गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के पूर्व एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और सीईओ मनोज गौर को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। वह जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ईडी की यह कार्रवाई जयपी ग्रुप के खिलाफ चल रही उस जांच का हिस्सा है जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामलों के आधार पर की जा रही है। इन मामलों में जेपी विशटाउन और जयपी ग्रीन्स परियोजनाओं के हजारों घर खरीदारों ने शिकायतें दर्ज कराई थीं। उन्होंने कंपनी और उसके प्रमोटर्स पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भरोसे के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं।
ईडी ने बताया कि घर खरीदारों से मकान निर्माण के नाम पर जो रकम वसूली गई थी, उसे निर्माण कार्य के अलावा अन्य जगहों पर इस्तेमाल किया गया। इसके कारण न तो परियोजनाएं पूरी हो सकीं और न ही लोगों को उनका घर मिला। बता दें कि जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने खरीदारों से लगभग 14,599 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें से एक बड़ी राशि अन्य कंपनियों और ट्रस्टों को भेज दी गई थी।
गौरतलब है कि यह पैसा जेपी सेवा संस्थान, जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड और जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड जैसी संबद्ध संस्थाओं में स्थानांतरित किया गया था। जांच एजेंसी के अनुसार, मनोज गौर जयपी सेवा संस्थान के प्रबंध ट्रस्टी भी हैं और इसी ट्रस्ट को बटे हुए रकम का कुछ हिस्सा मिला था।
बता दें कि इससे पहले 23 मई 2025 को ईडी ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें जयप्रकाश एसोसिएट्स और जेपी इन्फ्राटेक के दफ्तरों समेत कई जगहों की तलाशी ली गई थी।
एजेंसी का कहना है कि जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि फंड्स के हेरफेर और उन्हें जटिल लेन-देन के जरिए अन्य संस्थाओं में भेजने की पूरी योजना में मनोज गौर की केंद्रीय भूमिका थी। ईडी का मानना है कि यह पूरा घोटाला कंपनी के शीर्ष स्तर पर सोच-समझकर किया गया, जिससे हजारों खरीदारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।