सबकी आँखें खोलकर अनंत में विलीन हुई चेतना

सबकी आँखें खोलकर अनंत में विलीन हुई चेतना

Jan 2, 2025 - 00:29
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सबकी आँखें खोलकर अनंत में विलीन हुई चेतना

सबकी आँखें खोलकर अनंत में विलीन हुई चेतना . . . . . . . .

ऑपरेशन चेतना को 10 वें दिन मिली सफलता, 150 फिट गहरे बोरवेल में जिंदगी की जंग हारी 03 वर्षिय मासूम बालिका चेतना चौधरी 

लगभग 220 घण्टों तक चला ऑपरेशन, चिकित्सकों ने किया मृत घोषित

08 फिट लम्बी हॉरिजोंटल टनल को 12 फिट तक खोदा गया

इसके बाद नीचे से वर्टिकल खुदाई कर किया गया रेस्क्यू

कोटपूतली, 01 जनवरी 2025

नये साल का सवेरा लोगों की जिंदगी में नई उम्मीद, आशा की नई किरण लेकर आता है। इसी उम्मीद में कोटपूतलीवासी बोरवेल में गिरी 03 वर्षिय मासूम बालिका चेतना चौधरी की सलामती की दुआ परमात्मा से कर रहे थे। लेकिन नये साल की सुबह चटख धूप के साथ जो उम्मीद बंधी वो सूरज डुबने के साथ ढ़ल भी गई। बोरवेल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही 03 वर्षिय मासूम बालिका चेतना ना केवल जिंदगी की जंग हार गई, बल्कि परिवार से लेकर समाज, शासन से लेकर प्रशासन या यूं कहें हम सभी की आँखें खोलकर अनंत में विलीन हो गई। आँखें खोलने से तात्पर्य मासूम के द्वारा दिया गया एक स्पष्ट संदेश है कि बोरवेल, बड़े नालों या कुंओं जैसी जगहों को खुला ना छोड़ा जायें। ताकि दुबारा कोई चेतना ऐसी दुर्घटना का शिकार ना हो। उल्लेखनीय है कि सोमवार 23 दिसम्बर की दोपहर करीब 02 बजे कोटपूतली के ग्राम किरतपुरा की ढ़ाणी बड़ीयाली स्थित एक खुले बोरवेल में अपने घर के पास खेल रही 03 वर्षिय मासूम बालिका चेतना पुत्री भूपेन्द्र चौधरी गिर गई थी। जो कि 750 फिट गहरे बोरवेल में 150 फिट पर पहुंचकर अटक गई थी। चेतना को रेस्क्यू करने के लिये विगत 10 दिनों एवं लगातार 220 घण्टों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस, आरएएसी, पुलिस-प्रशासन समेत नगरपरिषद कोटपूतली की टीमें जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल व एसपी राजन दुष्यंत के नेतृत्व में लगातार जुटी हुई थी। ऑपरेशन को एनडीआरएफ निरीक्षक योगेश मीणा व एएसआई महावीर सिंह लीड कर रहे थे। यही नहीं जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह व कोटपूतली विधायक हंसराज पटेल लगातार ऑपरेशन की मॉनीटरिंग भी कर रहे थे। इस दौरान अनेकों जनप्रतिनिधियों ने भी घटना स्थल पर पहुंचकर जायजा लेते हुये बालिका को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने की अपील सरकार व प्रशासन से की। जल्द से जल्द बालिका को रेस्क्यू करने का टारगेट लेकर शुरू हुआ ऑपरेशन चेतना एक के बाद एक सामने आती तकनीकी चुनौतियों व बारिश, तेज सर्दी एवं धूंध आदि के चलते राजस्थान ही नहीं बल्कि देश भर के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियानों में से एक बन गया। घटना के बाद से ही एडीएम ओमप्रकाश सहारण, एसडीएम बृजेश चौधरी, एसपी राजन दुष्यंत, एएसपी वैभव शर्मा, नगरपरिषद आयुक्त धर्मपाल जाट समेत पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी लगातार मौके पर मौजूद रहे। विधायक हंसराज पटेल ने कहा कि सरकार ने अपने स्तर पर कोई लापरवाही नहीं बरती। स्वयं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा मामले की निगरानी कर रहे थे। उन्हीं के कहने पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी के द्वारा यहाँ बड़ी मशीनें भेजी गई। प्रशासन व रेस्क्यू टीम ने इसमें कोई लापरवाही नहीं बरती। बालिका चेतना के दादा हरसहाय चौधरी ने भी पुलिस व प्रशासन के अभियान को लेकर संतुष्टी जताई। 

