हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बसी 86 अवैध कॉलोनियां:हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब देने का दिया अंतिम मौका, प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी
राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के लिए अवाप्त की गई जमीन पर अवैध रूप से बसाई गई 86 कॉलोनियों के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। एक्टिंग सीजे एसपी शर्मा की खंडपीठ ने मामले में जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए सरकार को जवाब पेश करने का अंतिम मौका दिया। इसके साथ ही अदालत ने सरकार से पिछले ऑर्डर की पालना में अब तक की गई कार्रवाई को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा हैं। अदालत आज पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। संस्था के अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी ने कहा कि आवासन मंडल व जेडीए ने न्यायालय के आदेश की पालना नहीं की। यहां तक की हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर खाली पड़े प्लॉटो पर भी कब्जा नहीं लिया। अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई उन्होने कहा कि हाउसिंग बोर्ड और जेडीए अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी खारिज होने के बाद भी हाई कोर्ट के 20 अगस्त के आदेश की पालना नहीं की। हाउसिंग बोर्ड की अवाप्तशुदा जमीन पर रसूखदारो के बड़े-बड़े खाली प्लॉट है। वहीं कई जगह अभी भी निर्माण कार्य जारी है। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाए। आज सुनवाई के दौरान कई कॉलोनियों, विकास समितियों ने भी पक्षकार बनने का प्रार्थना पत्र लगाए। इन्हें अदालत अगली सुनवाई पर सुनेगी। क्या है मामला? दरअसल, पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर कहा था कि सांगानेर क्षेत्र (बी-2 बायपास से सांगानेर के बीच) में जिस जमीन पर यह कॉलोनियां बसी है। वह जमीन हाउसिंग बोर्ड ने किसानों से अवाप्त की थी। उसका भुगतान भी किसानों को किया जा चुका हैं। लेकिन बाद में अधिकारियों ने भूमाफियाओं से मिलीभगत करके सरकारी जमीनों पर कब्जा करवा दिया और सोसायटी ने यहां प्लॉट काट दिए। वहीं, सरकार ने इन पर कार्रवाई के बजाय 12 मार्च 2025 को इन कॉलोनियों को नियमित करने के आदेश जारी कर दिए। इस पर हाईकोर्ट ने अवाप्तशुदा जमीन से अतिक्रमण हटाकर 8 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।



