेहद खराब 12वीं के परीक्षा परिणाम की बात की जाए तो जिले में सबसे फिसड्डी 10 स्कूल रहे हैं, इन विद्यालयों में राजकीय गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल जाड़ोली, राजकीय गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिकरावा, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल घुलावट, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सालाहेड़ी, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल पुन्हाना, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल उमरा, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल अड़बर, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जेवंत, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बिसरू,राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बिछौर शामिल है। डीसी बोले आगे रिजल्ट ऐसा न आए इसके लिए होगी समीक्षा नूंह जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि जिले का रिजल्ट बेहद निराशाजन रहा है। पिछली बार से रिजल्ट घाट है। जो काफी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 12 वीं के परीक्षा परिणाम के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे परीक्षा परिणाम की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान ऐसे स्कूलों को चिन्हित किया गया है, जिनका रिजल्ट बेहद खराब आया है। स्कूलों की समीक्षा करने के लिए जिला विजिलेंस कमेटी का गठन किया गया है। वहीं सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वह हर सप्ताह स्कूलों का निरीक्षण करें और गोपनीय रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपे। डीसी ने कहा कि रिजल्ट को लेकर सरकार भी बेहद गंभीर है। अगली बार का रिजल्ट आएगा बेहतर सरकार ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों और स्कूल प्रिंसिपल को जवाबदेही तय करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि लगातार एडीसी की अध्यक्षता में गठित विजिलेंस टीम और एसडीम स्कूलों का निरीक्षण कर अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का काम करेंगे। विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाएगा,इसमें कोई कोताही ही नहीं बरती जाएगी। डीसी ने दावा किया है कि अगली बार का बोर्ड रिजल्ट इस बार के रिजल्ट से बेहतर होगा।
हरियाणा के नूंह जिले का बोर्ड परिणाम बेहद खराब रहा। 10वीं और 12वीं की परीक्षा परिणाम में यह जिला 22 जिलों में सबसे अंतिम पायदान पर है। रिजल्ट को लेकर जहां सरकार काफी गंभीर दिखाई दे रही है, वहीं ऐसा दोबारा ना हो इसके लिए जिला प्रशासन भी पूरी तरह से तैयारियों में जुट गया है। जिले में 12 वीं का रिजल्ट सबसे निराशाजनक आया। इसमें जिले के तीन स्कूल ऐसे है, जिनका रिजल्ट जीरो रहा। हैरानी की बात यह देखने को मिली कि जिस स्कूल के प्रिंसिपल उप जिला शिक्षा अधिकारी रहे,उस स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्र भी 12वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई। जिससे शिक्षा विभाग पूरी तरह से सवालों के घेरे में आ गया। लोगों का कहना है कि जब शिक्षा अधिकारी के स्कूल की छात्रा ही पास नहीं हुई तो अन्य स्कूलों से क्या उम्मीद की जाए। फिलहाल रिजल्ट को लेकर डीसी ने जिला विजिलेंस कमेटी का गठन भी किया है जो लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देंगे। 12वीं परीक्षा में तीन स्कूलों का रिजल्ट रहा जीरो नूंह जिले का 12 वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम इस वर्ष 45.76 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले वर्ष यह परिणाम 56.83 प्रतिशत था। जिले में तीन स्कूलों का रिजल्ट सबसे ज्यादा खराब रहा। इनमें एक भी बच्चा पास नहीं हुआ। नगीना खंड के मुलथान गांव के सरकारी स्कूल में एक लड़की ने 12वीं कक्षा के एग्जाम साइंस संकाय से दिए थे, जिसमें वह सफल नहीं हो सकी। इसके अलावा पुन्हाना खंड के औथा गांव के 13 बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फेल हो गए। ठीक इसी तरह पुन्हाना खंड के ही जाडौली गांव के चार बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फैल हो गए। इस परीक्षा में जिला के सभी स्कूलों के 7 हजार 588 विद्यार्थी बैठे थे, जिसमें से 3 हजार 472 विद्यार्थी पास हुए और एक हजार 758 विद्यार्थियों की कंपार्टमेंट आई। पूर्व डिप्टी DEO मोहम्मद हयात खान मूलथान के स्कूल प्रिंसिपल रहे,बोले छात्रा पढ़ाई में कमजोर जानकारी के मुताबिक करीब 1 महीने पहले उप जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए हयात खान पिछले करीब 4 साल से नगीना खंड के गांव मूलथान के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल थे। स्कूल में 12 वीं कक्षा में केवल एक लड़की का साइंस संकाय में एडमिशन हुआ। शिक्षकों ने छात्रा को पढ़ाने के नाम पर दाखिला तो कर लिए,लेकिन छात्रा की पढ़ाई पर कितना जोर दिया ,इसका सबूत बोर्ड रिजल्ट से मिल गया। सेवानिवृत हुए हयात खान ने कहा कि छात्रा का फेल होने का सबसे बड़ा कारण यह निकलकर सामने आया हैं कि उसके पास लिखना पढ़ना नहीं आता था। पूर्व डिप्टी डीईओ का ये जवाब न केवल शिक्षा विभाग को शर्मसार करने वाला है,बल्कि आगे पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी चिंता का विषय है। एक छात्रा का पास नहीं होना पूर्व डिप्टी डीईओ की लापरवाही मानी जा रही है। अधिकारी के स्कूल में भी रिजल्ट का जीरो आना पूरे शिक्षा विभाग को जांच के कटघरे में खड़ा करना हैं। जैसे ही रिजल्ट आया वैसे ही क्षेत्र वासियों ने शिक्षकों के खिलाफ खोल दिया मोर्चा जिले में बोर्ड रिजल्ट के बेहद खराब आने पर गांव सिरौली के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने जिले के दर्जनों गांवों के स्कूलों की शिकायत सीएम विंडो के मार्फत मुख्यमंत्री को भेजी है। जिसमें बताया गया है कि यहां के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापक बच्चों को पढ़ने के बजाय राजनीतिक गतिविधी,प्रॉपर्टी डीलिंग व अन्य कार्य में व्यस्त रहते हैं। कुछ अध्यापक ऐसे भी हैं,जो केवल हाजिरी लगाने के लिए ही स्कूल में आते हैं। इसकी पूरी जानकारी शिक्षा विभाग को भी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। जिले में स्टाफ की कमी से रिजल्ट खराब आना कारण नहीं है, बल्कि अध्यापकों द्वारा बच्चों पर ध्यान नहीं देना रिजल्ट खराब आने का सबसे बड़ा कारण है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि जिन स्कूलों का रिजल्ट खराब आया है, उन स्कूलों के अध्यापकों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए, ताकि भविष्य में अध्यापकों को सबक मिल सके। 10 स्कूलों का रिजल्ट रहा बेहद खराब 12वीं के परीक्षा परिणाम की बात की जाए तो जिले में सबसे फिसड्डी 10 स्कूल रहे हैं, इन विद्यालयों में राजकीय गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल जाड़ोली, राजकीय गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिकरावा, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल घुलावट, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सालाहेड़ी, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल पुन्हाना, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल उमरा, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल अड़बर, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जेवंत, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बिसरू,राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बिछौर शामिल है। डीसी बोले आगे रिजल्ट ऐसा न आए इसके लिए होगी समीक्षा नूंह जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि जिले का रिजल्ट बेहद निराशाजन रहा है। पिछली बार से रिजल्ट घाट है। जो काफी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 12 वीं के परीक्षा परिणाम के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे परीक्षा परिणाम की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान ऐसे स्कूलों को चिन्हित किया गया है, जिनका रिजल्ट बेहद खराब आया है। स्कूलों की समीक्षा करने के लिए जिला विजिलेंस कमेटी का गठन किया गया है। वहीं सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वह हर सप्ताह स्कूलों का निरीक्षण करें और गोपनीय रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपे। डीसी ने कहा कि रिजल्ट को लेकर सरकार भी बेहद गंभीर है। अगली बार का रिजल्ट आएगा बेहतर सरकार ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों और स्कूल प्रिंसिपल को जवाबदेही तय करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि लगातार एडीसी की अध्यक्षता में गठित विजिलेंस टीम और एसडीम स्कूलों का निरीक्षण कर अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का काम करेंगे। विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाएगा,इसमें कोई कोताही ही नहीं बरती जाएगी। डीसी ने दावा किया है कि अगली बार का बोर्ड रिजल्ट इस बार के रिजल्ट से बेहतर होगा।