प्लान ए के विफल होने के बाद शुरू हुआ प्लान बी :- शुरूआती प्रयास में चेतना को देशी जुगाड़ से लोहे की एल बैंड के जरिये निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन करीब 05 प्रयास के बावजुद भी वह प्रयास विफल हो गया। जिसके बाद हरियाणा से पाईलिंग मशीन बुलाकर प्लान बी शुरू किया गया। इसके तहत बोरवेल के गड्डे के समानान्तर लगभग 10 फिट की दूरी पर 170 फिट गहरा एवं 36 इंच चौड़ा समानान्तर गड्डा खोदा गया। इसमें 150 फिट तक खुदाई करने वाली पाईलिंग मशीन के असफल रहने के बाद 200 फिट तक खुदाई करने वाली पाईलिंग मशीन का इस्तेमाल किया गया। खुदाई का कार्य पुरा होने के बाद गड्डे में केसिंग का कार्य शुरू किया गया। इसके लिये शुरूआत में 30-30 फिट के 06 पाईप दूदू से मंगवाये गये थे। लेकिन केसिंग के कार्य में चुनौती आने के बाद 10-10 फिट के 17 पाईप लगाकर केसिंग का कार्य पुरा किया गया। केसिंग की वैल्डिंग के दौरान भी टीम को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लगातार दो दिनों तक आई बारिश ने केसिंग के कार्य को और भी चुनौती पूर्ण बना दिया। केसिंग को शिफ्ट करने में 55 टन क्षमता की हाईड्रा क्रेन के विफल रहने के बाद 100 टन क्षमता की हाईड्रा क्रेन का इस्तेमाल भी किया गया। केसिंग होने के बाद टनल में 08 फिट लम्बी हॉरिजोंटल टनल का निर्माण शुरू किया गया। लेकिन शुरू से ही टनल खोदने वाली टीम को पत्थर होने के चलते समस्यायें आई। इसके लिये विभिन्न तरह के हाथ से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। ताकि बड़ी मशीन से होने वाले कम्पन्न के कारण बोरवेल डिकलाईन ना कर जायें। टनल को खोदने में भी कई चुनौतियां आई। लगातार उड़ रही धूल, ऑक्सीजन की कमी, बड़े हुये तापमान व नुकीली सतह ने काम को और भी मुश्किल बना दिया। टीम के सदस्यों को आँखों में उछलकर आ रहे पत्थरों के बीच लेटकर भी कार्य करना पड़ा। एनडीआरएफ जवानों ने लगातार कार्य करते हुये असम्भव लगने वाले ऑपरेशन को भी सम्भव बना दिया। 

