जयपुर में लॉन्च हुई समाजवादी-नेता की पुस्तक 'मैं जिंदा हूं':बोले- 21वीं सदी की तीन चुनौतियां पर्यावरण, आतंकवाद और एआई

जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में मंगलवार को समाजवादी नेता पंडित रामकिशन की पुस्तक 'मैं ज़िंदा हूं: शताब्दी का साक्षी - समाजवाद का प्रहरी' का विमोचन किया गया। इस अवसर पर जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर आनंद कुमार और किताब के संपादक डॉ संजय शर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक लेखन के बारे में बात करते हुए पंडित रामकिशन ने कहा- 21वीं सदी की तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं - पर्यावरण, आतंकवाद और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)। पूरी दुनिया सिर्फ ग्रोथ पर ध्यान दे रही है, लेकिन इससे पर्यावरण तेजी से नष्ट हो रहा है। यदि इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो समूचा विकास बेमानी हो जाएगा। यदि एआई टेक्नोलॉजी का सही उपयोग किया जाए तो मानव जीवन की कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जीवन आसान हो सकता है। लेकिन जिस तरह से इसका उपयोग हो रहा है, वह मानव अस्तित्व के लिए खतरे का संकेत है। 100 साल की उम्र में की पुस्तक प्रकाशित 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामकिशन चार बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपने सौवें जन्म वर्ष में इस पुस्तक के माध्यम से अपने जीवन के सामाजिक और राजनीतिक अनुभवों को साझा किया है। इस ऐतिहासिक विमोचन के साथ ही पंडित रामकिशन देश के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने 100 वर्ष की आयु में अपनी आत्मकथा प्रकाशित की है।

Apr 15, 2025 - 18:03
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जयपुर में लॉन्च हुई समाजवादी-नेता की पुस्तक 'मैं जिंदा हूं':बोले- 21वीं सदी की तीन चुनौतियां पर्यावरण, आतंकवाद और एआई
जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में मंगलवार को समाजवादी नेता पंडित रामकिशन की पुस्तक 'मैं ज़िंदा हूं: शताब्दी का साक्षी - समाजवाद का प्रहरी' का विमोचन किया गया। इस अवसर पर जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर आनंद कुमार और किताब के संपादक डॉ संजय शर्मा मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक लेखन के बारे में बात करते हुए पंडित रामकिशन ने कहा- 21वीं सदी की तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं - पर्यावरण, आतंकवाद और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)। पूरी दुनिया सिर्फ ग्रोथ पर ध्यान दे रही है, लेकिन इससे पर्यावरण तेजी से नष्ट हो रहा है। यदि इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो समूचा विकास बेमानी हो जाएगा। यदि एआई टेक्नोलॉजी का सही उपयोग किया जाए तो मानव जीवन की कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जीवन आसान हो सकता है। लेकिन जिस तरह से इसका उपयोग हो रहा है, वह मानव अस्तित्व के लिए खतरे का संकेत है। 100 साल की उम्र में की पुस्तक प्रकाशित 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामकिशन चार बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपने सौवें जन्म वर्ष में इस पुस्तक के माध्यम से अपने जीवन के सामाजिक और राजनीतिक अनुभवों को साझा किया है। इस ऐतिहासिक विमोचन के साथ ही पंडित रामकिशन देश के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने 100 वर्ष की आयु में अपनी आत्मकथा प्रकाशित की है।