माघ" में ही बाजार में आ गया "चैत" का फल "काफल

माघ" में ही बाजार में आ गया "चैत" का फल "काफल

Jan 31, 2025 - 21:28
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माघ" में ही बाजार में आ गया "चैत" का फल "काफल

*"माघ" में ही बाजार में आ गया "चैत" का फल "काफल"* 

--ग्लोबल वार्मिंग का असर 

--उत्तराखंड, नेपाल,चीन और मलेशिया की पहाड़ियों में खूब फलता है 

-वैज्ञानिक नाम है "माइरिका एसकुलेंटा"

-कैंसर,स्ट्रोक सहित कई बीमारियों में फायदेमंद

-विटामिन-सी और एंटी आक्सीडेंट का भंडार

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*चम्पावत 30 जनवरी* : ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमालयी क्षेत्र में दिखने लगा है। इस वर्ष जहां शीतकालीन बारिश और बर्फवारी में कमी देखने को मिल रही है वहीं तापमान में इजाफा दिख रहा है। यही वजह है कि चैत में पकने वाला काफल इस साल माघ माह में ही बाजार में आ गया है।

काफल जिसका वैज्ञानिक नाम माइरिका एसकुलेंटा और अंग्रेजी में इसे बेबेरी कहते है। उष्णकटबंधीय क्षेत्र में पाए जाने वाला काफल का पेड़ उत्तर भारत के उत्तराखंड, नेपाल, दक्षिणी चीन और पश्चिमी और मध्य मलेशिया की छह हजार फिट से ऊपर की पहाड़ियों तक फैला हुआ है। अन्य भाषाओं में इसका नाम बाॅक्स मर्टल भी है।

 वनस्पति विज्ञानी डा• बी डी सुतेड़ी बताते है कि यह काफल बेहद रसीला और सुपाच्य फल है। विटामिन सी और एंटी आक्सीडेंट का भंडार होने से यह घातक बिमारी कैंसर, स्ट्रोक सहित अन्य बिमारियों में फायदेमंद है।

मौसम के जानकार बुजुर्ग हरि दत्त बिष्ट बताते है कि पर्वतीय इलाकों में पेड़ों के दोहन, सीमेंट कंक्रीट का तेज गति से निर्माण कार्यो में प्रयोग और सड़कों का जाल बिछने तथा हाटमिक्स के चलते यहां के तापमान में हर साल वृद्धि हो रही है।सर्दियों में यहां का तापमान पहले माइनस तीन से लेकर चार डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता था अब दो डिग्री तो रहता ही है। वैसे ही अधिकतम तापमान में भी बढोतरी हो रही है। इस साल तो शीतकालीन बारिश और बर्फवारी कम होने से ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमालयी क्षेत्र में ज्यादा दिखने लगा है।

जिसके चलते कई वनस्पतियों में समय से पहले फूल और फल आ रहे है।

सीजन में काफल का व्यवसाय करने वाले कुंदन सिंह कहते है कि पिछले सालों तक जल्दी हो गयी तो फागुन में काफल बाजार में आता था लेकिन इस दफा तो माघ में यह फल आ गया है।

बहरहाल चैत के फल काफल की माघ में ही बाजार में आने की चर्चा खूब है और यह सोशल मिडिया में भी वायरल हो रहा है। अभी बाजार में इसके दाम दो सौ रुपया प्रतिकिलो है। जबकि सीजन में यह बीस से लेकर पचास रुपये प्रति किलो तक बहुतायत में बिकता है।

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दिनेश चंद्र पांडेय चंपावत 

9412977099