बुधवार शाम 06.25 बजे किया बालिका को रेस्क्यू :- 08 फिट लम्बी टनल की खुदाई का कार्य पुरा होने के बाद सोमवार 30 दिसम्बर की रात्रि को ही बालिका को रेस्क्यू किये जाने की सम्भावनायें दिखने लगी थी, लेकिन टनल में बोरिंग के ना मिलने से समस्यायें बढ़ गई। मंगलवार 31 दिसम्बर को विशेष जीपीआर मशीन बुलाकर बोरिंग को फिर से लोकेट करवाया गया। जिसके बाद 08 फिट लम्बी टनल को 12 फिट तक खोदकर बोरिंग तक पहुंचा गया। बोरिंग पता चलने पर बुधवार सुबह करीब 08 बजे बोरवेल में ऊपर की और वर्टीकल खुदाई शुरू की गई। इसके लिये 07 इंच की बोरवेल की चौड़ाई को करीब 12 इंच किया गया। बालिका को कोई नुकसान ना पहुंचे इसको देखते हुये बेहद सफाई से कार्य करते हुये बुधवार शाम करीब 06.25 बजे उसे बोरवेल से रेस्क्यू कर लिया गया। टनल की खुदाई के दौरान पहले 03 फिर 04 लोगों टीम को तैनात किया गया। एनडीआरएफ एएसआई महावीर सिंह जाट जैसे ही बालिका को कपड़े में लपेटकर बोरवेल से बाहर आये तो ग्रामीणों का हुजुम उमड़ पड़ा। प्रशासन ने बिना कोई समय गंवाये बालिका को कोटपूतली स्थित राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल पहुंचाया। निरीक्षक योगेश मीणा ने बताया कि जब बालिका को बाहर निकाला गया, तब उसके शरीर में कोई मुवमेंट नहीं थी। रेस्क्यू करने के लिये टीम के सदस्यों ने चेतना के आसपास से मिट्टी हटाई, फिर उसके बाद शरीर को बाहर लेकर आये। बच्ची जहाँ फंसी हुई थी, वहां से बोरवेल मुड़ा हुआ था। जिसके कारण वह नीचे जाते-जाते वहां फंस गई थी। चेतना की आखिरी मुवमेंट 23 दिसम्बर को शाम 07 बजे विडियो में देखी गई थी, जिसमें वह हाथ हिलाते हुये दिख रही थी। एनडीआरएफ टीम ने चेतना को हुक में फंसाकर 150 से करीब 120 फिट तक खींच भी लिया था, लेकिन बाहर निकालने में असफल हो गये। 26 दिसम्बर को पाईलिंग का कार्य शुरू हुआ था जो कि रूक-रूक कर जारी रहा। बोरवेल को लेजर अलाईनमेंट डिवाईस से सुरंग की जाँच भी की गई, ताकि दिशा ना भटके। 30 दिसम्बर को लोकेशन पर पहुंचने के बावजूद भी बोरवेल नहीं मिला। जिसके बाद जीपीआर मशीन का इस्तेमाल किया गया। टीम ने देशी तरीके से सुत डालकर भी सही दिशा का पता लगाने का प्रयास किया। ड्रिल मशीन से टनल की खुदाई करने में परेशानी आने से पाटन से एयर प्रेशर वाली दूसरी मशीन भी मंगवाई गई। साथ ही बोरवेल सीधा है या टेढ़ा इसके लिये 05 जगहों से क्रॉस चेक भी किया गया। सुरंग की एक्यूरेसी जांचने के लिए सभी बेस्ट एक्सपर्ट बुलाये। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड अजमेर, भीलवाड़ा और खेतड़ी माइंस से इंजीनियर्स बुलाकर सुरंग की एक्यूरेसी चेक करवाई। मकान बनाने वाले लोगों से भी उनके तरीके से बोरवेल और सुरंग की एंगल की जांच करवाई। एयरफोर्स और बीएसएफ के जवानों को बुलाकर दिशा जांच करवाई। टनल को दायें-बांये या ऊपर-नीचे किस दिशा में गलत खोदा गया है इसकी जाँच के लिये लेजर अलाइनमेंट डिवाईस से भी सुरंग में एंगल की जाँच की गई। इसके लिये दिल्ली व जयपुर मैट्रो एक्सपर्ट की भी मदद ली गई। बोरवेल नीचे जाने के बाद झुक गया था। जिसे लोकेट कर लिया गया। 

चिकित्सकों ने किया मृत घोषित :- बालिका को रेस्क्यू किये जाने की तैयारियों के चलते प्रशासन द्वारा पहले ही राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल को कब्जे में लेकर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों की टीम ने बालिका के स्वास्थ्य की जाँच की। पीएमओ डॉ. चैतन्य रावत ने बताया कि बालिका को मृत घोषित कर दिया गया है। पोस्टमार्टम के लिये डॉ. प्रेमचंद, डॉ. हवासिंह, डॉ. हीरालाल जाखड़ का बोर्ड बनाया गया है। सीएमएचओ डॉ. आशीष सिंह शेखावत व बीसीएमओ डॉ. पूरण चंद गुर्जर ने बताया कि जिला कलक्टर की अनुमति से रात्रि में ही बालिका के शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द किया जायेगा। वहीं दुसरी ओर चेतना के निधन का समाचार सुनते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। फिलहाल बालिका के शव को राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। पोस्टमार्टम के बाद रात्रि को ही शव परिजनों को सुपर्द कर अन्तिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।  

कुछ लापरवाही ना होती तो बच जाती जान :- चेतना शुरूआत में महज 15 फिट पर अटकी हुई थी। परिजनों ने स्वयं के स्तर पर रस्सी डालकर उसे बाहर निकालने का प्रयास किया। जिसके चलते बच्ची के हाथ ऊपर करने पर बोरवेल की दीवार व उसमें जगह बन गई। जिससे वह फिसल कर 80 फिट तक चली गई। स्थानीय प्रशासन को सूचना मिलने के बाद शाम करीब 05.30 बजे एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची, तब तक बच्ची 150 फिट की गहराई में पहुंच गई थी। यदि टीमें समय से पहुंचती तो बच्ची को कम गहराई पर ही होल्ड किया जा सकता था। चेतना जिस समय गिरी उस समय पाईप पहले ही बाहर निकाल लिये गये थे। जिसके कारण नमी व चिकनी मिट्टी होने से देशी जुगाड़ से रेस्क्यू होने की सम्भावनायें बेहद कम थी। ऐसे में तत्काल ही पाईलिंग मशीन से काम शुरू होता तो इस देरी को भी टाला जा सकता था। मौके पर मौजूद अधिकारी एडीएम ओमप्रकाश सहारण व एसडीएम बृजेश चौधरी को निर्देश देने के लिये जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल मौजूद ही नहीं थी। वे दो दिनों तक मौके पर नहीं पहुंची, जिसके कारण पाईलिंग मशीन मंगवाने का निर्णय समय पर नहीं हो पाया। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया एवं लम्बे समय तक देशी जुगाड़ के भरोसे ही बैठे रहे। 

क्या है मामला :- विगत सोमवार 23 दिसम्बर की दोपहर करीब 02 बजे मासूम बालिका चेतना (03) अपनी बड़ी बहन काव्या (07) के साथ बोरवेल के पास खेलते हुये उसमें अचानक गिर गई थी। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन में हडक़म्प मच गया था। जिसके बाद जयपुर से एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीम को बुलाकर चेतना को रेस्क्यू करने का ऑपरेशन शुरू किया गया था। लगभग 750 फिट गहरे बोरवेल में चेतना करीब 150 फिट पर फंसी हुई थी। उसे लोहे की एल बैंड के देशी जुगाड़ के जरिये निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन करीब 05 प्रयास के बावजुद भी वह प्रयास विफल रहा। इस दौरान उसे 30-40 फिट ऊपर उठाकर करीब 120 फिट तक लाया गया था। जिससे उसके बाहर निकलने की सम्भावनायें बन गई थी, लेकिन हर बार यह प्रयास विफल रहे। इस दौरान कैमरे में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण ऑपरेशन रूका रहा। मौके पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये चार एम्बुलेंस भी तैनात की गई थी। बच्ची को बचाने में एनडीआरएफ के 25 व एसडीआरएफ के 15 जवान जुटे रहे। वहीं नगरपरिषद के 25 कार्मिकों के साथ-साथ पुलिस के 40 जवान भी मौके पर तैनात रही। इसके अलावा सीएमएचओ डॉ. आशीष सिंह शेखावत व बीसीएमओ डॉ. पूरण चंद गुर्जर के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम भी तैनात रही। चिकित्सकीय टीम को अलर्ट कर मौके पर स्वास्थ्य विभाग से पीडीयाट्रीशियन, एनेस्थिशियां विभागाध्यक्ष एवं 19 नर्सिंगकर्मी भी लगातार मौजूद रहे। पुरे अभियान में करीब 500 ऑक्सीजन के सिलेंडर खर्च हुये। पुलिस विभाग द्वारा आसपास के थानों से भी टीमें तैनात की गई।